भागलपुर की चौसर पर नई बाजी, लोजपा की दावेदारी से सीट शेयरिंग में मुश्किल, VIP की सक्रियता से मुकाबला दिलचस्प
भागलपुर में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। लोजपा की एनडीए में वापसी से सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान बढ़ गई है। पिछली बार अलग होकर चुनाव लड़ने वाली लोजपा इस बार मजबूत दावेदारी पेश कर रही है। नाथनगर और गोपालपुर सीट पर सबकी निगाहें हैं। विपक्षी खेमे में वीआईपी की सक्रियता ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।

संजय सिंह, भागलपुर। चुनावी बिगुल भले अभी औपचारिक रूप से न बजा हो, लेकिन जिले की राजनीति में हलचल पहले ही तेज हो चुकी है।
पिछली विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) एनडीए से अलग हो गई थी। पार्टी ने सीट बंटवारे को लेकर असहमति जताई थी और खासकर जदयू की बढ़ती हिस्सेदारी से नाराज होकर अकेले मैदान में उतरने का फैसला लिया था। नतीजतन, लोजपा ने चारों विधानसभा सीटों सुल्तानगंज, नाथनगर, भागलपुर और गोपालपुर पर उम्मीदवार उतारे।
हालांकि, जीत एनडीए और महागठबंधन के बीच बंट गई, लेकिन लोजपा प्रत्याशियों ने वोटों के आंकड़े से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
गोपालपुर से सुरेश भगत ने 23,406, भागलपुर से राजेश वर्मा ने 20,523, जो अभी खगड़िया से सांसद है। नाथनगर से अमर सिंह कुशवाहा ने 14,715 और सुल्तानगंज से नीलम देवी ने 10,222 वोट हासिल किए।
यह प्रदर्शन पार्टी के लिए ऊर्जा का काम कर गया और अब गठबंधन में लौटने के बाद लोजपा खुद को हिस्सेदारी के लिए और अधिक मजबूत स्थिति में देख रही है।
एनडीए की संयुक्त बैठकों में भाजपा, जदयू और हम नेताओं के साथ लोजपा प्रतिनिधियों की मौजूदगी यह संदेश दे रही है कि पार्टी को सीट शेयरिंग में नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा।
चर्चा में नाथनगर व गोपालपुर सीट
चर्चा सबसे ज्यादा नाथनगर व गोपालपुर सीट को लेकर है, जहां पिछली बार राजद विजयी रहा था, लेकिन लोजपा का दावा है कि उसके उम्मीदवार ने यहां वोट प्रतिशत के लिहाज से मजबूत आधार बना दिया था।
गोपालपुर में सुरेश भगत के प्रदर्शन ने भी पार्टी को उत्साहित किया है, भले ही यह सीट जदयू का परंपरागत गढ़ मानी जाती हो।
लोजपा (रामविलास) के जिलाध्यक्ष सुबोध पासवान कहते हैं अभी तक पार्टी की तरफ से यह तय नहीं हुआ है कि किस सीट से पार्टी चुनाव लड़ेगी। हमारी पार्टी सातों विधानसभा पर पूरी तैयारी कर रही है। गोपालपुर में सुरेश भगत तो करीब छह माह पहले घर-घर जनसंपर्क अभियान चलाए हुए हैं। नाथनगर में भी हमारी पार्टी का रिकॉर्ड अच्छा और मजबूत रहा है।
विपक्षी खेमे में भी हलचल
इधर, विपक्षी खेमे में भी हलचल कम नहीं है। इंडी गठबंधन के सहयोगी वीआईपी ने खासकर सुल्तानगंज सीट पर फोकस किया है। पार्टी नेता लगातार इलाकों में सक्रिय हैं और राजद–कांग्रेस के साथ तालमेल साधने की कोशिश कर रहे हैं। इससे यहां की सियासत और भी दिलचस्प हो गई है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पिछली बार अलग होकर चुनाव लड़ने वाली लोजपा अब जब एनडीए में लौट आई है, तो उसकी सीटों की दावेदारी को टालना मुश्किल होगा।
समीकरण बनाने में जदयू और भाजपा को अतिरिक्त मेहनत करनी होगी, क्योंकि कई सीटों पर उनकी भी परंपरागत दावेदारी है। कुल मिलाकर, भागलपुर जिले की चारों सीटें इस बार राजनीति का केंद्र बनने जा रही हैं।
पिछली बार की नाराजगी और इस बार की वापसी के बीच लोजपा खुद को नई ताकत के साथ पेश कर रही है, वहीं, विपक्षी खेमे में वीआईपी की सक्रियता मुकाबले को और पेचीदा बना रही है।
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