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    मुंगेर में स्‍वामी निरंजनानंद ने दिए निरोग रहने के मंत्र, कहा- दिनचर्या को व्यवस्थित करना सबसे जरूरी

    By Abhishek KumarEdited By:
    Updated: Sun, 12 Sep 2021 05:54 PM (IST)

    मुंगेर में स्‍वामी निरंजनानंद ने लोगों को स्‍वस्‍थ रहने के मंत्र दिए। उन्‍होंने कहा कि स्‍वस्‍थ रहने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने दिनचर्या को व्‍यवस्थित करें। बिना इसके कुछ भी संभव नहीं है। साथ ही उन्‍होंने...!

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    पादुका दर्शन में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में पुर्नाहूति देते स्वामी निरंजनानंद सरस्वती।

    जागरण संवाददाता, मुंगेर। दिनचर्चा को व्यवस्थित किए बिना लोग स्वस्थ्य नहीं रह सकते है। योग से आपको तत्काल लाभ जरूर मिलेगा, लेकिन यदि अपका दिनचर्या ठीक नहीं है तो आप निरोग नहीं रह सकते है। इसलिए सभी लोगों को अपने-अपने दैनिक दिनचर्या को व्यवस्थित करने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। ये महत्वपूर्ण बातें स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने पादुका दर्शन में श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के समापन के अवसर रविवार को कहीं।

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    उन्होंने का कि मनुष्य को गुरुमुखी होना चाहिए। गुरुमुखी होने से गुरु की कृपा आप पर हमेशा बनीं रहती है, उन्होंने कहा कि मुझे 1983 में योग विवि का पदभार दिया गया, जिम्मेदारी बड़ी थी। मैं कुछ नहीं जनता था। जब काफी परेशान होता था, तब गुरु का स्मरण करते थे कि गुरु जी इस परिस्थित में क्या करते, मैं भी वैसा करने लगा और सभी परेशानियां दूर होने लगी।

    जो गुरुमुखी होते है उनके सामने या साथ हमेशा गुरु रहते है। जो मनुमुखी होते है, वे गुरु के नदजीक नहीं जा सकते। गुरु का स्थान सबसे ऊपर होता है। मनुष्य को ईश्वरमुखी और गुरुमुखी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को संसार मुखी होने के बाद भी हर दिन कम से कम एक घंटा गुरु के लिए समर्पित करना चाहिए। उस समय आपको परतत्व से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सच्चे गुरु को पहचान करना भी काफी कठिन है। जब सीता मैया ढोंगी को नहीं पहचान सकी तो हम और आप क्या है। उन्होंने सनातन पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि सनातन का अर्थ होता है जो पहले से चला आ रहा, वह आगे भी चलता रहेगा। स्वामी शिवानंद, स्वामी सत्यानन्द, विवेकानंद ओर परमहंस का संबंध सनातन है।

    शहर, राज्य, देश, विश्व और गुरु के नाम पर पुर्णाहूति

    पादुका दर्शन में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का रविवार को अंतिम दिन था। हवन के साथ भगवान श्री नारायण और माता लक्ष्मी के मंत्राें का उच्चारण हुआ। पूरा माहौल भक्तिमय और आनंदित हो उठा। स्वामी निरंजनानंद सरस्वती पुष्प चढ़ाए, पुजा-अर्चना की। पूर्णाहूति दी। स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि इस बार पुर्णाहूति पांच बार दिए जाएंगे। वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ योगनगरी, राज्य, देश, विश्व और गुरु के नाम पर पुर्णाहूति दी गई। स्वामी निरंजनानंद ने विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की। ईश्वर की आरती की।