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    गुप्त नवरात्र: तंत्र साधकों के लिए विशेष महत्व का है यह पर्व, सिद्धि प्रा‍प्‍त करने आते हैं यहां

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 12 Jul 2021 11:00 AM (IST)

    गुप्त नवरात्र आषाढ़ मास में भी नवरात्रि मनाई जाती है। इस नवरात्र को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। रविवार से आरंभ हुआ यह अनुष्‍ठान तंत्र साधकों के लिए व ...और पढ़ें

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    वर्ष भर में चार नवरात्र होता है। अभी का नवरात्र गुप्‍त नवरात्र है।

    संवाद सहयोगी, भागलपुर। अश्विन और चैत्र नवरात्र के अलावा माघ और आषाढ़ मास में भी नवरात्रि मनाई जाती है। जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। रविवार से आरंभ गुप्त नावरात्रि को तंत्र साधक के लिए विशेष महत्वपूर्ण बताया गया है। मां दुर्गा की आराधना के साथ साधक तंत्र सिद्धि करते हैं। हालांकि तांत्रिक और सात्विक दोनों शक्तियों की पूजा श्रद्धालु करते हैं। इसे तंत्र मंत्र सिद्धि करने वाली नवरात्रि माना जाता है।

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    बूढ़ानाथ मंदिर के आचार्य पंडित टुन्नाजी कहते हैं कि मां दुर्गा के रूपों में मां काली, तारा देवी, त्रिपुरसुंदरी, मां भुवनेश्वरी, माता छिन्न मस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, मां कमला देवी की पूजा तंत्र और सात्विक विधि से की जाती है। उन्होंने कहा कि गुप्त नवरात्रि की साधना में त्वरित फल प्राप्त होता है। तीर्थ क्षेत्र के एकांत स्थान और शक्तिपीठों में मंत्र साधना से सिद्धि प्राप्त होती है। शारदीय और वासांतिक नवरात्र जागृत होता है। जबकि आषाढ़ और माघ का नवरात्र गुप्त होता है। दस महाविद्या के स्वरूप की शक्ति की उपासना गुप्त नवरात्र में की जाए तो भगवती शीघ्र प्रसन्न होती है।

    जिछो दुर्गा मंदिर, मुंदीचक राधा देवी लेन आदि शहर के कई मंदिरों में चारों नवरात्र पर दुर्गासप्तशती का पाठ किया जाता है। रविवार से आरंभ नवरात्र 18 जुलाई को समाप्त हो जाएगा। शहर के कई श्रद्धालु घरों में नवरात्र कर रहे हैं। कोरोना के कारण मंदिरों के पट बंद हैं, लेकिन भक्त मां की चौखट तक पहुंच पूजा अर्चना कर रहे हैं।

    दुर्गा पूजा में रहता है विशेष उत्‍साह

    हिंदू धर्म में दुर्गा पूजा का विशेष महत्‍व है। हालांकि वर्ष में दो ही नवरात्र का विशेष महत्‍व दिया गया है। लेकिन वर्ष भर में चार नवरात्र होते हैं। कुछ नवरात्र तंत्र साधनों के लिए विशेष मायने का रहता है। इसकी तैयारी तंत्र साधक बहुत पहले से करते हैं। देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है।