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विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष : शांति और सुकून देता है तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य सिद्धक्षेत्र Bhagalpur News

करीब पांच एकड़ में फैला चंपापुर दिसंबर जैन सिद्धक्षेत्र श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। मंदिर का प्रवेश द्वार जयपुर के हवामहल की तर्ज पर है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 11:23 AM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 11:23 AM (IST)
विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष : शांति और सुकून देता है तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य सिद्धक्षेत्र Bhagalpur News
विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष : शांति और सुकून देता है तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य सिद्धक्षेत्र Bhagalpur News

भागलपुर [जितेंद्र]। भागलपुर शहर का पश्चिमी क्षेत्र नाथनगर और चंपानगर जैनियों का अति पवित्र तीर्थ स्थल है। यह स्थल आनंद के साथ शांति का अहसास कराता है, जहां सुकून के कुछ पल आराम से व्यतीत कर सकते हैं।

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यही एक ऐसा क्षेत्र है, जहां किसी तीर्थंकर के पांचों कल्याणक एक ही स्थान पर हुए। जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य का गर्भ जन्म, तप, दीक्षा और मोक्ष में पांचों कल्याणक हुआ है। इस दृष्टि से इस नगरी का विशेष महत्व है। इसे पंचकल्याण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने ढाई हजार वर्ष पूर्व तीन चातुर्मास चंपापुर में ही व्यतीत किए थे। इस मंदिर का निर्माण जयपुर के राजा सरदार श्रीदत्त संघवी ने करवाया था। बाद में इसमें कई निर्माण हुए।

मंदिर की क्या है विशेषता

करीब पांच एकड़ में फैला चंपापुर दिसंबर जैन सिद्धक्षेत्र श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। मंदिर का प्रवेश द्वार जयपुर के हवामहल की तर्ज पर है। इसमें 11 गुंबज हैं और 12 गुंबज भगवान वासुपूज्य के मंदिर का है। मंदिर में पाषाण और धातु की प्रतिमा स्थापित की गई है। परिसर में 19 बड़े मंदिरों के साथ 49 वेदियां है। इनमें 24 तीर्थंकरों की प्रतिमा स्थापित है। मूल मंदिर में भगवान वासुपूज्य का तीन हजार वर्ष पुराना वासुपूज्य चरण चिह्न और मूंगा वर्ण की प्रतिमा विराजमान है। मंदिर की पश्चिमी दिशा में देश की सबसे ऊंची भगवान वासुपूज्य की वेदी सहित 40 फीट ऊंची प्रतिमा है। रामायण, महाभारत और जैन महापुरुषों के जीवन चरित्र का सचित्र वर्णन कांच पर है। मुख्य मंदिर के सामने दो कीर्ति स्तंभ हैं। एक सुरंग मंदार पर्वत और दूसरा गिरीडीह के सम्मेत शिखर तक जाती था। ये स्तंभ ईरानी शैली में हैं।

आवागमन का साधन

भागलपुर रेलवे स्टेशन के पश्चिम सड़क मार्ग से 3.5 किलोमीटर दूरी पर मंदिर है। नाथनगर रेलवे स्टेशन से डेढ़ किलोमीटर दूरी पर है। पटना से रेल से यहां पहुंच सकते हैं। दूसरी जगहों से भी भागलपुर आने के लिए रेल व बस सेवा है।

श्रद्धालुओं के लिए खानपान की सुविधा

मंदिर परिसर में जैन यात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था है। नाथनगर बाजार में भी खानपान के लिए कई रेस्तरां हैं। आवास व भोजन के लिए भागलपुर में कई अच्छे होटल हैं। मंदिर परिसर में ठहरने के लिए लग्जरी से लेकर सामान्य कमरे भी हैं। मंदिर प्रबंधन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अच्छी व्यवस्था करता है।

पर्यटकों को दी जाती है जानकारी

मंदिर के महत्व और विशेषता से अवगत कराने के लिए मंदिर प्रबंधन व्यवस्था करता है। वहां प्रतिनियुक्त लोगों को इसके दर्शन कराते हैं और इसके इतिहास की जानकारी देते हैं।

विकास कार्य से बढ़ेंगे पर्यटक

कबीरपुर स्थित दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र मार्ग में जलजमाव की वजह से पर्यटक की संख्या में कमी हुई है। पूरी सड़क तालाब में तब्दील है। इससे स्थानीय रोजगार भी प्रभावित हुए हैं। सिद्धक्षेत्र मंत्री सुनील जैन ने कहा कि वर्ष 2015 से पहले 50 से 70 हजार श्रद्धालु हर वर्ष पहुंचते थे, लेकिन जलजमाव के कारण अब 20 हजार में सिमट गए हैं।

पर्यटन की है अपार संभावना

शहर में तीन दिगंबर जैन मंदिर हैं। पहला कोतवाली चौक के समीप, कबीरपुर में तेरहपंथी और बीसपंथी मंदिर है। वहीं स्टेशन चौक के समीप, लालकोठी, नाथनगर स्टेशन मार्ग के साथ तांती बाजार में ऐतिहासिक श्वेतांबर मंदिर भी है। यहां आने वाले श्रद्धालु मंदार पर्वत भी जाते हैं। जैन सर्किट से जोडऩे के बाद देश-विदेश के पर्यटकों को भ्रमण के लिए नया क्षेत्र मिल सकता है।


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