Updated: Sat, 20 Sep 2025 12:20 AM (IST)
भागलपुर में फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वाले एक अंतरजिला गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। जांच एजेंसियां दिल्ली हरियाणा पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश और झारखंड तक इसके तार खंगाल रही हैं। गिरोह बल्क में प्रमाणपत्र बनाकर एजेंटों को सप्लाई करता था। पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल फोन जब्त किए हैं और कॉल डिटेल रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। गिरोह मैट्रिक-इंटर से लेकर मेडिकल तक के फर्जी दस्तावेज बनाता था।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वाले अंतरजिला गिरोह का भंडाफोड़ होने के बाद जांच एजेंसियां अब इसके तार दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और झारखंड तक खंगालने में जुट गई हैं।
साइबर थाना पुलिस ने चंद्रलोक कॉम्प्लेक्स स्थित सोनू साइबर कैफे से जब्त लैपटॉप और मानीटर की तकनीकी जांच में ऐसे चौंकाने वाले सुराग पाए हैं, जिनसे साफ हुआ है कि गिरोह बल्क में प्रमाणपत्र बनाकर अलग-अलग जिलों और राज्यों के एजेंटों को सप्लाई करता था।
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पुलिस टीम ने आरोपितों में सरगना मुहम्मद शाहनवाज उर्फ सोनू (निवासी हुसैनाबाद, बबरगंज) के साथ ही हबीबपुर के चमेली चक निवासी मुहम्मद अकरम, बांका जिले के अमरपुर औरई गांव के मनोहर मंडल, हबीबपुर के शाहजंगी निवासी मुहम्मद अमरुद्दीन, मोहिबअली चक निवासी मुहम्मद अमन और इशाकचक निवासी मुहम्मद आफरीद के मोबाइल फोन की जांच शुरू कर दी है।
कॉल डिटेल रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं, ताकि उनके नेटवर्क और संपर्क सूत्रों की पूरी जानकारी मिल सके। पुलिस अब आउटगोइंग और इनकमिंग कॉल की बारीकी से पड़ताल कर रही है।
जांच में सामने आया है कि गिरोह द्वारा तैयार किए गए प्रमाणपत्रों में मैट्रिक-इंटर, एनसीसी, नर्सिंग, बीएड से लेकर आयुर्वेद और होम्योपैथी से जुड़े बीएचएमएस और डीएचएमएस तक के फर्जी दस्तावेज शामिल हैं।
साइबर पुलिस अब गिरोह के सरगना मुहम्मद शाहनवाज उर्फ सोनू को रिमांड पर लेकर पूछताछ की तैयारी में है, ताकि अन्य जिलों में फैले नेटवर्क का खुलासा हो सके।
इधर, साइबर थाना पुलिस ने गिरोह के सरगना को रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए न्यायालय में अर्जी दाखिल करने की कवायद तेज कर दी गई है।
किशनगंज-लखीसराय से भागलपुर तक कनेक्शन
22 अगस्त 2025 को किशनगंज में बड़े पैमाने पर फर्जी निवास प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह के भंडाफोड़ के बाद पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों को सतर्क कर दिया था।
इसके बाद लखीसराय और सूर्यगढ़ा में भी गिरोह का पर्दाफाश हुआ। भागलपुर में सोनू साइबर कैफे की गिरफ्तारी उसी कड़ी की बड़ी सफलता मानी जा रही है।
यूपी से आया था धंधे का सूत्र
जांच एजेंसियों के अनुसार 30 अप्रैल 2024 को उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने मुजफ्फरनगर से पकड़े गए मुहम्मद इमरान से जो राज उगले थे, वहीं से धागा खुला। उसकी जानकारी से बिहार में सक्रिय तबरेज गिरोह और गोल्डन गिरोह की सक्रियता सामने आई।
यही गिरोह मुंगेर, भागलपुर, पूर्णिया, किशनगंज और अररिया तक नेटवर्क फैला चुका था। यूपी एसटीएफ ने तब बिहार पुलिस मुख्यालय को अलर्ट किया था।
फर्जी भर्ती और स्कॉलर की सेटिंग
जांच में यह भी सामने आया था कि फरवरी 2024 में यूपी सिपाही भर्ती परीक्षा में पेपर लीक और फर्जी अभ्यर्थी बैठाने का खेल भी इन्हीं गिरोहों की देन था।
नवगछिया जेल में तैनात सिपाही नीरज शर्मा की गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ कि तबरेज और गोल्डन गिरोह मोटी रकम लेकर बिहार के स्कॉलरों को यूपी की भर्ती परीक्षा में बैठाते थे।
पुलिस की सख्त निगरानी
भागलपुर एसएसपी हृदयकांत के निर्देश पर साइबर थाना प्रभारी कनिष्क श्रीवास्तव और उनकी टीम ने योजनाबद्ध तरीके से जाल बिछाया और सोनू साइबर कैफे से फर्जी प्रमाणपत्रों का जखीरा पकड़ा।
अब तकनीकी टीम कॉल डिटेल और कॉन्टैक्ट लिस्ट खंगाल रही है। पुलिस का दावा है कि रिमांड पर पूछताछ के बाद और भी कई अहम खुलासे होंगे।
बच्चों के भविष्य और जिंदगी से खिलवाड़
फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे जहां कई लोग शिक्षक बनकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे थे, वहीं फर्जी डिग्रीधारी चिकित्सक आमजन की जिंदगी को जोखिम में डाल रहे थे। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि ऐसे गिरोहों पर तकनीकी निगरानी बढ़ाई जाए, ताकि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अपराधियों की पैठ को खत्म किया जा सके।
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