राजस्थान के भरतपुर पक्षी विहार की तर्ज पर विकसित होगी बिहार के सीमांचल की गोगाबिल झील, बनेगा विदेशी परिंदों का नया आशियाना
कटिहार के मनिहारी स्थित गोगाबिल झील को राजस्थान के भरतपुर पक्षी विहार की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। विदेशी परिंदों को ध्यान में रखते हुए यहां काफी कुछ विकसित किया जाएगा। बिहार सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से हरी झंडी मिल चुकी है अब...
प्रकाश वत्स, जागरण संवाददाता, पूर्णिया: प्रमंडल के कटिहार जिले के मनिहारी अनुमंडल स्थित गोगाबिल झील को राजस्थान के भरतपुर पक्षी अभयारण्य के रुप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए तैयार कार्ययोजना को वन एवं पर्यावरण विभाग, बिहार सरकार की हरी झंडी मिल चुकी है। साथ ही छह करोड़ की इस कार्य योजना को अंतिम स्वीकृति के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेज दिया गया है। इसकी स्वीकृति भी जल्द मिलने की उम्मीद है। ऐसे में दुर्लभ पक्षियों का यह बसेरा जल्द ही सीमांचल के सबसे बड़े पर्यटन केंद्र के रुप में उभरेगा।
झील के चारों ओर बनेंगे इको फ्रैंडली पाथ-वे
इस झील को विकसित करने के लिए तय कार्य योजना में विदेशी परिंदों के हितों का विशेष ख्याल रखा गया है। ऐसे में छह करोड की इस पूरी कार्य योजना को पांच वर्षों में क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया है। प्रथम चरण में झील के चारों ओर इको फ्रैंडली पाथ वे का निर्माण कराया जाएगा। इसके दोनों ओर ऐसे पेड़ लगाए जाएंगे, जो परिंदों के लिए घोसला बनाने के सर्वाधिक उपयुक्त होता है। इसी पाथ वे के किनारे जगह-जगह बंबू हट्स का निर्माण होगा। इस हट्स में पर्यटकों के लिए शौचालय, स्नानागार व पेयजल जैसी मौलिक सुविधा भी होगी।
स्थानीय लोग बनेंगे बर्ड गाइड, जगह-जगह लगे रहेंगे दूरबीन
पर्यटकों को पक्षी अभयारण्य का पूर्ण आनंद मिले, इसके लिए स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित कर बर्ड गाइड बनाया जाएगा। बर्ड गाइड आगंतुक पर्यटकों को पक्षियों का पहचान कराएंगे और उसके बारे में विस्तृत जानकारी भी देंगे। जल क्षेत्र में विचरण करने वाले पक्षी को सहज रुप से देखने के लिए पाथ वे पर जगह-जगह स्थाई तौर पर दूरबीन लगे रहेंगे। इससे पर्यटक आसानी से किसी भी पक्षी को अपने ढंग से देख सकेंगे।
- - छह करोड़ की कार्ययोजना को बिहार सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग की मिली हरी झंडी
- - केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग की स्वीकृति मिलते ही पक्षी विहार को संवारने की शुरु होगी कवायद
बीमार पक्षियों के उपचार के लिए रहेगी समुचित सुविधा
कार्ययोजना में यहां आने व रहने वाले परिंदों के समुचित देखभाल को पूरी प्राथमिकता दी गई है। बीमार पक्षियों के उपचार के लिए यहां आवश्यक चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध रहेगी। इसके लिए विशेषज्ञों की तैनाती भी रहेगी। साथ ही स्थानीय लोगों को भी इस कार्य में दक्ष बनाने का प्रयास किया जाएगा।
पूर्व में गठित कमेटी की निगरानी में होगा हर कार्य
इस पूरी कार्ययोजना का क्रियान्वयन पूर्व में गठित कमेटी की निगरानी में होगा। बता दें कि गोगाबिल झील पूर्व से सुरक्षित वन क्षेत्र घोषित है। मुख्यमंत्री द्वारा स्वयं इसकी घोषणा की गई थी। बाद उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद सहित अन्य जनप्रतिनिधियों के सतत प्रयास से इसे पक्षी विहार सह पर्यटन केंद्र के रुप में विकसित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इसको लेकर पूर्व में ही विभाग के स्तर से एक कमेटी का गठन वहां किया जा चुका है।
'गोगाबिल झील को पक्षी अभयारण्य सह पर्यटन केंद्र के रुप में विकसित करने की तकरीबन छह करोड़ की कार्य योजना को वन एवं पर्यावरण विभाग, बिहार सरकार की स्वीकृति मिल चुकी है। इसे अब अंतिम स्वीकृति के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेज दिया गया है। तय कार्ययोजना में इसे राजस्थान के भरतपुर पक्षी अभयारण्य के रुप में विकसित करने की संपूर्ण रुपरेखा तैयार की गई है। जल्द ही यह झील पर्यटकों के लिए आकर्षण का बड़ा केंद्र बनेगा।'- भाष्कर चंद्र भारती, डीएफओ, पूर्णिया।