International Yoga Day 2022: स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा-इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए करें यह चार प्राणायाम
International Yoga Day 2022 शरीर और मन दोनों के लिए करें योग। बिहार स्कूल आफ योग और गंगा दर्शन मुंगेर के प्राचार्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि करो योग रहो निरोग। शारीरिक मानसिक व आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर होते हैं।

International Yoga Day 2022: प्राचीन काल में सामान्य तौर पर यह माना जाता था कि योग योगियों और संन्यासियों के लिए उपयोगी है। बिहार स्कूल आफ योग और गंगा दर्शन, मुंगेर के प्राचार्य स्वामी सत्यानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती बताते हैं कि योग योगियों के लिए नहीं, रोगियों, भोगियों व सामान्य जन के लिए भी उपयोगी है। प्राचीन काल में योग एक गुप्त विद्या थी। गुफाओं और पर्वतों आदि पर रहने वाले साधु-संन्यासी ही इसे जानते थे। तब इसे गुप्त विद्या माना जाता था। आज ऐसा नहीं है। आज की अति व्यस्त जीवनशैली में योग अहम भूमिका निभा सकता है। विश्वव्यापी कोरोना महामारी के दौरान योग ने कई लोगों को सहारा दिया है। योग के बारे में कहा जाता है-करो योग, रहो निरोग। योग करने से लोग शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर होते हैं। जिस प्रकार मोबाइल फोन को चलाने के लिए उसे चार्ज करना जरूरी है, उसी प्रकार आज की भाग-दौड़ की जिंदगी में शरीर को भी चार्ज करना जरूरी है। यह योग के माध्यम से ही हो सकता है। प्रदूषण और विषाक्त खाद्य पदार्थों से युक्त सामग्री का सेवन करने से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। मेडिकल साइंस भी मानता है दवा के साथ योग जरूरी है। योग, आसन व प्राणायाम से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है।
करोना से लडऩे में जल नेति का अभ्यास कारगर : कोरोना वायरस नाक से शरीर में प्रवेश करता है और सबसे पहले गले पर अटैक करता है। यह फेफड़े में जाता है। जल नेति से यह वायरस नाक में ही खत्म हो सकता है। कोरोना से पीडि़त व्यक्ति को सांस लेने में भी तकलीफ होती है। ऐसे में इस क्रिया से पूरी नासिका खुल जाती है। इससे फेफड़े को पर्याप्त आक्सीजन मिलता है। जिन्हें दमा, निमोनिया और ब्रांकाइटिस की बीमारी है, उन्हें भी इससे लाभ मिलता है। जल नेति नासिका मार्ग और साइनस में जमी हुई गंदगी को बाहर निकालता है। गले में जमे हुए कफ को बाहर करता है और यह क्रिया लगातार करने से कफ बनने की शिकायत दूर हो जाती है। दृष्टि दोष और कान के लिए भी यह फायदेमंद है। वायु प्रदूषण, एलर्जी से होने वाले बुखार और टांसिल को भी ठीक करने में यह मददगार होता है। इसके लिए विशेष पात्र की जरूरत होती है। इसके करने के लिए नमकीन हल्का गर्म पानी एक नासिका में डालकर दूसरी नासिका से निकाला जाता है। दूसरी नासिका के साथ भी यही क्रिया दोहराई जाती है। इसे प्रशिक्षक की मौजूदगी में ही शुरू करें।
चार प्राणायामों से मजबूत रहता है इम्यून सिस्टम : कोरोना से बचाव के लिए जल नेति क्रिया के अलावा चार प्राणायाम भी कारगर हैं। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इन चार प्राणायामों में कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका और भ्रामरी प्राणायाम शामिल हैं। जल नेति के बाद भस्त्रिका और कपालभाति जरूर करें। इसे करने से नाक से सारा पानी बाहर आ जाएगा और मस्तिष्क तरोताजा महसूस करेगा। जल नेति, भस्त्रिका और कपाल भाति को करने के बाद कम से कम एक घंटे तक कुछ भी नहीं खाएं। एक या दो गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर सकते हैं।
1. कपालभाति : यह फेफड़े और पेट के लिए काफी फायदेमंद है। इम्युनिटी को बढ़ाता है। उच्च रक्तचाप वाले इस प्राणायाम को धीरे-धीरे करें। इसे रोज कम से कम 15 मिनट जरूर करें। कपालभाति करने के लिए वज्रासन या पद्मासन में बैठ जाएं। दोनों हाथों की अंगुलियों को चित्त मुद्रा में रखें। गहरी सांस लें और पेट को अंदर की ओर खींचते हुए तेजी से सांस छोड़ें।
2. अनुलोम-विलोम : यह प्राणायाम शरीर के अंदर की हवा को शुद्ध करता है। फेफड़े को स्वस्थ रखने में यह सबसे ज्यादा फायदेमंद है। इस प्राणायाम को 10 से 15 मिनट तक करें। इस प्राणायाम को करने के लिए सुखासन में बैठ जाएं। दाहिने अंगूठे से नासिका बंद कर बायीं नासिका से सांस लें। इसके बाद दायें अंगूठे से बायें छिद्र को बंद कर दायें से सांस छोड़ दें। इसी तरह की क्रिया बायीं नासिका के साथ भी करें। 10 मिनट तक इसे कर सकते हैं।
3. भस्त्रिका : इसको करने के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। अगर पद्मासन में नहीं बैठ सकते हैं तो पैर मोड़कर बैठें। गहरी सांस लें और बलपूर्वक सांस छोड़ें। इस क्रिया को धीरे-धीरे तेज करते जाएं। इसे खाली पेट करें या खाना खाने के चार-पांच घंटे बाद। यह इम्यून बढ़ाता है। इससे वात, पित्त और कफ के दोष दूर होते हैं। आंख, कान और नाक को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है। हर रोज पांच से दस मिनट तक इसे कर सकते हैं।
4. भ्रामरी : यह प्राणायाम डिप्रेशन के लोगों के लिए काफी फायदेमंद होता है। इससे रात को नींद अच्छी आएगी। इसे दो से तीन मिनट तक कर सकते हैं। भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए दोनों कानों को दोनों हाथों की तर्जनी अंगुलियों से बंद कर लें। गहरी सांस लेने के बाद मुंह बंद कर भंवरे जैसी आवाज निकालें। इसे तीन-चार मिनट तक कर सकते हैं।
:- योग से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर सकारात्मक असर : योग का मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर भी सकारात्मक असर होता है। छात्रों के लिए यह बेहद जरूरी है। परीक्षा के दौरान अपने मस्तिष्क को शांत रखना और बेहतर बनाना जरूरी है, ताकि वे जो भी पढ़ रहे हैं, उन्हें अच्छी तरह याद रहे। इन सबमें योग मददगार साबित हो सकता है। योग हमारे शरीर में नई ऊर्जा का संचार करता है। इस ऊर्जा को ग्रहण करने के लिए अपने शरीर को तैयार करना भी जरूरी है। योग करते समय मन से सभी गलत विचारों को निकाल देने की जरूरत है। योग के दौरान मन को पूरी तरह से स्थिर और शांत रहना चाहिए।
योगाभ्यास के नियम
-
- - नियमानुसार योग को सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद करना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर योग करना अधिक फायदेमंद होता है।
- - योगासन से पहले हल्का वार्मअप करना जरूरी है, ताकि शरीर खुल जाए। योग की शुरुआत हमेशा ताड़ासन से ही करनी चाहिए। सुबह योगासन खाली पेट करना चाहिए। पहली बार योगासन करने वालों को शुरुआत में हल्के योग के आसन करने चाहिए। फिर जैसे-जैसे इनके अभ्यस्त हो जाएं, तो अपने स्तर को बढ़ाते जाएं। इस दौरान प्रशिक्षक की मदद लेना जरूरी है।
- - यदि शाम में योग करना है तो भोजन करने के करीब तीन-चार घंटे बाद ही करें। साथ ही योग करने के आधे घंटे बाद ही कुछ खाएं।
- - हमेशा आरामदायक और ढीले कपड़े पहनकर ही योग करें। योग करने के तुरंत बाद स्नान नहीं करना चाहिए।
- - जहां योग कर रहे हैं, वो जगह साफ और शांत होनी चाहिए। योग करते समय नकारात्मक विचारों को अपने मन से निकालने का प्रयास करें।
- - योग का सबसे जरूरी नियम यह है कि इसे धैर्य से करें और किसी भी आसन में अधिक जोर न लगाएं।
- - अपनी क्षमता के अनुसार ही इसे करें। सभी योगासन सांसों की क्रिया पर निर्भर हैं। इनका पूर्ण ज्ञान होना जरूरी है।
- - संभव हो तो पहले इस बारे में योग्य गुरु से सीख लें, उसके बाद ही स्वयं से करें।
- - गर्भवती महिलाएं या बीमार लोग चिकित्सक से सलाह लेकर योग्य प्रशिक्षक के निर्देशन में ही योग करें।
- - योगासन के अंत में शवासन जरूर करें। इससे तन और मन पूरी तरह शांत हो जाता है।
- - योग के दौरान ठंडा पानी न पिएं, क्योंकि योग करते समय शरीर गर्म होता है। सामान्य या हल्का गुनगुना पानी लेना चाहिए।
योगासन से बाहरी स्वास्थ्य का लाभ : अक्सर देखा गया है कि बढ़ती उम्र लोगों के चेहरे पर समय से पहले ही नजर आने लगती है। ऐसे में अगर योग किया जाए, तो समय से पूर्व चेहरे पर पडऩे वाली झुर्रियों को कम किया जा सकता है। गलत तरीके से उठने-बैठने और चलने-फिरने से शरीर की संरचना बिगड़ जाती है। इस वजह से शरीर में जगह-जगह दर्द, मांसपेशियों में विकार और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इन समस्याओं से बचने का सही तरीका योग है। नियमित रूप से योग करने से हड्डियां व मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
मोटापा को धीरे-धीरे कम करता है योग : योगाचार्य बताते हैं कि इन दिनों कई लोग मोटापे का शिकार हैं। इसका कारण गलत खानपान और दिनचर्या है। सबसे पहले हमारा पेट खराब होता है। पाचन तंत्र बेहतर न होना ही हर बीमारी की जड़ है। इससे निपटने का आसान और बेहतरीन तरीका योग ही है। नियमित योग से धीरे-धीरे वजन कम हो सकता है। योग करने से मांसपेशियों की गतिविधि में सुधार होता है। ये मजबूत होती हैं और इनमें लचीलापन आता है। योग के माध्यम से हर व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में सही निर्णय लेने में सक्षम हो पाता है।
तनाव कम करने का माध्यम है योग : तनाव हर किसी के लिए नुकसानदायक है। व्यक्ति जब तनाव में होता है, तब उसके लिए सामान्य जिंदगी जीना मुश्किल हो जाता है। तनाव से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता योग है। जब योग करेंगे, तो नई ऊर्जा से भर जाएंगे। इससे तनाव का कम होना स्वभाविक है। - डा. राजीव कुमार, योगाचार्य सह बिहार योग विद्यालय, गंगा दर्शन के शिष्य
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।