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    तंत्र के गण : 'आओ बच्चों तुम्हें बताऊं किसने क्या-क्या खोजा है'

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 19 Jan 2022 11:10 PM (IST)

    शिक्षा आज व्यापार बन चुका है। लेकिन इससे अलग शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का हथियार मानकर नए समाज के निर्माण में अपने को झोंक देने वाले राष्ट्र निर्माता भी जुटे हुए हैं।

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    तंत्र के गण : 'आओ बच्चों तुम्हें बताऊं किसने क्या-क्या खोजा है'

    जागरण संवाददाता, खगड़िया : शिक्षा आज व्यापार बन चुका है। लेकिन इससे अलग शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का हथियार मानकर नए समाज के निर्माण में अपने को झोंक देने वाले राष्ट्र निर्माता भी जुटे हुए हैं। औसत शिक्षक यह मानकर चलते हैं कि उनका काम पाठ्यक्रम पढ़ा देना और बच्चों को परीक्षा के लिए तैयार करना है। बच्चों की उत्सुकता के विकास को लेकर न तो अपनी जिम्मेदारी समझते हैं और ना विद्यालयों में ऐसी परिस्थितियां हैं। जिससे वह इस जिम्मेदारी को निभा सके। कई बार ऐसा महसूस होता है कि वर्तमान में शिक्षा का लक्ष्य केवल विद्यालयों में भर्ती होना, पाठ्यक्रमों में भाग लेना और प्रमाण पत्र प्राप्त करना हो गया है। बावजूद कुछ शिक्षक आज भी ऐसे हैं- जो प्रयोग, शोध और क्रियात्मक अनुसंधान पर आधारित नवाचारों से अध्ययन-अध्यापन की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं। सुदूर बेलदौर प्रखंड के मध्य विद्यालय हनुमान नगर में पदस्थापित शिक्षिका स्वराक्षी स्वरा भी इनमें एक हैैं। जो खेल खेल में छात्र छात्राओं को ज्ञान बांटती हैं। गीत और कविता को हथियार बनाकर शिक्षा को सरल कर देती है। स्वराक्षी स्वरा बताती हैं कि उन्होंने विद्यालय में एक अलग रूम ले रखा है। जहां शिक्षा को रूटीन पाठ्यक्रम से अलग हटकर एक अलग ही प्रारूप दिया गया है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद बच्चों की शैक्षणिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। वह कम समय में अपने पाठ्यक्रम को ना तो पूरा कर पा रहे हैं और ना ही उन्हें समझ पा रहे हैं। कम समय में अधिक पाठ्यक्रम का दबाव छात्रों को विचलित कर रहा है। ऐसे में उन छात्रों को खेल व साहित्य के माध्यम से पढ़ाना ज्यादा उचित है। जिससे कि पाठ्यक्रम भी पूरी हो जाएं और उनके ऊपर मानसिक दबाव भी नहीं पड़े। चकरी घुमाओ शब्द बनाओ

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    स्वराक्षी स्वरा बताती हैं कि शिक्षक अगर चाह ले तो छात्रों को बेहतर शिक्षा दे सकते हैं। वे बताती हैं कि माचिस के खाली डिब्बे से बना चकरी, बच्चों को खेल खेल में चकरी घुमाओ शब्द बनाओ के माध्यम से शब्द ज्ञान दे सकते हैं। स्वराक्षी स्वरा ने कई ऐसे टीचर लर्निंग मैटरियल (टीएलएम) बनाए हैं जिससे बच्चों को खेल-खेल में ही ज्ञान प्राप्त होता है। चकरी के तीर के रुकते ही बच्चे आसानी से किसी राज्य की राजधानी, उसके क्षेत्रफल, स्थापना वर्ष और उस राज्य के मुख्यमंत्री का नाम एक साथ जान पाते हैं। वैसे ही हिदी, इंग्लिश शब्द ज्ञान हो या पाठ्यक्रम से जुड़े विषय का ज्ञान बच्चों को देना हो स्वराक्षी उसके लिए कई टीएलएम तैयार कर चुकी हैं। जिससे बच्चों को मनोरंजन के साथ ज्ञान प्राप्त होता है। वह बताती हैं कि बच्चों में प्रतियोगिता की भावना पैदा करने के लिए उनके बीच पुरस्कारों का वितरण भी करते रहते हैं। जिससे बच्चों में पढ़ने की ललक पैदा होती है। कविता के माध्यम से स्वराक्षी बांट रही है ज्ञान

    आओ बच्चों तुम्हें बताऊं किसने क्या क्या खोजा है, आर्यभट्ट ने शून्य बनाया, न्यूटन ने गुरुत्वा सोचा है, जैसी कविता की पंक्ति से स्वराक्षी स्वरा पाठ्यक्रम को सहज बना रही हैं वे खुद भी कवि हैं। वह बच्चों में पठन-पाठन की ललक पैदा करने के लिए कई कविताएं लिख चुकी हैं।

    प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष मनोज कुमार बताते हैं कि नवाचार शिक्षक जिले में बहुत कम हैं। जबकि यह विशेषता सभी शिक्षकों में है। स्वराक्षी स्वरा शिक्षिका के साथ-साथ साहित्यकार भी हैं, जो उनकी खास विशेषता है।