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    महर्षि मेंही आश्रम कुप्‍पाघाट : परोपकार के लिए है संतों का जीवन, श्रद्धालुओं ने संतसेवी को किया याद

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 21 Dec 2020 10:50 AM (IST)

    संतसेवी महाराज की जयंती भागलपुर स्थित कुप्‍पाघाट सहित कई जगहों पर संतसेवी जी महाराज की जयंती मनाई गई। महर्षि मेंही आश्रम कुप्‍पाघाट में इसकी विशेष तैयारी की गई थी। इस अवसर पर वर्तमान आचार्य हरिनंदन बाबा ने लोगों ने अशीर्वाद लिया।

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    भागलपुर के कुप्‍पाघाट में संतसेवी की जयंती पर प्रवचन करते आचार्य हरिनंदन बाबा।

    जागरण संवाददाता, भागलपुर।  संतों का जीवन दूसरों के परोपकार के लिए है। कष्ट सहकर भी वे मानव का कल्याण करते हैं। संत सेवी महाराज की 101वीं जयंती पर स्थानीय कुप्पा घाट स्थित महर्षि मेंही आश्रम में आचार्य हरिनंदन बाबा ने प्रवचन के दौरान कही।

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    उन्होंने कहा कि संत वहीं होते हैं जो सदा मानव का कल्याण करने में अपनी जीवन की आहुति दे देते हैं। जैसे नदी का जल मानव, जीव-जंतुओं के लिए होता है, वैसे ही वृक्ष स्वयं फल नहीं खाते उसी प्रकार संतों का जीवन भी दूसरों के लिए होता है। उन्होंने कहा कि दुख और सुख जीवन के दो पहलु हैं। इनके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जाती। दुख है तो सुख भी आता है। इससे मानव को निराश नहीं होना चाहिए।

    भगीरथ बाबा ने कहा कि मानव जाति का कल्याण संतों के मार्ग पर चलकर ही होगा। डॉ. गुरु प्रसाद बाबा ने कहा कि संतसेवी परमहंस महाराज का अवतरण 20 दिसंबर 1939 में हुआ था। उन्होंने सद्गुरु महर्षि परमहंस महाराज से दीक्षा ली थी। इस अवसर पर रामजी बाबा, प्रमोद बाबा, स्वरुपानंद आदि ने विचार दिए।

    कई जिलों से आए श्रद्धालु

    जयंती समारोह में रांची, कटिहार, सहरसा, मधेपुरा, अररिया सहित कई जिलों के श्रद्धालु आए थे। भंडरा में भी हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। श्रद्धालुओं ने परमहंस महाराज की प्रतिमा पर फूल मालाएं चढ़ाई, ध्यान का अभ्यास किया।

    जिले में ग्रामीणों इलाके में भी संतसेवी महाराज की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर स्‍थानीय संतों का वहां प्रचन होगा। कई जगहों पर शोभायात्रा भी निकाली गई थी। लोगों ने कोरोना काल में इस बात को लेकर सतर्कता भी बरती। वहीं, कई आश्रमों में भंडारे का भी आयोजन किया गया हैं। बांका के बौंसी और पूर्णिया में भी विशेष आयोजन किए गए। इस अवसर पर संत के चित्र पर माल्‍यार्पण किया गया। लोगों ने उनकी पूजा की। उनके साहित्‍यकों का अध्‍ययन किया। कार्यक्रमों में महर्षि मेंहीं के जीवन पर भी चर्चा हुई।

    गुरु तेग बहादुर की शहादत पर हवन, लोगों ने छका लंगर

    सिख धर्म के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर का शहादत दिवस पर रविवार को गुरुद्वारा में हवन और अरदास हुआ। सुखमणि साहिब का पाठ सामूहिक रूप में किया गया। सरदार भाई संजय सिंह और भाई सतपाल सिंह के गुरु वचनों से संगत निहाल हो गया। सैकड़ों लोगों ने लंगर चखा। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव सरदार त्रिलोचन सिंह ने बताया गुरु तेग बहादुर को हिंद की चादर की संज्ञा दी गई है। उनका बलिदान समाज के लिए काफी मायने रखता है। धर्म का मार्ग ही सबसे बड़ा मार्ग है। इस मौके पर प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष खेमचंद बचानी, उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह भंडारी, उप सचिव रमेश सोनी, कमेटी सदस्य बलवीर सिंह, चरणजीत सिंह मीडिया प्रभारी हर्ष प्रीत सिंह सहित अन्य सक्रिय रहे।

     

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