Bihar Jamabandi: गंगा के गर्भ से निकली जमीन, अब जमाबंदी का इंतजार कर रहे रैयत; सरकार को दी चेतावनी
बिहपुर के सोनवर्षा गंगा दियारा में गंगा की धारा बदलने से किसानों की जमीन वापस आ गई है। किसान सरकार से जमीन पुराने मालिकों के नाम पर दर्ज करने की मांग ...और पढ़ें

संवाद सूत्र, बिहपुर। प्रखंड के सोनवर्षा गंगा दियारा में किसानों की वो जमीन जो गंगा की धारा बहने के कारण बिहार सरकार की हो गई थी, वह जमीन गंगा की धारा बदलने के कारण अब गंगा के गर्भ से निकल गई है। किसानों व रैयतों द्वारा सरकार व जिला प्रशासन से लगातार मांग की जा रही है कि गंगा की गर्भ से निकली जमीन की उसके पुराने रैयतों व उत्तराधिकारियों के नाम जमाबंदी हो।
अगर उक्त जमीन पुराने रैयतों के नाम से जमाबंदी न कर किसी अन्य को दे दी गई तो यह एक बड़े फसाद का कारण बनेगी। बता दें कि गत वर्ष इस मुद्दे को लेकर प्रखंड के बिहपुर दक्षिण/सोनवर्षा पंचायत में बिहार राज्य किसानसभा के बैनर तले इलाके के किसानों व रैयतों का क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ था।
मुखिया नीनारानी की अध्यक्षता व प्रणेश समदर्शी के संचालन में हुए इस सम्मेलन में क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों के किसान व रैयत पहुंचे थे। इन बातों को गत वर्ष को सोनवर्षा में ही जनसंवाद कार्यक्रम में पहुंचे तत्कालीन डीएम सुब्रत सेन, एसपी एसके सरोज, डीडीसी कुमार अनुराग व एसडीओ उत्तम कुमार समेत बीडीओ व सीओ के समक्ष भी प्रमुखता से रखा गया था।
साथ ही आवेदन भी सौंपा गया था। जिस पर डीएम ने इस दिशा में विधिसम्मत साकारात्मक पहल करने की बात कही थी, लेकिन इस दिशा में सरकारी पहल आजतक नहीं हुआ। किसान अब अपनी इस मांग को लेकर चरणबद्ध आंदोलन शुरू करेंगे।
कॉमरेड प्रणेश समदर्शी ने कहा कि आंदोलन की अगली कड़ी में अंचल कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन होगा। जिसकी तिथि की घोषणा जल्द कर दी जाएगी। वहीं, इस सम्मेलन में कहा गया कि किसानों की ऐसी जमीन जो पानी में है, पानी आ जाने के कारण किसान का जुड़ाव अपनी जमीन से कुछ समय के लिए नहीं रहता है। उसका स्वामित्व रैयतों को सुपुर्द करने व उक्त पानी वाली जमीन पर से मछुआरा संघ के अधिकार से मुक्त कराने व इसको लेकर आगे की रणनीति व आंदोलन की रूपरेखा पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाएगा।

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