Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar News: नहीं रहे हिंदुत्व की अलख जगाने वाले कामेश्वर यादव, 'कमेसर पहलवान' नाम से थी ख्याति

    By Kaushal Kishore Mishra Edited By: Shashank Shekhar
    Updated: Wed, 03 Jan 2024 08:58 PM (IST)

    हिंदुत्व का अलग जगाने वाले चर्चित कामेश्वर यादव की बुधवार शाम को निधन हो गया। उनका निधन परबत्ती स्थित घर पर हो गया। निधन की सूचना मिलते ही लोगों की भारी भीड़ उनके आवास पर जमा हो गई। देश के भीषण दंगों में एक 1989 के भागलपुर दंगे में उन्हें पहले मुख्य आरोपित बनाया गया था। पुलिस जांच में केस फाइनल हो गया।

    Hero Image
    Bihar News: नहीं रहे हिंदुत्व की अलख जगाने वाले कामेश्वर यादव, 'कमेसर पहलवान' नाम से थी ख्याति

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। गंवई शैली में माथे पर मुरेठा बांध हिंदुत्व की अलख जगाने वाले चर्चित कामेश्वर यादव बुधवार की शाम चिर निंद्रा में खो गए। उनका निधन परबत्ती स्थित घर पर हो गया। उनके निधन की जानकारी पर लोगों की भारी भीड़ परबत्ती स्थित आवास पर जमा हो गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देश के भीषण दंगों में एक 1989 के भागलपुर दंगे में उन्हें पहले मुख्य आरोपित बनाया गया। पुलिस जांच में केस फाइनल हो गया। नीतीश सरकार ने भागलपुर दंगे के कुछ वैसे कांडों को री-ओपन किया था जिसमें यह आरोप सामने आते रहे कि पुलिस ने तब सही जांच नहीं की थी।

    उन कांडों में कामेश्वर यादव से जुड़े केस भी शामिल थे। केस री-ओपन हुआ। केस में उम्रकैद की सजा मिली लेकिन ऊपर की अदालत से उन्हें पर्याप्त साक्ष्य नहीं रहने पर 2017 में रिहा कर दिया गया था।

    कामेश्वर यादव के समर्थकों की रही खासी तादाद 

    चांद मिश्रा के अखाड़े से तप कर निकले कामेश्वर यादव कमेसर पहलवान के नाम से अच्छी ख्याति प्राप्त की थी। उनकी ख्याति और हिंदुत्व के अलग जगाने की ललक देख हिंदू महासभा ने उन्हें नाथनगर से पार्टी का प्रत्याशी बनाया था। तब कामेश्वर यादव को इतनी वोट मिली थी कि जीत के करीब पहुंच गए थे।

    तब टीएनबी कालेज के प्रोफेसर रहे कृष्णानंद यादव के मैदान में आ जाने से उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था। लेकिन हिंदुत्व का अलख जगाना नहीं भूले। भागलपुर दंगे में उन्हें जब जेल जाना पड़ा तो जेल में भी पहलवानी की पाठशाला लगानी शुरू कर दी थी। जेल में उनके पहलवानी अखाड़े में कई विचाराधीन बंदियों ने पहलवानी सीख ली। कुछ ने घोघा से लेकर वाराणसी, आगरा, मुरैना, प्रयागराज में पहलवानी में मेडल भी जीते।

    29 जून 2017 को दंगा कांड में मिली थी सजा से मिली मुक्ति

    भागलपुर दंगे के मुख्य आरोपित के रूप में कामेश्वर यादव को पटना उच्च न्यायालय ने निर्दोष मानते हुए उम्रकैद की सजा जेल में दस साल से काट रहे कामेश्वर यादव को 29 जून 2017 को सजा मुक्त कर दिया था। सजा मुक्ति को लेकर दो न्यायाधीशों में मतांतर को लेकर फैसले में देर हुई थी।

    तीन सितंबर 2015 को न्यायाधीश धरणीधर झा ने उन्हें अपराध मुक्त कर दिया था। लेकिन न्यायाधीश ए अमानुल्लाह ने न्यायाधीश झा के फैसले से इत्तेफाक नहीं रखते हुए कामेश्वर यादव के उम्रकैद की सजा को सही ठहराया था। तब मुख्य न्यायाधीश ने तीसरे न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह के पास विचारण के लिए भेज दिया था। अश्वनी कुमार सिंह ने कामेश्वर यादव को 2017 में निर्दोष करार देते हुए सजा मुक्त कर दिया था।

    उन्हें उम्रकैद की सजा 2007 में भागलपुर के तत्कालीन सप्तम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शंभू नाथ मिश्रा ने सुनाई थी। केस कोतवाली थानाकांड संख्या 77-90, 83-90 से संबंधित था। 77-90 में तत्कालीन छठे अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविंद माधव ने मुहम्मद मुन्ना की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

    देश के इतिहास का बदनुमा दाग था भागलपुर दंगा

    24 अक्टूबर 1989 से 6 दिसंबर 1989 तक चला भागलपुर दंगा देश के इतिहास का बदनुमा दाग था। जिसे याद कर आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। दंगा समाप्ति के कुछ दिनों बाद तक तो माहौल बिल्कुल शांत रहा पर उसके बाद 22 और 23 फरवरी 1990 को भी दो घटनाएं घटी थी।

    तब सरकारी आंकड़े में पहले 1070 फिर बाद में 1161 लोगों के मारे जाने की बात कही गई। जबकि जस्टिस शमसुल हसन और आरएन प्रसाद कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार 1852 लोग मारे गए थे। 524 लोग घायल हुए थे। 11 हजार 500 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे। 600 पावर लूम, 1700 हैंड लूम क्षतिग्रस्त हुए थे। सरकारी आंकड़े के अनुसार 68 मस्जिद, 30 मजार भी क्षतिग्रस्त हुए थे। दंगे में कुल 48 हजार लोग प्रभावित हुए थे। कई पीड़ितों की जमीन जबरन लिखा ली गई थीं।

    1989 के दंगे में विभिन्न थानों में कुल 886 मामले दर्ज किए गए थे। अनुसंधान के पश्चात 329 मुकदमों में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। भागलपुर में 265 और बांका जिले में 64 आरोप पत्र दाखिल किए गए। 329 मामलों से संबंधित मुकदमे का ट्रायल भागलपुर न्यायालय में आरंभ हुआ। इनमें 142 सेशन ट्रायल थे जो बड़े अपराध से संबंधित थे। शेष मजिस्ट्रेट न्यायालय के ट्रायल थे।

    100 केस में आरोपियों की हुई थी रिहाई

    वर्ष 2000 में दंगे से संबंधित 100 केस में साक्ष्य के अभाव में आरोपियों की रिहाई हो गई थी। जुलाई 2000 में सिर्फ तीन दर्जन बड़े सेशन ट्रायल न्यायालय में लंबित थे। 886 केसेस में 557 केसेस की फाइनल रिपोर्ट न्यायालय में तत्कालीन पुलिस ने सौंप दी थी।

    कामेश्वर यादव भी कर दिए गए थे बरी

    दंगा कांड के मुख्य आरोपी हिन्दू महासभा से जुड़े चर्चित कामेश्वर यादव एवं अन्य को साक्ष्य रहते हुए तब बरी कर दिया गया था। बाद में नीतीश कुमार की सरकार आई तो दंगे के ऐसे मामलों की सुध ली गई।

    27 मामले फिर खोले गए

    फरवरी 2006 में नीतीश कुमार की सरकार सत्ता में आई तो 1989 के दंगे से संबंधित 27 केस को फिर से खोला गया। इनमें 19 मामलों में साक्ष्य के आधार पर फिर से आरोप पत्र पुलिस ने दाखिल किया। कामेश्वर यादव को भी दो केस में आरोपी बनाया गया।

    कोतवाली तातारपुर थाना कांड संख्या 83-90 में जुलाई 2007 को तत्कालीन सप्तम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शंभू नाथ मिश्र ने कामेश्वर यादव को उम्र कैद दी थी। इस कांड की सूचक बीबी बलीमा थी।

    कोतवाली तातारपुर थाना कांड संख्या 77-90 में भी कामेश्वर यादव को उम्र कैद दिया गया। तब यहां के छठे अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविंद माधव ने मु. नसीरुद्दीन मियां के बेटे मु. मुन्ना की हत्या मामले में कामेश्वर यादव को उम्र कैद दी थी।

    तब कचहरी परिसर में कामेश्वर यादव समर्थकों ने खूब हंगामा किया था। मशाकचक दंगा कांड में अभियुक्त मंटू सिंह को तत्कालीन तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश झुलानंद झा ने सजा उम्र कैद दी थी।

    346 से अधिक लोगों को हो चुकी है सजा

    दंगा मामले में अबतक न्यायालय में 346 से अधिक लोगों को सजा हो चुकी है। इनमें 128 लोगों को उम्र कैद तथा शेष को 10 साल के अंदर तक की सजा मिली है। बिहार सरकार की तरफ से दंगा पीड़ितों को मुआवजा मिल चुके हैं। पेंशन भी दी जा रही है।

    बिहार सरकार ने दंगे के दौरान जबरन कब्जा किए गए 17 स्थानों को मुक्त कराया। 28 फरवरी 2015 को जस्टिस एमएन सिंह की कमीशन ने सरकार को एक रिपोर्ट दी, जिसमें कहा गया है कि 80 बिक्री की गई जमीन जायदाद जो जबरन दंगा पीड़ितों से खरीदी या हथिया ली गई, उन्हें डिस्ट्रेस सेल घोषित किया गया।

    ये भी पढ़ें: Bihar DElEd: बिहार डीएलएड में एडमिशन को लेकर आया बड़ा अपडेट! इस दिन से शुरू होगा नामांकन

    ये भी पढ़ें: 'हरा रंग लेकर घूमेंगे तो कहेगा नफरत पैदा करता है...', Tejashwi Yadav फिर भड़के, राम मंदिर पर खर्च को लेकर कह दी बड़ी बात