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बेल के पत्तों में छिपा है जनसंख्या नियंत्रण का राज, कैंसर और लीवर के लिए भी फायदेमंद

प्रो. विभूति नारायण सिंह का कहना है कि पुरुष जब तक बेल के पत्ते के चूर्ण का सेवन करेगा तब तक बच्चा नहीं होगा। जब बच्चे की इच्छा हो तब चूर्ण का सेवन करना बंद कर दे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 17 Jun 2019 01:10 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jun 2019 11:13 PM (IST)
बेल के पत्तों में छिपा है जनसंख्या नियंत्रण का राज, कैंसर और लीवर के लिए भी फायदेमंद
बेल के पत्तों में छिपा है जनसंख्या नियंत्रण का राज, कैंसर और लीवर के लिए भी फायदेमंद

भागलपुर [नवनीत मिश्र]अगर आप बिना किसी परेशानी के बच्चा नहीं चाहते हैं तो आपको बेल (वुड एपल) के पत्ते का नियमित सेवन करना होगा। जब तक आप बेल के पत्ते का सेवन करेंगे, तब तक बच्चा नहीं होगा। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के जंतु विज्ञान विभाग के वरीय शिक्षक प्रो. विभूति नारायण सिंह ने बेल के पत्ते पर शोध किया है।

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प्रो. सिंह का कहना है कि पुरुष जब तक बेल के पत्ते के चूर्ण का सेवन करेगा तब तक बच्चा नहीं होगा। जब बच्चे की इच्छा हो तब चूर्ण का सेवन करना बंद कर दे। यह शोध पत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के जर्नल में प्रकाशित भी हो चुका है। शोध को मान्यता भी मिल गई है। प्रो. सिंह के साथ राजेश कुमार ने भी काम किया है। अभी तक पुरुष जनसंख्या नियंत्रण के लिए कंडोम या फिर नसबंदी का सहारा लेते रहे हैं।

चूहों पर किया सफल प्रयोग
प्रोफेसर सिंह ने 12 चूहों पर रिसर्च किया। छह चूहों को 0.15 मिलीग्राम बेल के पत्ते के चूर्ण का घोल बनाकर पिलाया गया। दसवें दिन देखा गया कि उसमें स्पर्म (शुक्राणु) और सीमेन का पीएच मान कम हो गया। इस तरह 20वें, 30वें, 40वें और 50वें दिन धीरे-धीरे स्पर्म कम होता गया। मूवमेंट कम हो गया। सीमेन का पीएच कम हो गया। इसके अलावा छह और चूहों को बिना कुछ किए छोड़ दिया गया। 50वें दिन देखा गया कि जिसे चूर्ण खिलाया गया था, उनमें शुक्राणुओं की संख्या कम हो गई थी। उनकी प्रजजन क्षमता घट गई। जिन्हें चूर्ण का घोल नहीं पिलाया गया, उनमें शुक्राणुओं की संख्या बरकरार थीं। इसके बाद उन चूहों को फिर से चूर्ण खिलाना बंद कर दिया गया और देखा गया कि शुक्राणु की संख्या धीरे-धीरे बढऩे लगीं।

बेल के पत्ते कैंसर रोधी, लीवर के लिए भी फायदेमंद
प्रोफेसर सिंह की मानें तो बेल के पत्ते का चूर्ण गर्भ निरोधक में कारगर है। प्रति किलो शरीर के वजन के हिसाब से पुरुष 10 ग्राम बेल के पत्ते के चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि बेल के पत्ते के चूर्ण के सेवन से कैंसर होने की संभावना कम रहती है। किसी भी प्रकार के सूजन में फायदेमंद है। लीवर को फायदा पहुंचाता है। यह एंटी ऑक्सीडेंट हैं। एलर्जी को ठीक करता है। पेट की बीमारी को ठीक करता है।

धार्मिक मान्यताएं
बेल की पत्तियां अधिकतर तीन, पांच या सात के समूह में होती हैं। तीन के समूह की तुलना भगवान शिव के त्रिनेत्र या त्रिशूल से की जाती है। इसके अलावा इन्हें त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार मंदार पर्वत पर माता पार्वती के पसीने की बूंदे गिरने से बेल के पेड़ की उत्पत्ति हुई। यह पेड़ सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

बेल के स्वास्थ्य लाभ
गर्मी के मौसम में मिलने वाला बेल गर्मी से राहत देने के साथ ही कई स्वास्थ्य समस्या से भी निजात दिलाता है। अगर आप हर रोज बेस का शरबत पीते हैं तो आप हमेशा निरोग बने रहेंगे।

मधुमेह रोगी के लिए फायदेमंद
मधुमेह रोगियों के लिए बेलफल बहुत लाभदायक है। बेल की पत्तियों को पीसकर उसके रस का दिन में दो बार सेवन करने से डायबिटीज की बीमारी में काफी राहत मिलती है। आप चाहें तो कुछ दिन तक इसका नियमित सेवन करके फर्क देख सकते हैं।

सेहत के फायदे

  •  बेल फल में मौजूद टैनिन डायरिया और कालरा जैसे रोगों के उपचार में काम आता है।
  •  कच्चे फल का गूदा सफेद दाग बीमारी का प्रभावकारी इलाज कर सकता है।
  •  इससे एनीमिया, आंख और कान के रोग भी दूर होते हैं।
  •  बेल के पत्ते के चूर्ण के सेवन से कैंसर होने की संभावना कम रहती है।
  •  पुराने समय में कच्चे बेल के गूदे को हल्दी और घी में मिलाकर टूटी हुई हड्डी पर लगाया जाता था।
  •  इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स के चलते पेट के छालों में आराम मिलता है।
  •  वायरस व फंगल रोधी गुणों के चलते यह शरीर के कई संक्रमणों को दूर कर सकता है।
  •  विटामिन सी का अच्छा स्रोत होने के चलते इसके सेवन से सर्वी नामक रक्त वाहिकाओं की बीमारी में आराम मिलता है।
  •  बेल की पत्तियों का सत्व रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में लाभदायक है।
  •  पेड़ से मिलने वाला तेल अस्थमा और सर्दी-जुकाम जैसे श्वसन संबंधी रोगों से लड़ने में सहायक है।
  •  पके हुए फल के रस में घी मिलाकर पीने से दिल की बीमारियां दूर रहती हैं।
  •  कब्ज दूर करने की सबसे अच्छी प्राकृतिक दवा है। इसके गूदे में नमक और काली मिर्च मिलाकर खाने से आंतों से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं।

खून की कमी को दूर करे
जिन लोगों में खून की कमी की समस्या होती है वे पके हुए सूखे बेल की गिरी का पाउडर बनाकर गर्म दूध में मिश्री के साथ एक चम्मच पावडर प्रतिदिन देने से शरीर में नए रक्त का निर्माण होकर स्वास्थ्य लाभ होता है।

डायरिया
गर्मियों में डायरिया की समस्या बहुत आम होती है। ऐसी स्थिति में होने वाले उल्टी-दस्तों, जी मिचलाने में बेल के गूदे को पानी में मथ कर चीनी मिला कर पीने से लाभ होता है। इससे आपको अंदर से अच्छा महसूस होगा और पेट को शीतलता का आभास होता है।

लू लगने पर
गर्मियों में लू लगने पर बेल के ताजे पत्तों को पीसकर मेहंदी की तरह पैर के तलुओं में भली प्रकार मलें। इसके अलावा सिर, हाथ, छाती पर भी इसकी मालिश करें। मिश्री डालकर बेल का शर्बत भी पिलाएं तुरंत राहत मिलती है।

मुंह के छाले
मुंह में छाले और मसूड़ों के रोग से काफी लोग परेशान होते हैं। ऐसी स्थिति में बेल का गूदा पानी में उबालकर कुल्ला करने से छाले और मसूड़ों की समस्या दूर होती है। अगर आप इसका परिणाम चाहते हैं तो नियमित रुप से इस प्रक्रिया को अपनाएं।

भूख बढ़ाएं
भूख कम हो, कब्ज हो, जी मिचलाता हो तो इसका गूदा पानी में मथ कर रख लें और उसमें चुटकी भर लौंग, काली मिर्च का चूर्ण, मिश्री मिला कर कुछ दिन लेने से भूख बढ़ेगी।

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