Jharkhand Cabinet: झारखंड में मंत्री बनने की ख्वाहिश पाले MLA का चल रहा जोड़-तोड़, इन नेताओं की दावेदारी मजबूत
Jharkhand New Cabinet Minister List 2024 झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद मंत्री पद की इच्छा रखने वाले विधायकों का दांव-पेंच का खेल शुरू हो ...और पढ़ें

संजय सिंह,भागलपुर। : झारखंड विधानसभा का चुनाव परिणाम आए कुछ ही दिन बीते हैं कि संथाल परगना के नवनिर्वाचित विधायकों के बीच मंत्री पद पाने के लिए जोर की आजमाइश शुरू हो गई है। कांग्रेस और राजद के विधायक मंत्री पद पाने के लिए दिल्ली और पटना का दौड़ लगा रहे हैं।
अल्पसंख्यक और अगड़ी जाति के विधायक जातीय समीकरण के आधार पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। कुछ विधायकों को अपने अनुभवों पर भी गर्व है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन भी इस रेस में पीछे नहीं हैं।संथाल परगना के छह जिले में विधानसभा की 18 सींटे हैं।
पिछले चुनाव की तुलना में जेएमएम का प्रदर्शन सबसे शानदार रहा
पिछले चुनाव की तुलना में इस बार के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा का प्रदर्शन सबसे शानदार रहा। भाजपा को इस चुनाव में तीन सीटों का नुकसान हुआ है। कांग्रेस को भी पिछले चुनाव की तुलना में एक सीट कम आई। झामुमो और राजद को दो-दो सीटों का लाभ हुआ। सबसे ज्यादा मंत्री बनने की आजमाइश कांग्रेस और राजद में हैं। झामुमो के विधायकों को मुख्यमंत्री हेमत सोरेन के निर्णय पर पूरा भरोसा है।
हालांकि, झामुमो के विधायक भी अपनी गोटी फिट करने में किसी से कम नहीं हैं।गोड्डा जिले के पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट से प्रदीप यादव छठी बार विधायक चुने गए हैं। वे अपने अनुभवों के आधार पर मंत्री पद के दावेदार हैं लेकिन गोड्डा से ही राजद के टिकट पर चुनाव जीते संजय यादव की भी दोवदारी कमतर नहीं है। दोनों यादव जाति से आते हैं। इस समीकरण का लाभ कांग्रेस या आरजेडी के विधायक को मिलेगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन अपनी दावेदारी के लिए दोनों अपने-अपने दलों के आलाकमान के पास अपनी मंशा स्पष्ट कर चुके हैं।
कांग्रेस के टिकट पर महगामा विधानसभा क्षेत्र के दीपिका सिंह पांडेय भी दूसरी बार चुनाव जीती हैं। इन्हें कृषि मंत्री बनने का मौका मिला। महिला और पूर्व मंत्री होने के साथ-साथ कांग्रेस कोटे पर भी इनकी नजर है। ये दिल्ली दरबार में अपनी दावेदारी मजबूती से पेश कर रही हैं। इन्हें पूरा भरोसा है कि न्याय तो दिल्ली दरबार से ही मिलेगा। राजद के संजय यादव भी पार्टी के सुप्रीमो तेजस्वी यादव से संपर्क साधे हुए हैं। साहिबगंज के बरहेट विधानसभा से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वयं विधायक हैं।
किसकी कितनी दावेदारी
बोरियो से झामुमो सांसद लोबीन हेंब्रम पुत्र धनंजय हेंब्रम पहली बार विधायक बने हैं। इन्हें मंत्री बनने के लिए इंतजार करना होगा। राजमहल सीट वर्षों से भाजपा के कब्जे में था। इस बार इसी सीट को झामुमो प्रत्याशी एमटी राजा ने झटका है। अल्पसंख्यक होने के साथ-साथ इनका दावा यह है कि भाजपा जैसी पार्टी को इन्होंने शिकस्त दी है। बाबा वैद्यनाथ की नगरी देवघर की सीट पर राजद ने कब्जा जमाया है।
सुरेश पासवान समेत इन नेताओं की दावेदारी मजबूत
राजद विधायक सुरेश पासवान पहले भी मंत्री रह चुके हैं। अनुसूचित समाज से आने के कारण इनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। मधुपुर के विधायक हफीजुल अंसारी अल्पसंख्यक होने के साथ-साथ मंत्री भी रह चुके हैं। सारठ विधानसभा से इस बार उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह झामुमो के टिकट पर चुनाव जीते हैं।
सवर्ण जाति के होने के साथ-साथ ये पांच बार विधायक बने हैं। अपने अनुभव और सवर्ण जाति के होने के कारण इनकी दावेदारी को भी प्रबल माना जा रहा है। पाकुड़ से कांग्रेस के विधायक पहले आलमगीर आलम थे भ्रष्टाचार के मामले में वे जेल में बंद हैं।
कांग्रेस ने इसबार उनकी पत्नी निसात आलम को चुनाव में उतारा था। चुनाव जीतने के बाद निसात रांची दरबार का दौड़ लगा चुकी है। जामा की विधायक लुईस मरंडी भाजपा को छोड़ झामुमो में शामिल हुई थीं। जामा की जनता ने उन्हें चुनाव जीताकर विधानसभा भेजा।
भाजपा के मुख्यमंत्री रघुवर दास मंत्रिमंडल में लुईस शामिल थीं। यदि परिवारवाद को नजरअंदाज किया गया तो बसंत से ज्यादा मतबूत दावेदारी लुईस मरंडी की दिखती हैं। जामताड़ा के विधायक इरफान की दावेदारी भी मजबूत है। पाकुड़ विधायक आलमगीर आलम की जेल यात्रा के बाद इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। अल्पंसख्यकों के बीच अपनी पैठ मजबूत बनाए रखने के लिए इन्हें मौका मिल सकता है।

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