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गंगा की गाद की सफाई में वन विभाग का रोड़ा, चौर में तब्दील हो रही गंगा

सुल्तानगंज से कहलगांव के बीच क्षेत्र को डॉल्फिन सेंचुरी का क्षेत्र माना गया है। उस क्षेत्र में गाद के ऊंचे-ऊंचे टीले उग आए हैं। उस क्षेत्र में लोग मकई, सब्जी, पशु चारा उपजा रही है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 08:17 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 12:09 AM (IST)
गंगा की गाद की सफाई में वन विभाग का रोड़ा, चौर में तब्दील हो रही गंगा
गंगा की गाद की सफाई में वन विभाग का रोड़ा, चौर में तब्दील हो रही गंगा

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। गंगा में गाद की अधिकता से गंगा नदी अब चौर में तब्दील होती जा रही है। हाल यही रहा तो गंगा पूरी तरह इस क्षेत्र में सूख जाएगी। पर्यटन और अंतरराज्यीय व्यवसायिक जलमार्ग के रूप में इस्तेमाल होने वाली गंगा नदी में फरक्का से सुल्तानगंज तक भर रहे गाद को साफ करने का बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में सुल्तानगंज से कहलगांव तक डॉल्फिन सेंचुरी होने के कारण सफाई नहीं हो रही है। वन विभाग ने डॉल्फिन सेंचुरी क्षेत्र में गाद की सफाई पर अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है। नतीजा फरक्का से कहलगांव सीमा तक गंगा में गाद की सफाई कराई जा रही है। सफाई अभियान में अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अलावा निजी कंपनियों को भी लगाया गया है।

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गंगा की लहर जहां उफान मारा करती थी, अब वहां मकई उपजा रहे लोग

सुल्तानगंज से कहलगांव के बीच जिस क्षेत्र को डॉल्फिन सेंचुरी का क्षेत्र माना गया है। उस क्षेत्र में अधिकांश भाग पर गाद के ऊंचे-ऊंचे टीले उग आए हैं। उस क्षेत्र में स्थानीय आबादी मकई, सब्जी, पशु चारा उपजा रही है। छाडऩ बनने से पहले ही इस क्षेत्र से डॉल्फिन नवगछिया क्षेत्र में कलकल बह रही गंगा की धार में प्रवेश कर चुकी है। सेंचुरी का अधिकांश क्षेत्र बालू और मिट्टी के टीले में तब्दील हो चुका है। ऐसे क्षेत्र में गंगा की सफाई ड्रेजर मशीन से कराने से फिर से गंगा की धार इस दिशा में आ सकती है। फिर आबादी से सटे गंगा तट में गंगा की धारा लौट सकती है। इसको लेकर ही गाद सफाई अभियान चलाया जा रहा है।

सुल्तानगंज, अकबरनगर, नाथनगर, बूढ़ानाथ, खंजरपुर, मायागंज, बरारी, मीराचक में आधी गंगा गाद से चौर में बदल चुकी है। जहां कहीं कसाल, कहीं फसलें लहलहा रही है। भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण व्यवसायिक और पर्यटक जहाजों का परिचालन नवगछिया की ओर बहने वाली गंगा क्षेत्र से करा रही है जहां पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है। लेकिन गंगा के आधे क्षेत्र के चौर में तब्दील होने से इस मार्ग की चौड़ाई कम है।

क्या है वन विभाग की आपत्ति

वन विभाग ने भारतीय अंतरदेशीय जल प्राधिकरण से बहुत पहले आपत्ति दर्ज कराई थी कि गंगा में भर रहे गाद की सफाई इस क्षेत्र में कराने से डॉल्फिन के आश्रय उजड़ जाएंगे। ड्रेजर मशीन चलाए जाने से उन्हें खतरा होगा।

भारतीय अंतरदेशीय जल प्राधिकरण की दलीलें

भारतीय अंतरदेशीय जल प्राधिकरण की दलील है कि सेंचुरी क्षेत्र के उस भाग में जहां गाद भर कर पूरी तरह सूखा क्षेत्र हो चुका है वहां सफाई से डॉल्फिन को किसी किस्म का खतरा नहीं हो सकता। डॉल्फिन उस क्षेत्र को छोड़ कर नवगछिया गंगा जल सीमा में प्रवेश कर चुकी है। इसलिए इसकी सफाई कराई जा सकती है।

डॉल्फिन संरक्षण के नाम पर कई फर्जी संस्थान विदेशों से मंगा रहे पैसे गंगा गाद के भर जाने से आधे भाग में चौर में बदल रही है। वहीं डॉल्फिन संरक्षण के नाम पर अंग क्षेत्र में कई ऐसे फर्जी संस्थान भी सक्रिय हैं जो विदेशों से इसके संरक्षण के नाम पर पैसे मंगा कर डकार रहे हैं। गंगा और गंगा के जीवों पर शोध करने वाली छात्रा इलाना मिलेम, बेनेरिस और छात्र ब्रूनों बेरजे ने पूर्व में भी ऐसे कई कथित संरक्षक और संस्थानों का सच सामने ला चुके हैं।

भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के उप निदेशक प्रशांत कुमार ने कहा कि फरक्का से कहलगांव सीमा तक गंगा नदी में गाद सफाई अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान सुल्तानगंज तक चलाया जाना है। लेकिन वन विभाग डॉल्फिन सेंचुरी क्षेत्र में गाद साफ कराने पर आपत्ति जताई है। वन विभाग को अंदेशा है कि इससे डॉल्फिन के आश्रय स्थल को खतरा होगा।


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