Driving License: एक करोड़ की लागत से बने टेस्टिंग ट्रैक का हाल बेहाल, बिना टेस्ट चालक हो रहे तैयार
भागलपुर में एक करोड़ की लागत से बने हाईटेक ड्राइविंग लाइसेंस टेस्टिंग ट्रैक की हालत खस्ता है। ट्रैक पर जंगल-झाड़ उग आए हैं और टेस्टिंग प्रक्रिया सही स ...और पढ़ें

आलोक कुमार मिश्रा, भागलपुर। एक करोड़ की लागत से हाल ही में तैयार हाइटेक ड्राइविंग लाइसेंस टेस्टिंग ट्रैक पर जंगल-झाड़ उग आए हैं। टेस्टिंग प्रक्रिया भी सही से नहीं हो रही है। बावजूद प्रत्येक महीने सैकड़ों ड्राइविंग लाइसेंस निर्गत हो रहे हैं।
दरअसल, परिवहन विभाग की ओर से निर्धारित दिन मंगलवार को सुबह सात बजे से 10-11 बजे तक कोई टेस्ट देने के लिए आया ही नहीं, न ही वहां पर कर्मी दिखे। कहा जाए तो ट्रैक के बदले पेपर पर वाहनों की टेस्टिंग करके लाइसेंस निर्गत किया जा रहा है।
परिवहन विभाग का आंकड़ा बताता है कि हर माह 800-900 ड्राइविंग लाइसेंस निर्गत किए जाते हैं। मई महीने में ही अब तक पांच सौ लाइसेंस निर्गत किए गए। बिहार राज्य पथ परिवहन विभाग निगम के डिपो परिसर में बने ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक पर सुबह सात बजे से 10-11 बजे तक वाहन चालकों की टेस्टिंग होती है। मंगलवार की सुबह में पांच-छह युवक टेस्टिंग के लिए पहुंचे थे, लेकिन कर्मी की मौजूदगी नहीं देख लौट गए।
एमवीआई एसएन मिश्रा ने बताया कि कर्मियों ने उन्हें पहुंचने की बात बताई थी। जब साढ़े दस बजे तक किसी कर्मी के नहीं पहुंचने की जानकारी उन्हें दी गई तो कहा कि दोपहर 12 बजे के बाद कर्मी वहां पहुंचे थे। जबकि दोपहर एक बजे तक भी कोई नहीं पहुंचा था।
टेस्टिंग के नाम पर खानापूर्ति
राज्य ट्रांसपोर्ट के कर्मियों के अनुसार हर सप्ताह टेस्टिंग नहीं होती है। ट्रैक में जंगल-झाड़ उगने व बालू-छर्री बिखरे होने के कारण माह में यदि एक-दो बार टेस्टिंग की प्रक्रिया अपनाई भी जाती है तो महज खानापूर्ति की जाती है। मंगलवार को तो टेस्टिंग की प्रक्रिया नहीं हुई।
दो माह पहले हाइटेक बना बनाए गए टेस्टिंग ट्रैक का हाल बुरा है। उचित देखरेख के अभाव में ट्रैक में बड़े-बड़े झाड़ी उग गए हैं। सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शुक्रवार को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्टिंग कराई जाती है। यदि टेस्टिंग की प्रक्रिया अपनाई भी जाती है तो ऐसी स्थिति में सही तरीके से ड्राइविंग टेस्ट नहीं हो पा रहा है।
एमवीआई एसएन मिश्रा ने बताया कि झाड़ियां उगने के कारण टेस्टिंग में दिक्कतें तो जरूर हो रही हैं। ट्रैक को दो-तीन जगह नुकसान भी पहुंचा है। एकाध जगह फर्स भी खराब हो गई है।
आसपास रहने वाले किसी व्यक्ति द्वारा छर्री-बालू ट्रैक किनारे ही रख दिया गया है। एमवीआई ने दावा किया कि बावजूद सप्ताह में दो दिन टेस्ट लिया जाता है। उन्होंने कहा कि औसतन एक दिन में 50-60 लोग टेस्टिंग के लिए आते हैं।
17 कैमरों से होती है टेस्टिंग की निगरानी
टेस्टिंग के लिए 15 और 12 मीटर के दो-दो और नौ मीटर के 12 टावर लगाए गए हैं। आवेदकों की जांच के लिए 17 कैमरों की व्यवस्था की गई है। ट्रैक पर टेस्ट को मॉनिटर करने के लिए सेंसर लगाए गए हैं।
इससे ही आवेदकों के पास या फेल होने का पता चलेगा। एजेंसी की ओर से एक आइटी टेक्निशियन की नियुक्ति की गई है, जो ट्रैक के सर्वर की देखभाल करता है। सर्वर से ही एक बड़ी एलइडी स्क्रीन व सात कम्प्यूटर सिस्टम जुड़े हैं।
हाईटेक ट्रैक की सुरक्षा के लिए बनेगी चहारदीवारी
डीटीओ डीटीओ जनार्दन कुमार ने कहा ड्राइविंग लाइसेंस टेस्टिंग ट्रैक के किनारे झाड़ियां उगी हैं। इससे टेस्ट में असर पड़ने वाला नहीं है। बावजूद झाड़ियों की सफाई कराई जाएगी। उन्होंने बताया चहारदीवारी का निर्माण कर हाईटेक ट्रैक की घेराबंदी की जाएगी।
शौचालय का निर्माण और पानी की व्यवस्था की जाएगी। इसका प्राक्कलन तैयार कर मुख्यालय भेजा गया है। जिसपर 20 लाख रुपये खर्च आएगा। साथ ही उन्होंने बताया कि ट्रैक की देखभाल के लिए गार्ड की प्रतिनियुक्ति की गई है।

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