Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Navratri 2022: पहले दिन की जाती है मां शैलपुत्री की पूजा, कथा पढ़ने मात्र से आएगी सुख-समृद्धि

    By JagranEdited By: Shivam Bajpai
    Updated: Sun, 25 Sep 2022 10:45 PM (IST)

    Navratri 2022 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो रही है। 5 अक्टूबर को दशमी के साथ ही इस पर्व का समापन होगा। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है। मां की कथा पढ़ने से सुख समृद्धि आती है।

    Hero Image
    Navratri 2022 First Day Puja: पहला दिन- मां शैलपुत्री।

    Navratri 2022 First Day Puja: नवरात्रि के नौ दिन जगत जननी मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। मां के नौ स्वरूप और उनका नाम अलग ही अर्थ और लोगों को नई सीख देने वाले हैं। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है, जो हिमालयराज की पुत्री हैं। इसी के चलते उनके नाम का अर्थ भी कुछ ऐसा है। शैल माने पत्थर या पहाड़। पहले दिन शैलपुत्री की पूजा का महत्व भी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मान्यता है कि देवी के इस स्वरूप की पूजा इसलिए की जाती है ताकि लोगों के जीवन में शैलपुत्री की नाम की तरह ही स्थिरता बनी रहे। वो अपने लक्ष्य को पाने के लिए जीवन में अडिग रहे। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है।

    कलश स्थापना के बाद दुर्गासप्तशती का पाठ किया जाता है। मान्यतानुसार कलश को भगवान गणेश का स्वरूप माना गया है। किसी भी शुभ काम में कलश की स्थापना भी इसलिए ही की जाती है।  पहले दिन शैलपुत्री की कथा सुनने और पढ़ने मात्र से घर में सुख-समृद्धि आती है। मां शैलपुत्री का मंगल आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    नवरात्रि का पहला दिन- मां शैलपुत्री कथा

    मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ (बैल) है। ऐसा कथा प्रचलित है कि एक बार प्रजापति दक्ष, जो सती के पिता थे। उन्होंने यज्ञ के दौरान भगवान शिव और सती को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन सती बिना बुलाए ही यज्ञ में जाने को तैयार हो गई। अब  भगवान शिव ने उन्हें समझाया कि ऐसे बिना बुलाए जाना उचित नहीं है। इसके बावजूद सती नहीं मानी और ऐसे में सती की जिद के आगे भगवान शिव ने उन्हें जाने की अनुमति प्रदान कर दी। अब सती बिना बुलाए पिता के यहां यज्ञ में प्रतिभाग करने पहुंच गई। वहां उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया। मायके में सती की मां के अलावा सभी ने उनसे गलत तरीके से बात की। क्या भाई और क्या बहनें, सभी ने सती और उनके पति भगवान शिव खूब उपहास किया। 

    ये कठोर व्यवहार और पति का अपमान सती बर्दाश्त नहीं कर सकी और उन्होंने खुद को यज्ञ में भस्म कर लिया। जैसे ही ये वाकया हुआ और भगवान शिव तक समाचार पहुंचा। उन्होंने तुरंत अपने गणों को दक्ष के यहां भेज दिया। गणों ने इस यज्ञ को विध्वंस कर दिया। अगले जन्म सती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस तरह उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। 

    मां शैलपुत्री का प्रिय रंग- सफेद

    मां शैलपुत्री को सफेद रंग बेहद प्रिय है इसलिए पूजा के दौरान उन्हें सफेद रंग की चीजें बर्फी आदि का भोग लगाया जाता है। पूजा में सफेद रंग के पुष्प भी अर्पित किए जाते हैं। माता के भक्तों को पहले दिन की पूजा में सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए, ऐसा लाभकारी बताया गया है।

    comedy show banner
    comedy show banner