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    कैसा है हमारा राम... बता रहे स्वामी आगमानंद, 'र' उच्चारण से ही मुंह खुल जाता है और 'म' से मुंह बंद हो जाता है

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 11 Oct 2022 12:30 PM (IST)

    नई दिल्ली में साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था मुंबई द्वारा आयोजित श्री राम कमा विश्व संदर्भ महाकोश के राम कथा का जनमानस पर प्रभाव विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के 58 खंडीय परियोजना अंतर्गत द्वितीय खंड भजन कीर्त्तन में श्रीराम ग्रंथ के लोकार्पण समारोह की अध्‍यक्षता आगमानंद जी महाराज ने की।

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    विज्ञान भवन दिल्‍ली में आयोजित राम कथा का जनमानस पर प्रभाव विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी। परमहंस स्‍वामी आगमानंंद जी महाराज।

    ऑनलाइन डेस्‍क, भागलपुर। भगवान राम केवल अयोध्या या भारत के ही राजा नहीं थे, वे संपूर्ण वसुंधरा के राजा थे। दुनियां का कोई ऐसा देश या क्षेत्र या संस्थान नहीं है जहां कि प्रभु राम न हों। वहां की संस्कृति में, जनजीवन में, आहार विहार में, आचार विचार में, सभ्यता संस्कृति में भगवान श्रीराम सब जगह हैं। उनका हर जनमानस पर पूरा प्रभाव है। राम शब्द के र उच्चारण से ही मुंह खुल जाता है और म से मुंह बंद हो जाता है। खुलना और बंद होना यानि सृष्टि होना और लय होना सब राममय है। जिससे शुरू और समाप्त दोनों हो जाता है। भगवान राम से त्यागमय जीवन की शिक्षा मिलती है। यह बातें श्री शविशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर संत शिरोमणि परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कही। स्‍वामी आगामानंद जी महाराज अंग प्रदेश बिहार के जाने-माने सिद्ध संत हैं। भागलपुर उनका कर्मक्षेत्र है। 

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    नई दिल्ली में 10 अक्टूबर 2022 को साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था मुंबई द्वारा आयोजित श्री राम कमा विश्व संदर्भ महाकोश (इन्साक्लोपीडिया ऑफ रामायण) के 'राम कथा का जनमानस पर प्रभाव' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के 58 खंडीय परियोजना अंतर्गत द्वितीय खंड 'भजन कीर्त्तन में श्रीराम' ग्रंथ के लोकार्पण समारोह की अध्‍यक्षता आगमानंद जी महाराज ने की।

    इसमें देश-विदेश के अनेक वक्ताओं ने अपने शोध आलेख प्रस्तुत किए। इस अवसर पर संस्था के सचिव प्रदीप कुमार सिंह के संपादन में तैयार हो रहे श्रीराम कथा विश्व संदर्भ कोश इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण के द्वितीय खंड भजन कीर्तन में श्रीराम पुस्तक का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में बिहार के प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि जनमानस ने भगवान राम को लोकगीत और भजन कीर्तनों में सहेजा है।

    भगवान राम के जीवन के हर पहलू से जुड़े हुए गीत और भजन मौजूद हैं। चाहे भगवान राम के जन्म का प्रसंग हो, चाहे गंगा तट पर केवट संवाद का प्रसंग हो या फिर जनकपुर में सिया और राम के मिलन का प्रसंग हो, हजारों गीत और भजन लिखे गए और सदियों से गाए जा रहे हैं।

    इस अवसर पर लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने बिहार की कई पारंपरिक लोक गीतों को गाकर सुनाया और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं के समक्ष बिहार के लोकगीतों की सोंधी खुशबू को फैलाया। आहो वीणा वादिनी मईया सातों सुर के तू ही रचैया आहो वीणा वादिनी मईया, कहवां के पियर माटी कहां के कुदार हो, कहवां के सात सुहागिन माटी कोड़े जाते हो, राजा जनक जी के बाग में अलबेला रघुवर आयो जी, राम जी से पूछे जनकपुर के नारी बताद बबुआ, लोगवा देत काहे गारी, मिथिला के सिया धीया जगत जननी आहे, सिया जी बहिनियां हमार हो, राम लगिहैं पहुंनवा जैसे गीत गाकर नीतू नवगीत में वाहवाही प्राप्त की।

    अधिकांश वक्ताओं ने कहा कि राम सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि विश्व के हर कोने में रामकथा से प्रेरणा लेने वाले लोग हैं। अलग-अलग भाषाओं और क्षेत्रों में राम कथा अलग-अलग ढंग से कही और समझी जाती है। रामत्व की भावना हर प्रकार की राम कथा का सार है, जिसमें समस्त विश्व का कल्याण सन्निहित है।

    इस दौरान केंद्रीय राज्य पर्यावरण मंत्री बक्‍सर के सांसद अश्विनी कुमार चौबे, केंद्रीय संस्कृति मंत्री किशन रेड्डी, डॉ स्वामी दिव्यानंद जी महाराज एवं मॉरीशस निवासी ज्ञान धानुक चंद, ग्रंथ संपादक सह सचिव डॉ प्रो प्रदीप कुमार, अध्यक्ष बनवारी लाल जाजोदिया, डॉ गोपाल राय, डॉ हिमांशु मोहन मिश्र 'दीपक', डॉ दिलीप सिंह, डॉ. रंजय कुमार सिंह, ई मादे धर्म यश, अंजू घरबरन, डॉ शिरीन कुरेशी, डॉ किरण त्रिपाठी, डॉ तेजस्वी गोस्वामी, डॉ गोपाल जी राय, डॉ सतीश रावल, मंजू पोद्दार, कल्पना लाल, सुरेश चंद्र तिवारी, कृष्ण जी श्रीवास्तव, डॉ दीनदयाल, डॉ भावना शुक्ला, डॉ माला सिन्हा, डॉ कुसुम सिंह, कुंदन बाबा आदि ने भी रामकथा के विश्व संदर्भ कोश और रामकथा का जनमानस पर प्रभाव विषय पर अपने विचार रखे। इस दौरान काफी संख्‍या में दिल्‍ली में स्‍वामी आगमानंद के अनुयायी, शिष्‍य व साधक मौजूद थे। बिहार भागलपुर से काफी संख्‍या में लोग वहां गए थे। इस दौरान विज्ञान भवन खचाखच भरा था।