कैसे बचें टीबी से, क्या करें सावधानी; बता रहे वरीय फिजिशियन डॉ विनय कुमार झा
भागलपुर में एक बार फिर वरीय फिजिशियन डॉ विनय कुमार झा ने स्वास्थ्य शिविर लगाया। एक सप्ताह के अंदर उन्होंने यह दूसरी बार शिविर लगाया। इस दौरान घर-घर जाकर 65 रोगियों की उन्होंने जांच की। दवा और फल आदि मरीजों को दिए।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। भागलपुर के शंकरपुर छोटी रेलवे लाइन हवाई अड्डा के पास वरीय फिजिशियन डॉ विनय कुमार झा ने स्वास्थ्य शिविर लगाया। इस दौरान उन्होंने अपने टीम के अन्य चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों व तकनीशियनों को साथ लेकर घर-घर जाकर जांच की। टीबी, मधुमेह, रक्तचाप, श्वांस, फेफड़ा, हृदय संबंधी बीमारियों की जांच की। मरीजों की ईसीजी जांच भी कराई गई। मरीजों को दवाई और फल दिया गया। कोरोना के बचाव के लिए साबून, सैनिटाइजर, मास्क आदि भी बांटे। छह दर्जन रोगियों की जांच की गई। इस दौरान टीबी बीमारी के लक्षण पाए जाने वाले मरीजों को जेएलएमसीएच जाने को कहा। उन्होंने कहा कि भागलपुर के इस अस्पताल में टीबी जांच की सभी व्यवस्था है। साथ ही यहां समुचित इलाज भी किया जाता है। डॉ विनय कुमार झा ने कोरोना के लक्षण, बचाव और उपचार की भी लोगों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है। इसलिए लोग शारीरिक दूरी का पालन करें और मास्क पहना करें। सैनिटाइजर से हाथ धोएं। उन्होंने कहा कि कोरोना टीकाकरण किया जा रहा है, लोग निडर होकर टीका लगवाएं। शिविर में ब्लड प्रेशर के 25, डायबिटीज के 16 और टीबी के 24 मरीज मिले। शिविर सीनियर लैब तकनीशियन इंद्रजीत कुमार, शशिकांत कुमार, राजेश कुमार, प्रणव, मो वकार, सुमित, घनश्याम, संजय, संतोष, रोशन, दिनेश, धीरज आदि सक्रिय रूप से लगे हुए थे। एक सप्ताह के अंदर यहां दूसरी बार शिविर लगाया गया था।
टीबी और कोरोना में काफी समानता है
डॉ विनय कुमार झा ने बताया कि टीबी और कोरोना के कई लक्षण में समानता है। टीबी मरीजों को भी मास्क पहनना चाहिए। ताकि दूसरे को टीबी के संक्रमण से बचाया जा सके। कोरोना वायरस (कोविड-19) और टीबी के संक्रमण का तरीका और लक्षण लगभग मिलते-जुलते है। इसलिए इनके संक्रमण की जद में आने से बचने के लिए मरीजों के साथ चिकित्सकों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोना जहां एक वायरस (विषाणु) है तो टीबी एक बैक्टीरिया (जीवाणु) है। लेकिन दोनों ही सूक्ष्म और अदृश्य हैं।
ये हैं लक्षण, ऐसे करें बचाव
टीबी ज्यादा खतरनाक बीमारी है। यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न होने पर उसे बेकार कर देती है। इसलिए टीबी के लक्षण आने पर तुरंत जांच कराएं। मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। इससे टीबी के संक्रमण से बचा जा सकता है।
टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ा पर होता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूट्रस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। सबसे कॉमन फेफड़ों का टीबी है, जो कि हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह और नाक से निकलने वाली बूंदों से इसका संक्रमण फैलता है, जिससे अन्य लोग भी टीबी से संक्रिमत हो जाते हैं।
क्या है टीबी के लक्षण
खांसी आना - टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करती है। इसलिए इसका शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले सूखी खांसी आती है, लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्तों या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच करा लेनी चाहिए।
पसीना आना - पसीना आना टीबी होने का लक्षण है। मरीज को रात में सोते समय पसीना आता है। मौसम चाहे जैसा भी हो रात को पसीना आता है। टीबी के मरीज को अधिक ठंड में भी पसीना आता है।
बुखार रहना - जिन लोगों को टीबी होती है, उन्हें लगातार बुखार रहता है। शुरुआत में लो-ग्रेड में बुखार रहता है। बाद संक्रमण ज्यादा फैलने पर बुखार तेज होता चला जाता है।
थकावट होना - टीबी मरीज को बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। वह काफी कमजोर हो जाता है। मरीजों को कम काम करने पर भी अधिक थकावट होने लगती है।
वजन घटना - टीबी हो जाने के बाद लगातार वजन घटता है। खानपान पर ध्यान देने के बाद भी वजन कम होता रहता है। मरीज की खाने को लेकर रुचि कम होने लगती है।
सांस लेने में परेशानी- टीबी हो जाने पर खांसी आती है। जिसके कारण सांस लेने में परेशानी होती है। अधिक खांसी आने से सांस भी फूलने लगती है।
कैसे करें टीबी से बचाव
दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें। मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें। मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें। मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहें। एसी से परहेज करें। पौष्टिक खाना खाएं, एक्सरसाइज व योग करें। बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें। भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें। बच्चे के जन्म पर बीसीजी का टीका लगवाएं।