हवा से तैयार कर दी बिजली, IIIT भागलपुर के वैज्ञानिकों का कमाल
आईआईआईटी भागलपुर के वैज्ञानिकों ने हवा से बिजली बनाने में सफलता पाई है। यह नवीन तकनीक नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस अविष्कार ...और पढ़ें

हवा से बिजली तैयार करने की विधि। फाइल फोटो
ललन तिवारी, भागलपुर। ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आइटी) भागलपुर के विज्ञानियों ने एक अत्याधुनिक ऊर्जा संचयन तकनीक विकसित की है। जो पर्यावरण में मौजूद विद्युतचुंबकीय तरंगों को उसी प्रकार संग्रहीत कर सकती है, जैसे सौर पैनल सूर्य की ऊर्जा को संचित करते हैं।
यह नवाचार मेटामटीरियल एब्जार्बर पर आधारित है, जिसे एआइ आधारित जंपिंग स्पाइडर आप्टिमाइजेशन एल्गोरिदम की सहायता से डिजाइन किया गया है। यह तकनीक राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस की संभावित थीम 'सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देना: हर वाट मायने रखता है' की भावना को ठोस वैज्ञानिक आधार प्रदान करती है।
शोध के अनुसार, यह मेटामटीरियल एब्जार्बर एक बेहद पतली और आवर्ती संरचना है। यह मोबाइल टॉवर, वायरलेस नेटवर्क, 5 जी और उपग्रह संचार से निकलने वाली विद्युतचुंबकीय तरंगों को अवशोषित कर विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सकता है।
इसमें पिक्सलेटेड सिंथेसिस तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसमें कंप्यूटर एल्गोरिदम की मदद से माइक्रो-स्तर पर इकाई सेल का सटीक डिजाइन तैयार किया जाता है।
परंपरागत ट्रायल एंड एरर पद्धति के बजाय, इस शोध में एआइ आधारित प्रकृति-प्रेरित एल्गोरिदम का उपयोग किया गया है, जिससे डिजाइन प्रक्रिया न केवल तेज हुई, बल्कि समय और संसाधनों की भी बड़ी बचत हुई।
बार-बार बैटरी बदलने से मिल सकती है राहत
यह तकनीक विशेष रूप से उन क्षेत्रों में कारगर हो सकती है, जहां बार-बार बैटरी बदलना कठिन होता है, जैसे लोट सेंसर, वियरेबल डिवाइस, रिमोट मानिटरिंग सिस्टम, स्मार्ट सिटी इंफ्रास्ट्रक्चर आदि।
शोधकर्ता डॉ. प्रकाश रंजन, डॉ. चेतन बार्डे और श्वेता कुमारी ने संयुक्त रूप से बताया कि ऐसी ऊर्जा संचयन प्रणाली विकसित की गई है, जो पर्यावरण में मौजूद ऊर्जा का अधिकतम दोहन कर सके।
यह तकनीक भविष्य में हरित ऊर्जा के क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। यह प्रकृति से प्रेरित कम्प्यूटेशन का उत्कृष्ट उदाहरण है। पिक्सलेटेड संरचना का अनुकूलन चुनौतीपूर्ण था, लेकिन एल्गोरिदम ने इसे उच्च सटीकता के साथ संभव बनाया।
शोधकर्ताओं की यह उपलब्धि न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि देश के ऊर्जा संरक्षण और हरित भविष्य के संकल्प को भी नई दिशा देती है। आने वाले समय में यह तकनीक ऊर्जा आत्मनिर्भरता की राह को और मजबूत कर सकती है। - डॉ. मधुसुदन सिंह, निदेशक ट्रिपल आइटी भागलपुर

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