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    डाल्फिन सेंक्चुरियन : भागलपुर में गंगा के किनारे मृत मिली डाल्फिन, पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रतीक्षा में वन विभाग

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Wed, 14 Sep 2022 08:58 AM (IST)

    भागलपुर में नवगछिया इलाके के इस्माइलपुर के पास गंगा के किनारे एक मृत डाल्फिन मिली। यहा इलाका डाल्फिन सेंक्चुरियन घोषित है। इसके बाद भी डाल्फिन यहां अस ...और पढ़ें

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    भागलपुर में गंगा नदी के कि‍नारे मृत मिली डािल्फन l

    संवाद सूत्र, नवगछिया (भागलपुर)। भागलपुर के नगवछिया इलाके में इस्माइलपुर थाना क्षेत्र के प्रखंड मुख्यालय के पास गंगा के किनारे मंगलवार को मृत डाल्फिन दिखने से हड़कंप मच गया। उस डाल्फिन के शरीर पर चोट के कई निशान दिखे हैं। लोगों ने उसकी हत्या की आशंका जताई है। मालूम हो कि सुल्तानगंज से कहलगांव के बीच डाल्फिन सेंक्चुरियन घोषित होने के बावजूद भी डाल्फिन की सुरक्षा नहीं हो पा रही है। डाल्फिन सुरक्षा को लेकर डाल्फिन मित्र की नियुक्ति भी वन विभाग ने की है। इसके बावजूद छह महीने में तीन डाल्फिन मृत मिल चुकी हैं। मंगलवार की सुबह इस्माइलपुर प्रखंड मुख्यालय के समीप स्पर संख्या एक के पास गंगा के किनारे में फिर से जब मृत डाल्फिन दिखी तो लोगों की भीड़ जमा हो गई।

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    लोगों ने उसकी हत्या की आशंका जताई है। सूचना मिलने पर नवगछिया वन क्षेत्र के रेंज पदाधिकारी पीएन सिंह बल के साथ पहुंचकर डाल्फिन के शव को भागलपुर स्थित सुंदरवन पोस्टमार्टम के लिए ले गए। रेंज पदाधिकारी ने बताया कि डाल्फिन उतराती मिली। इसकी उम्र बहुत कम है। इसका पोस्टमार्टम कराने के बाद ही सही पता लग पाएगा कि मौत कैसे हुई है। मालूम हो कि इसी जगह पर बीते मार्च में एक डाल्फिन मृत मिली थी जिसको लेकर वन पर्यावरण विभाग के सचिव द्वारा जांच का निर्देश भी दिया गया था। उसमें अब तक उस पर कुछ भी नहीं हुआ है।

    गंगा में मृत डाल्फिन उतराने की सूचना मिली। मौके पर देखा कि अभी उसकी उम्र काफी कम थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर ही उसकी मौत के सही कारण पता हो सकेंगे। अगर हत्या होगी तो कार्रवाई की जाएगी। -पीएन सिंह, वन रेंज पदाधिकारी, नवगछिया

    मछुआरों के जालों पर निगरानी रखने की आवश्यकता है जलीय जीवों पर रिसर्च कर रहे विज्ञानी जूलाजिकल विभाग पटना के गोपाल प्रसाद बताते हैं कि डाल्फिन के लगातार मरने की सूचना चिंता का विषय है। डाल्फिन जहां रहती हैं वहां का पानी निर्मल माना जाता है। इन मौतों को लेकर गंगा में मुख्य रूप से मछुआरों के जालों पर निगरानी रखने की आवश्यकता है।