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    डान पप्पू देव की मौत: 27 साल का क्राइम रिकार्ड, पत्नी ने लड़ा था लोजपा की टिकट पर चुनाव, ऐसा कुछ नहीं जो इससे अछूता रह गया

    By Shivam BajpaiEdited By:
    Updated: Sun, 19 Dec 2021 03:05 PM (IST)

    मौत का बदला लेने के बाद डान बना था पप्पू देव 27 साल पहले 1994 में की थी पहली हत्या। इसके बाद पप्पू ने जरायम की दुनिया में अपना पैठ बनानी शुरू कर दी। ब ...और पढ़ें

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    डान पप्पू देव की मौत: पढ़ें पूरा क्राइम रिकार्ड।

    जागरण संवाददाता, सहरसा: एक समय था जब बिहार के अपराध जगत में पप्पू देव की धमक थी। रंगदारी, अपहरण, हत्या जैसे संगीन अपराध में पप्पू देव का नाम सामने आता था। अब पप्पू देव की मौत हो गई है। लेकिन उसके डान बनने की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। ऐसा कोई अपराध नहीं है, जिसे उसने अंजाम ना दिया हो। उसके पॉलिटिकल कनेक्शन भी रहे हैं। 

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    वर्ष 1994 में की थी पहली हत्या

    मूल रूप से बिहरा थाना क्षेत्र के बिहरा गांव के रहने वाले दुर्गानंद देव के पुत्र पप्पू देव का अधिकांश समय पूर्णिया में बीता। उसके पिता पूर्णिया में बिजली विभाग में कार्यरत थे। पूर्णिया में ही पप्पू देव एक आपराधिक गिरोह से जुड़ गया। इसी बीच गांव में उनके एक रिश्तेदार की हत्या कर दी गई। जिसके बाद पप्पू देव गांव लौटकर आ गया और मौत का बदला लेने की प्रण ले लिया। वर्ष 1994 में पप्पू देव ने कुंवर सिंह नामक व्यक्ति की हत्या कर दी। उसके बाद तो दो जात में अदावत शुरू हो गई। दोनों ओर से हत्या का दौर चलने लगा। कोसी में दो जात मानों एक दूसरे के दुश्मन बन गये। यही से पप्पू देव डान बन गया और फिर गिरोह बनाकर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देता रहा।

    बिहार, नेपाल से लेकर यूपी तक था कनेक्शन

    पप्पू देव बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल में हत्या, लूट, अपहरण, रंगदारी जैसे दर्जनों संगीन मामले के नामजद रहा है। 2002 में नेपाल के एक व्यापारी तुलसी अग्रवाल का अपहरण कर फिरौती में मोटी रकम वसूली थी। लेकिन वर्ष 2003 में पप्पू देव 50 लाख से अधिक के जाली नोट और हेरोइन के साथ नेपाल में गिरफ्तार कर लिया गया। उसे वहां 10 वर्ष की सजा भी हुई। सजा पूरी होने के बाद वह रिहा कर दिया गया। जनवरी 2014 में पुलिस ने नेपाल बार्डर से उसे गिरफ्तार किया। करीब डेढ़ साल पहले जमानत पर बाहर आया था।

    पुलिस से कई बार हो चुकी है मुठभेड़

    नेपाल में पकड़े जाने से पहले नवगछिया के मुकंदपुर चौक के पास पुलिस से भिड़ंत हो गई। पुलिस को देखते ही पप्पू देव ने गोलियों की बरसात कर दी और भाग निकला। इसी तरह एक बार खगड़िया में एसटीएफ के हाथ से भी वह बच निकला था। हालांकि उसका एक साथी मारा गया था। बिहरा में भी मुठभेड़ हुई थी जिसमें दो दारोगा मिराज व राजकिशोर को गोली लगी थी परंतु वह बच निकलने में कामयाब रहा था।

    पप्पू देव का था राजनीतिक कनेक्शन

    पप्पू देव का राजनीतिक कनेक्शन रहने की बात भी कई बार चर्चा में रही है। कई दलों के दिग्गज से उनका संबंध था। पत्नी पूनम देव लोजपा के टिकट पर बिहपुर से लड़ी थी। पूनम ने 2015 में बतौर निर्दलीय महिषी विधानसभा से भी चुनाव लड़ा।

    सहरसा में दर्ज हैं 28 मामले

    पप्पू देव पर सहरसा में करीब 28 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। जबिक 150 से ज्यादा रंगदारी, अपहरण और हत्या के मामले दर्ज हैं।मुजफ्फरपुर के सब रजिस्ट्रार सूर्यदेव नारायण सिंह का अपहरण, पारू व कटरा के सब रजिस्ट्रार की हत्या 2001 में वैशाली के भगवानपुर थाना क्षेत्र में कर दी गई थी। इस मामले में में पप्पू देव का नाम आया था।