इस अद्भुत पक्षी को देखना है तो आएं भागलपुर शहर, बाइपास के दोनों ओर प्रजनन स्थल
अब भागलपुर के बाइपास किनारे कीजिए गरुड़ का दीदार। पक्षियों के झुंड के साथ भोजन की तलाश में पहुंच रहे गरुड़। लोगों ने दिलों में स्थान दिया तो गरुड़ों की बनेगी बड़ी कालोनी। अद्भुत नजारा देख लोगों हो रहे हैं खुश।

भागलपुर [नवनीत मिश्र]। अब आपको गरुड़ का दीदार करने के लिए कदवा दियारा जाने की आवश्यकता नहीं है। भागलपुर शहरी क्षेत्र में भी आप गरुड़ों का दीदार कर सकेंगे। बाइपास के दोनों ओर कई पक्षियों के झुंड के साथ गरुड़ों को देखा जा रहा है। कदवा दियारा में पेड़ों की कटाई के कारण गरुड़ों ने अपना प्रजनन स्थल बदल लिया है। अगर लोगों ने गरुड़ को दिल में स्थान दिया तो शहर में गरुड़ों की बड़ी कालोनी बन जाएगी।
गंगाप्रहरी स्पेयरहेड (भारतीय वन्यजीव संस्थान) दीपक कुमार ने बताया कि भागलपुर जिले में गरुड़ या हरगिला पक्षी का प्रजनन क्षेत्र कदवा दियारा को ही माना जाता था। लेकिन इस साल इस पक्षी ने अपना विस्तार अन्य क्षेत्रों में किया है। खगडिय़ा, कोसी क्षेत्र के कुछ गांव, कहलगांव आदि स्थानों पर इनको समूह में देखा जा रहा है। इन क्षेत्रों के बड़े पेड़ों पर गरुड़ स्थाई रूप से निवास करते देखे जा रहे हैं। खुटाहा गांव, बिरला ओपन स्कूल के आसपास व बाइपास के नजदीक गरुड़ों को बड़ी संख्या में देखा जा रहा है। इनको धान के खेतों में आहार ग्रहण करते देखा जा सकता है। यहां इनको घोंघा, केकड़ा, मेढक, छोटी मछलियां आदि भरपूर मात्रा में मिल जा रही है।
सितंबर से करेंगे प्रजनन की तैयारी
गंगा प्रहरी दीपक कुमार ने बताया कि गरुड़ पूरी दुनिया में सिर्फ तीन ही जगह पाया जाता है। कंबोडिया के अलावा भारत के असम व बिहार के भागलपुर में गरुड़ है। वर्तमान में इनकी संख्या पूरे दुनिया में 1500 के करीब है। इनमें से भागलपुर में 600 के ऊपर संख्या बताई जाती है। भागलपुर का वातावरण इनके लिए अनुकूल है। यहां इन्हें स्वच्छ वातावरण, खेत, तालाब, गंगा व कोसी नदी का किनारा आदि स्थान इनके संवर्धन में मदद करती है। वहीं इसके विपरीत गुवाहाटी में इन्हें कूड़े के ढेर से आहार ग्रहण करना पड़ता है और गंदगी में ही जीवन यापन करना होता है। भागलपुर में वर्तमान में गरुड़ों के साथ ही कई दुर्लभ पक्षियों को देखा जा सकता है। वुल्ली नेक्ड स्टोर्क, पेंटेड स्टोर्क, एशियन ओपेनबिल स्टोर्क, लेसर एडजुटेंट स्टोर्क, रेड नेपड ईबीस आदि भी कदवा दियरा में अन्य पक्षियों के साथ समूह में प्रजनन करते हैं।
बाढ़ के कारण पक्षियां बदल रही बसेरा
गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण कुछ पक्षियां, जो पानी पर ही निर्भर रहती है, आजकल नदी से काफी दूर मानवीय बस्ती के बीच अपना डेरा जमा रखा है व प्रजनन कर रही है। शहर के अतिव्यस्त मुहल्ला मुंदीचक के कई पेड़ों पर सैकड़ो पक्षियों के घोंसले आसानी से देखे जा सकते हैं। कई घोसलों में 4-4 अंडों के साथ पक्षी मौजूद है तो कई घोसलों में चूजे भी मौजूद है। इन पक्षियों में चंद्रवाक, ताल बगुला व पनकौवा मुख्य है। ये दोनों पक्षियां समूह में प्रजनन करती है। ये सामाजिक पक्षी है। भागलपुर में इनका सबसे बड़ा कालोनी बरारी रोड, माउंट कार्मेल स्कूल के सामने कुकुट (मुर्गा) पालन केंद्र में था। पर इस वर्ष कुकुट पालन केंद्र के सामने बहुमंजिला अस्पताल बनने, मानवीय गतिविधि, मशीनों के शोरगुल के कारण इनकी आबादी अन्य जगहों पर शिफ्ट कर गई है। यह शोध का विषय है कि ये पक्षियां ऊंचे बहुमंजिला अपार्टमेंट, घनी इंसानी आबादी के बीच प्रजनन कर रही है। इस स्थान से गंगा की दूरी भी काफी है व कोई अन्य तालाब आदि भी नही है। ऐसे में इन्हें अपने बच्चों को पालने के लिये ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही। इनके घोसले वर्तमान में पीपल, आम, नीम, बेल आदि पेड़ों पर मौजूद हैं।
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