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    Know your District : 29 वर्ष पहले लालू यादव ने श्रृंगीऋषि की तपोभूमि को दिया जिला का दर्जा, रामायण से जुड़ा है लखीसराय

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 01 Aug 2022 11:41 AM (IST)

    Know your District रामायाणकालीन है लखीसराय का इतिहास यह है श्रृंगीऋषि की तपोभूमि। 03 जुलाई 1994 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने लखीसराय को जिला का दर्जा दिया था। पहले यह जिला मुंगेर का हिस्‍सा था।

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    Know your District : बिहार का लखीसराय जिला।

    मुकेश कुमार, लखीसराय। Know your District : पहाड़ों और जंगलों से घिरे नदियों की कल-कल करती हुई धारा के बीच स्थित बिहार राज्‍य के लखीसराय जिला का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। 29 वर्ष पूर्व बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल में लखीसराय के पूर्व विधायक कृष्‍णचंद्र प्रसाद सिंह के अथक प्रयास से लखीसराय को 03 जुलाई 1994 को जिला का दर्जा दिया था। जिला का स्थापना दिवस यहां के लोगों के लिए अपना एक अलग महत्व रखता है।

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    अपनी नई पहचान के साथ जिले का विकास तेजी के साथ हो रहा है। काफी चीजें बदल गई हैं। जिला बनने से पूर्व लखीसराय मुंगेर जिला का एक अनुमंडल था। यह जिला बिहार राज्य के पूर्वी भाग में गंगा की सीमा को छुते हुए इसकी सहायक नदी किउल के किनारे बसा हुआ है। जिले के उत्तरी भाग में गंगा नदी और पश्चिमी भाग में हरुहर नदी बहती है। जिला का मुख्यालय लखीसराय शहर में है जो अपने आप में एक पूर्ण रूप से व्यवसाय का प्रमुख केंद्र है।

    इतिहासकारों के अनुसार लखीसराय की स्थापना पालवंश के समय में धार्मिक एवं प्रशासनिक केंद्र के रूप में की गई थी। बौद्ध साहित्य में इस स्थान को अंगुत्री के नाम से जाना जाता है। द्वापर युग में अंग प्रदेश का यह सीमांत क्षेत्र था जो कृमिला के नाम से जाना जाता था। पाल काल में उस समय के शासक मंदिरों एवं धार्मिक स्थलों के निर्माण में काफी रूचि लेते थे। यही कारण है कि इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मंदिर और धार्मिक स्थल है। पर्यटन की दृष्टि से भी यह जिला अपना एक ऐतिहासिक महत्व रखता है। यह जिला नक्सल प्रभावित जिला की श्रेणी में भी आता है। जिले के चानन और सूर्यगढ़ा प्रखंंड क्षेत्र का जंगली पहाड़ी इलाका प्राकृतिक छठा से परिपूर्ण है।

    भौगोलिक स्थिति

    • जिले में कुल सात प्रखंड हैं। लखीसराय, सूर्यगढ़ा, बड़हिया, पिपरिया, हलसी, रामगढ़ चौक एवं चानन प्रखंड।
    • जिले का क्षेत्रफल - 1,228 वर्ग किलोमीटर।
    • जिले का भौगोलिक क्षेत्र - 2,29,377 हेक्टेयर, दियारा क्षेत्र 20,946 हेक्टेयर तथा टाल 10,660 हेक्टेयर का है।

    • जिले में दो विधानसभा सीटें हैं, जिनका नाम- लखीसराय और सूर्यगढ़ा है। यह जिला मुंगेर लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत आता है।
    • लखीसराय जिले में कुल सात प्रखंड में 76 पंचायतें हैं, जिनके अंतर्गत कुल 460 राजस्व गांव आते हैं। जिले में नगर परिषद लखीसराय, नगर परिषद बड़हिया और नगर परिषद सूर्यगढ़ा निकाय क्षेत्र है।
    • 2011 की जनगणना के अनुसार लखीसराय की कुल जनसंख्या 10,00,717 है। जिले की साक्षरता दर 58 फीसदी है। लिंग अनुपात 907 है। कुल मतदाता 6,05,483 है।

    धार्मिक और पर्यटन स्थल

    लखीसराय जिला प्रकृति की गोद में बसा है। यहां का ज्‍वालप्‍पा स्थान मंदिर, श्रृंगीऋषि धाम मंदिर के अलावा बिहार के बाबाधाम के रूप में विख्यात श्री इन्द्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोकधाम, मां वैष्‍णो देवी के संस्‍थापक श्रीधर ओझा द्वारा स्‍थापित बड़हिया स्थित शक्तिपीठ मां बाला त्रिपुर सुंदरी जगदंबा मंदिर, सूर्यगढ़ा प्रखंड के कटेहर में बाबा गौरी शंकर धाम, सहूर गांव स्थित रामेश्वर धाम मंदिर, रामपुर गांव स्थित गोविंद बाबा मंदिर पर्यटन की दृष्टि से काफी प्रमुख स्थान है। बिहार सरकार ने पर्यटन रोडमैप में इन मंदिरों को शामिल किया है। नगर परिषद लखीसराय अंतर्गत रजोना चौकी गांव में अशोकधाम मंदिर भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है।

    धार्मिक मान्यता के अनुसार इसे बिहार का बाबाधाम कहा जाता है जहां सबसे विशाल प्राचीन शिवलिंग अवस्थित है। यहां सावन माह में बिहार सहित देश के अन्य राज्यों से लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक करने आते हैं। लखीसराय शहर स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर और छोटी दुर्गा मंदिर भी जिले के प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में व‍िख्यात है। इन दोनों मंदिरों की भव्यता और दिव्यता आकर्षण का केंद्र बन चुका है।

    रामायणकालीन यानी त्रेतायुग के राजा दशरथ के चार पुत्रों के जन्‍म से पूर्व इसी जिले के पहाड़ों और जंगलों के बीच महान तपस्‍वी श्रृंगीऋषि के आश्रम में पुत्रेष्‍ठ‍ि यज्ञ यज्ञ हुआ था। कथाओं के अनुसार खुद अयोध्‍या से राजा दशरथ यहां पुत्र रत्‍न की प्राप्‍ति की इच्‍छा को लेकर आए थे। फि‍र श्रृंगीऋषि के आशीर्वाद एवं अनुष्‍ठान से श्री राम सहित चारों भाई का जन्‍म अयोध्‍या में राजा दशरथ की रानियों के गर्भ से हुआ था। पुत्र प्राप्‍ति के बाद राजा दशरथ फ‍िर यहां आए थे और अपने पुत्रों का मुंडन संस्‍कार कराया था। यह धाम आज भी पहाड़ों और जंगलों के बीच है।

    अर्थव्यवस्था : दाल और चावल का कटोरा है लखीसराय

    अर्थव्यवस्था की बात करें तो लखीसराय जिले की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। जिले के बड़हिया टाल का इलाका दलहन फसल के उत्पादन में पूरे देश मे अग्रणी है।इसलिए इसे दाल का कटोरा कहा जाता है। इसके अलावा जिले में धान का उत्पादन भी होता है। इसलिए इसे चावल का कटोरा भी कहा जाता है। यहां की मुख्य फसलों में धान, गेहूं, मक्का, मसूर, मटर, चना है। जिले में 100 से अधिक राइस मिलें संचालित है।

    शिक्षा-दीक्षा के बारे में

    जिले का केंद्रीय विद्यालय लखीसराय, जवाहर नवोदय विद्यालय बड़हिया प्रमुख शिक्षण संस्थान है। जिले के प्रमुख कालेज में केएसएस कालेज लखीसराय, बीएनएम कालेज बड़हिया के अलावा महिला कालेज बड़हिया, इंटरनेशनल कालेज घोसैठ, आर लाल कालेज लखीसराय है। वहीं सरकारी स्कूलों की बात करें तो 110 हाई स्कूल, 480 प्राथमिक विद्यालय, 291 मध्य विद्यालय, सात सीबीएसई निजी विद्यालय संचालित है। इसके अलावा जिले में राजकीय आइटीआइ लखीसराय, इंजीनियरिंग कालेज लखीसराय, पालीटेक्‍न‍िक कालेज, जीएनएम और एएनएम स्कूल, छह कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय, भीमराव आंबेडकर बालिका आवासीय विद्यालय है।

    बड़हिया का रसगुल्ला देश भर में विख्यात

    छोटी अयोध्या के रूप में बड़हिया नगर जाना जाता है। यहां सबसे अधिक ठाकुरबाड़ी और मंदिर है। यहां की पहलवानी और सावन माह में झूलन महोत्सव काफी ख्याति प्राप्त रहा है। बड़हिया का रसगुल्ला विख्यात है। यहां का रसगुल्ला बिहार सहित देश के अन्य राज्यों में भी लोग शादी एवं अन्य समारोहों के लिए ले जाते हैं।

    राजकीय स्मारक लाली पहाड़ी से जुड़ा है बौद्ध धर्म का सर्किट

    लखीसराय शहर के वार्ड नंबर 33 में जयनगर लाली पहाड़ी को राज्य सरकार ने राजकीय स्मारक घोषित किया है। इस पहाड़ी की सरकार ने खोदाई कराई है। खोदाई में मिले पौराणिक अवशेष से यह पहाड़ी बौद्ध मठ के रूप में चिह्नित हुआ है। यहां महिला बौद्ध साधना केंद्र रहा है। इस जिले में भगवान बुद्ध ने तीन वर्षावास बिताया है। खोदाई में इस पहाड़ी पर बौद्धमठ स्तूप और बौद्ध बिहार होने का स्पष्ट प्रमाण मिला है। इसके अलावा जिला अंतर्गत उरैन पहाड़ी, सत्संडा पहाड़, पवई, लय, बालगुदर, रामसीर, बिछवे, घोषीकुंडी पहाड़ी में भी बौद्ध कालीन अवशेष दफन है।

    शहर में बना विश्वस्तरीय संग्रहालय

    लखीसराय शहर में अशोक धाम के पास ही बालगुदर गांव में 26 करोड़ की लागत से विश्वस्तरीय संग्रहालय का निर्माण कराया गया है। राजकीय स्मारक लाली पहाड़ी, अशोकधाम मंदिर सहित जिले के अन्य क्षेत्रों में खोदाई में मिली पौराणिक मूर्तियों को इसी संग्रहालय में संरक्षित किया जाएगा। यह संग्रहालय जिले के विकास और जिले को बौद्ध सर्किट से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगा।