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    Bihar: अब हवा में उगेगा आलू, नहीं लगेगा कोई रोग... बिहार के नालंदा में शुरू हुआ नया प्रयोग, BAU की नई तकनीक से 30% बढ़ेगा उत्पादन

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 01:22 AM (IST)

    Bihar News भागलपुर का बिहार कृषि विश्वविद्यालय अपनी नई तकनीक से अब हवा में आलू का बीज उगाएगा। वर्तमान में यह प्रयोग बीएयू से संबद्ध नालंदा के उद्यान महाविद्यालय नूरसराय में शुरू किया गया है। 16 कृषि विज्ञान केंद्रों में Aeroponics तकनीक से प्रयोग सफल हुआ तो किसानों को 30 प्रतिशत से अधिक आलू का उत्पादन प्राप्त होगा।

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    Aeroponics News: बिहार में पहली बार आलू का बीज हवा में तैयार करने की आधुनिक प्रक्रिया शुरू की गई है।

    ललन तिवारी, भागलपुर। Potato Farming with Aeroponics विकसित भारत 2047 की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में बिहार ने कृषि नवाचार का बड़ा कदम बढ़ाया है। पहली बार बिहार में आलू का बीज हवा में तैयार करने की आधुनिक प्रक्रिया शुरू की गई है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के अधीन नालंदा स्थित नूरसराय उद्यान महाविद्यालय में यह प्रयोग चल रहा है।

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    विश्वविद्यालय के कुलपति ने स्वतंत्रता दिवस पर इस परियोजना की घोषणा की और तीन माह में धरातलीय परिणाम सामने आने का भरोसा जताया। विशेषज्ञों का मानना है कि एरोपोनिक तकनीक से आलू उत्पादन में 30 प्रतिशत से अधिक वृद्धि होगी और किसानों को उच्च गुणवत्ता वाला रोगमुक्त बीज उपलब्ध होगा। इससे बिहार का आलू अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बना सकेगा।

    4.20 करोड़ की लागत से बनी यूनिट

    परियोजना के प्रमुख वैज्ञानिक और प्राचार्य डा. रणधीर कुमार ने बताया कि 4 करोड़ 20 लाख की लागत से एरोपोनिक विधि पर आधारित बीज उत्पादन यूनिट स्थापित की गई है। इसमें वायरस रहित बीज टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार किया जाता है। इस तकनीक में पौधा ऊपर हवा में लटका होता है जबकि जड़ें नीचे रहती हैं। नियंत्रित वातावरण में ठंडी हवा, नमी और पोषक तत्वों की मदद से एक पौधे में 400 से 500 मिनी-ट्यूबर तैयार होते हैं। इन्हें आगे खेतों में लगाकर बड़े आलू का उत्पादन किया जाएगा।

    जी-0 से जी-4 तक बीज उत्पादन चक्र

    बीज उत्पादन की प्रक्रिया जी-0 से जी-4 तक चलेगी। अब तक जी-0 बीज बाहर से मंगाना पड़ता था, लेकिन नई तकनीक से यह सब यहीं तैयार होगा। साथ ही, एपिकल रूट कटिंग तकनीक से एक पौधे से हजारों नए पौधे विकसित किए जा सकते हैं। अनुमान है कि अगले तीन वर्षों में किसानों के खेतों में इसी तकनीक से तैयार आलू की फसल लहलहाने लगेगी।

    16 कृषि विज्ञान केंद्रों तक विस्तार

    इस परियोजना का विस्तार बिहार के 16 कृषि विज्ञान केंद्रों में किया जाएगा। इसके लिए नेट हाउस बनाने की स्वीकृति भी मिल चुकी है। किसानों के खेतों में भी इस बीज उत्पादन का प्रयोग शुरू हो चुका है। मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना के अंतर्गत जल-जीवन-हरियाली अभियान के साथ इस योजना को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।

    नालंदा महाविद्यालय में यूनिट स्थापित की गई है। एरोपोनिक विधि से आलू का बीज उत्पादन आरंभ हुआ है। रोगमुक्त बीज का विस्तार कृषि विज्ञान केंद्रों और किसानों की सहभागिता से किया जाएगा। आने वाले समय में किसानों को यह बीज उपलब्ध होगा, जिससे वे समृद्ध बनेंगे। डा. डीआर. सिंह, कुलपति, बीएयू सबौर भागलपुर