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    Modi Cabinet 2024: 'कोसी-सीमांचल का कोई माई-बाप नहीं...', मोदी कैबिनेट में नहीं मिली सांसदों को जगह

    Updated: Tue, 11 Jun 2024 03:02 PM (IST)

    परिसीमन के पहले जब सहरसा लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में था तो सुपौल जिले के बलुआ बाजार निवासी ललित नारायण मिश्र को इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में रेल मंत्री के रूप में जगह मिली। समस्तीपुर में उनकी हत्या के बाद उनके छोटे भाई डा. जगन्नाथ मिश्र सक्रिय राजनीति में आए। उन्हें भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के साथ-साथ मुख्यमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ।

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    शपथ ग्रहण के बाद लोगों का अभिवादन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- ANI)

    संजय सिंह, भागलपुर। कोसी और सीमांचल की धरती राजनीतिक रूप से उर्वर रही है। यहां एक से बढ़ कर एक सांसदों की कर्म और जन्मस्थली है। यहां की राजनीति कोसी की धार की तरह करवट लेती रहती है। पूर्व के 10 राजनीतिक दिग्गजों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका मिला। विगत 10 वर्षों से इस इलाके का कोई भी सांसद केंद्रीय मंत्रिमडल का सदस्य नहीं बन सका।

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    पिछले आम चुनाव में इस इलाके से जदयू के चार और बीजेपी-कांग्रेस के एक-एक सांसद चुने गए थे। इस लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र का राजनीतिक गणित थोड़ा उलट हो गया। किशनगंज के अलावा कटिहार और पूर्णिया की सीट पर कांग्रेस और निर्दलीय का कब्जा हो गया। ये दोनों सीटें पूर्व में जदयू के खाते में थीं।

    राजनीतिक उलट-पुलट के बावजूद यहां के मतदाताओं को लगता था कि इस इलाके का कोई न कोई सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जरूर शामिल होगा। मधेपुरा की धरती आजादी के समय ही राजनीतिक रूप से उर्वर रही है। इस इलाके का प्रतिनिधित्व बीपी मंडल, लालू प्रसाद यादव और शरद यादव सरीखे लोग कर चुके हैं।

    लालू प्रसाद यादव मधेपुरा और छपरा से एक साथ चुनाव जीते थे। तब उन्होंने मधेपुरा की सीट छोड़ दी और केंद्रीय मंत्रिमडल में रेल मंत्री बन गए। शरद यादव ने भी मध्य प्रदेश से यहां आकर मधेपुरा को अपनी कर्मस्थली बनाया। वे मधेपुरा से चार बार सांसद रहे। उन्हें भी केंद्रीय मंत्रिमडल में जगह मिली थी। उनके निधन के बाद जदयू के टिकट पर दिनेश चंद्र यादव दूसरी बार मधेपुरा के सांसद बने।

    उसके पहले वे सहरसा और खगड़िया से भी सांसद रह चुके हैं। उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में अब तक स्थान नहीं मिला। मधेपुरा के ही बीपी मंडल भले ही केंद्रीय मंत्री नहीं बने हों, पर उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री और मंडल कमीशन का चेयरमैन बंनने का अवसर मिला।

    परिसीमन के पहले जब सहरसा लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में था तो सुपौल जिले के बलुआ बाजार निवासी ललित नारायण मिश्र को इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में रेल मंत्री के रूप में जगह मिली। समस्तीपुर में उनकी हत्या के बाद उनके छोटे भाई डा. जगन्नाथ मिश्र सक्रिय राजनीति में आए। उन्हें भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के साथ-साथ मुख्यमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ। इन दोनों भाइयों के अलावा इस इलाके का कोई भी सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल का सदस्य नहीं बन सका।

    कोसी और सीमांचल का कोई माई-बाप नहीं रह गया है। यह इलाका राजनितिक रूप से काफी उर्वर रहा है। विगत 10 वर्षों से इस इलाके के किसी भी सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। - किशोर कुमार मुन्ना, पूर्व विधायक, सहरसा

    राज्य मंत्रिमंडल में कोसी और सीमांचल के चार सदस्य

    सामाजिक और राजनितिक पैठ को मजबूत बनाने के उद्देश्य से कोशी और सीमांचल के चार विधायकों को नीतीश मंत्रिमंडल में जगह मिली है। इनमें से दो भाजपा और दो जदयू कोटे के मंत्री है। सुपौल और छातापुर के विधायक विजेंद्र नारायण और नीरज बबलू राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य हैं। इधर, पूर्णिया की जदयू नेत्री लेसी सिंह भी मंत्री हैं।

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