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    सत्यनारायण सिंह का निधन : खगडि़या के चौथम विधानसभा से दो बार रहे थे विधायक, निधन से वाम आंदोलन को भारी नुकसान

    By Dilip ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 03 Aug 2020 12:47 PM (IST)

    Former MLA CPI leader Satyanarayan Singh dies खगडि़या सहित पूरे राज्‍य में सत्‍यनारायण सिंह के निधन पर शोक है। वे भाकपा से जुड़े थे। उन्‍होंने पार्टी को काफी मजबूत किया था।

    सत्यनारायण सिंह का निधन : खगडि़या के चौथम विधानसभा से दो बार रहे थे विधायक, निधन से वाम आंदोलन को भारी नुकसान

    खगडि़या, जेएनएन। भाकपा राज्य सचिव व पूर्व विधायक  सत्यनारायण सिंह का निधन दो अगस्‍त 2020 की रात इलाज के दौरान पटना एम्स में हो गया। वे खगड़िया के चौथम विधान सभा से दो बार विधायक रहे थे। उनका घर मध्य बौरने पंचायत के कैथी गांव था। उनका दाह, संस्कार पटना में ही प्रशासिनक देख रेख में हुआ। भाकपा जिलामंत्री प्रभाकर प्रसाद सिंह ने कहा कि उनका निधन बिहार में वाम एवं धर्मनिरपेक्ष आंदोलन के लिए बड़ी क्षति है।

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    भाकपा के राज्य सचिव एवं पूर्व विधायक  सत्यनारायण सिंह के निधन पर ऑल इण्डिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF)  ने गहरा शोक प्रकट किया है। एआईएसएफ के  जिलाध्यक्ष अभिषेक कुमार एवं जिला सचिव रजनीकांत कुमार यादव ने कहा कि  सत्यनारायण सिंह के निधन से बिहार में जो शून्यता हुई है वो तत्काल नहीं भरा जा सकता। खास तौर पर बिहार के वामपंथी आंदोलन के लिए ही केवल बड़ी क्षति नहीं है, बल्कि बिहार के धर्मनिरपेक्ष राजनीति को भी उनके निधन से बड़ा धक्का लगा है। वे हमेशा बिहार में वाम-जनवादी आंदोलन के पक्षधर थे। अभी विगत दिनों एआईएसएफ के फेसबुक लाइव कार्यक्रम में आकर भी उन्होंने बिहार में वाम-जनवादी ताकतों की एकता को सशक्त करने पर जोर दिया था। बिहार को जब उनकी बेहद जरूरत थी उसी वक़्त वे अचानक छोड़ कर चले गए।

    बिहार के किसान आंदोलन के लिए भी उनका नाम बड़ा  था। शुरुआती दिनों में वे छात्र जीवन में एआईएसएफ की कतार में शामिल होकर किसान आंदोलन एवं पुनः भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में आए थे। वे खगड़िया के चौथम विधानसभा से 1990से 2000 तक दो बार विधायक रहे। सीपीआई के वे दूसरी बार राज्य सचिव बने थे।पहली बार वे सीपीआई के दरभंगा राज्य सम्मेलन में 2015 में वे राज्य सचिव बने एवं 3 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद पुनः 2018 में मधुबनी राज्य सम्मेलन में दुबारा राज्य सचिव चुने गए।

    बिहार में भूमि आंदोलन के लिए भी उनका नाम बड़ा नाम था। भूमिहीन व वंचितों की वे आवाज थे। खगड़िया जिला में उन्होंने कई गांव भी बसाया है। 76 साल की उम्र में भी वे पार्टी के लिए उसी जोश-खरोश के साथ काम कर रहे थे। उसी दरम्यान वे कोरोना संक्रमित हो गए।

    वे खगड़िया जिले के चौथम प्रखंड के कैथी गांव के रहने वाले थे। 24 जुलाई को गांव पर ही उनकी तबियत बिगड़ गई। घर पर ही पहले उनका इलाज कराया गया। 26 जुलाई को पटना के रुबन अस्पताल में भर्ती हुए। 28 जुलाई को प्लाजमा थेरेपी के लिए उन्हें पटना एम्स ले जाया गया। जहां एक यूनिट प्लाजमा चढ़ा भी था।वह एम्स ले जाने के बाद से लगातार कोमा में थे और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। 2 अगस्त की रात के नौ बजे एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके परिवार में पत्नी, चार बेटी एवं एक बेटा है।