16 वर्षों से पाकिस्तानी जेल में हैं बिहार का युवक, वापस लाने के लिए पिता ने उठाए हरेक कदम, क्या अब श्राद्धकर्म में पुत्र हो पाएंगे शामिल!
बिहार के जमुई निवासी एक युवक पाकिस्तान जेल में बंद है। 16 वर्षों से उसकी रिहाई के लिए उसके पिता प्रयास करते रहे। लेकिन रिहा नहीं करवा सके। अब पिता की मौत हो गई। क्या पिता के श्रद्धकर्म में पुत्र शामिल हो पाएंगे!
संवाद सूत्र, चंद्रमंडी (जमुई)। पाकिस्तान की जेल में 16 सालों से बंद पुत्र के आने से पहले ही मौत ने नूनूनाल राणा को गले लगा लिया। अपने पुत्र से मिलने की एक पिता की हसरत अधूरी रह गई। यूं कहा जाए कि पुत्र के आने से पहले ही मौत ने पिता को गले लगा लिया। यह वाकया पेतरपहाड़ी पंचायत के जमुनी गांव निवासी 90 वर्षीय नुनुलाल राणा के साथ हुआ है। पुत्र के वियोग और बीमारी की चिंता के कारण नुनुलाल राणा कि शुक्रवार को मौत हो गई।
नुनुलाल राणा के पुत्र उपेंद्र शर्मा ने बताया कि वह चार भाई है। उनके सबसे छोटे भाई नरेश राणा साल 2006 में कमाने के लिए सूरत गया था। सूरत में वह मछली पकड़ने का काम करता था। इसी दौरान एक दिन वह भटक कर पाकिस्तान की सीमा में चला गया। वहां लाहौर के बांटापुर में पाकिस्तान की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। तब से वह उसी जेल में बंद है। काफी खोजबीन के बाद भी उसका कोई सुराग नहीं मिलने पर घर वालों ने मृत मानकर दस साल बाद नरेश का श्राद्ध कर्म भी कर दिया था।
लेकिन गृह विभाग की एक विज्ञप्ति के बाद नरेश के पाकिस्तान की जेल में बंद रहने की सूचना मिली। उसके पिता नंदलाल राणा ने अपने पुत्र की पाक से रिहाई के लिए जमुई के सांसद चिराग पासवान से लेकर तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तक गुहार लगाई, लेकिन नरेश को भारत नहीं लाया जा सका। पुत्र के वियोग में धीरे-धीरे नुनुलाल राणा चिंता और बीमारी के कारण कमजोर होते गए और आखिरकार शुक्रवार को नुनुलाल राणा की सांसें थम गई। राणा की मौत से गांव में मातम का माहौल है। क्या पिता की मौत के बाद भी पुत्र वापस यहां आ पाएंगे, लोग इस प्रश्न को पूछ रहे हैं।
लोगों ने कहा कि जब से मृतक का पुत्र पाकिस्तान में था, वह दिन रात उसे वापस लाने के लिए प्रयास करता रहा। हरेक व्यक्ति से गुहार लगायी। लेकिन कोई उपाय हाथ नहींं लगा। उसके आने के पहले ही उसकी पिता की मौत हो गई।
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