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    Diwali Shubh Muhurat 2025: दिवाली पर वृष और सिंह लग्न का शुभ संयोग, इस शुभ मुहूर्त, विधि से पूजा करें तो स्थाई सुख-समृद्धि

    By Alok ShahiEdited By: Alok Shahi
    Updated: Sun, 19 Oct 2025 09:02 PM (IST)

    Diwali 2025 Shubh Muhurat: वृष लग्न और सिंह लग्न के शुभ संयोग से दिवाली 2025 यथा दीपोत्सव दीर्घकालिक फल और स्थाई सुख-समृद्धि प्रदान करेगा। दीपावली की सुबह स्नान के बाद श्रीहनुमानजी का ध्यान करना चाहिए। सायंकाल में घर के मुख्य द्वार पर शंख, स्वस्तिक और पदचिह्न अंकित कर स्थिर वृष लग्न (सायं 7:10–9:06 बजे) में लक्ष्मी-गणेश की विधि-विधान से पूजा करें। अर्धरात्रि में सिंह लग्न (रात 2:34 बजे –4:05 बजे भोर) में मां काली का ध्यान व साधना करें। दिवाली के दिन घर के द्वार पर दीप जलाकर पूर्व और उत्तर दिशा में विशेष दीप जरूर रखें। 

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    Diwali 2025 Shubh Muhurat: दिवाली 2025 पर वृष और सिंह लग्न के शुभ संयोग से ये दीपोत्सव दीर्घकालिक फल और स्थाई सुख-समृद्धि प्रदान करेगा।

    ललन तिवारी, भागलपुर। Diwali 2025 Shubh Muhurat अंग की पावन धरती आध्यात्मिक समागम की साक्षी बनेगी। दीपों की रोशनी के बीच भागलपुर में सोमवार को कालरात्रि पर्व पर तीनों शक्तियों मां काली, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की एक साथ पूजा-अर्चना होगी। यह समागम केवल परंपरा नहीं, बल्कि सदियों से इस मिट्टी में बसे विश्वास और साधना का प्रतीक है। यहां सदियों से शक्ति अराधना का प्रमाण धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। शहर के मंदिरों से लेकर घरों तक तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।

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    बूढ़ानाथ मशानी काली, जोगसर, परबत्ती की काली मां, कालीबाड़ी, दुर्गाबाड़ी, हड़बड़िया काली, मंदरोजा आदि जगहों सहित करीब 77 जगहों पर मां काली की विशेष आराधना होगी। वहीं संस्थानों और घरों में मां लक्ष्मी की पूजा और विद्या की अधिष्ठात्री मां सरस्वती के साथ भगवान गणेश, भगवान कुबेर का आह्वान किया जाएगा।

    दीपावली पर बही- खाता की पूजा श्रद्धा और विधि विधान से किया जाता है। बूढ़ानाथ मंदिर के पंडित ऋषि केश पांडे बताते हैं कि कार्तिक अमावस्या की यह रात शास्त्रों में कालरात्रि कही गई है। वह रात्रि जब देवी काली प्रकट होकर अंधकार और नकारात्मक शक्तियों का विनाश करती हैं। इसी रात मां लक्ष्मी धन-संपदा प्रदान करती हैं और मां सरस्वती ज्ञान का आशीष देती हैं।

    भगवान गणेश एवं कुबेर की भी पूजा कर समृद्धि का वरदान प्राप्त किया जाता है। चार महा रात्रियों में प्रथम कालरात्रि बताया गया कि तंत्र और वेद परंपरा में कालरात्रि के साथ तीन अन्य रातें भी आध्यात्मिक सिद्धि की मानी गई हैं। महारात्रि, मोहरात्रि और दारुण रात्रि। आधुनिक जीवन में ये रात्रियां मात्र अनुष्ठान नहीं, बल्कि मानसिक शांति, सुरक्षा और नकारात्मकता से मुक्ति का विशेष सिद्धी दायनी रात्रि माना जाता है। 

    20 अक्टूबर, सोमवार को दिवाली 2025

    रविवार को यम दीप के साथ छोटी दिवाली मनाई जा रही है। सोमवार को दिवाली 2025 मनाई जायेगाी। दीपावली 2025 ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ मानी जा रही है। इस वर्ष स्थिर लग्न में लक्ष्मी-गणेश पूजन का योग बन रहा है, जिससे मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन जनमानस को स्थाई समृद्धि प्रदान करने वाला रहेगा।

    कार्तिक अमावस्या का पावन संयोग

    कार्तिक अमावस्या के पावन संयोग पर सोमवार को दीपावली होगी। शुभ लाभ, समृद्धि और आध्यात्मिक जागरण की प्रतिध्वनि के साथ दीयों के प्रकाश में देवी महालक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना का यह पर्व इस बार विशेष ज्योतिषीय योग लेकर आ रहा है। स्थिर वृष लग्न और सिंह लग्न के शुभ संयोग से वर्ष 2025 का दीपोत्सव दीर्घकालिक फल और स्थाई सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला रहेगा।

    अमावस्या तिथि सोमवार दोपहर 3:44 बजे से मंगलवार शाम 5:55 बजे तक

    कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर, सोमवार को दोपहर 3:44 बजे से आरंभ होकर 21 अक्टूबर मंगलवार शाम 5:55 बजे तक रहेगी। सोमवार को प्रदोष और निशीथ काल दोनों ही संयोगवश उपलब्ध हैं, अतः शास्त्रोक्त विधि से इस दिन ही दिवाली मनाई जाएगी।

    अमावस्या के इस दिन की शुरुआत में प्रदोषकालीन दीपावली पूजन सायं 7:10 से रात्रि 9:06 बजे तक स्थिर वृष लग्न में किया जाएगा। यह काल गृहस्थों, व्यापारियों और धन लाभ की अभिलाषा रखने वालों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस समय देवी लक्ष्मी और गणपति का पूजन जनमानस को स्थिरता देता है। जीवन में प्राप्त धन और सुख दीर्घकाल तक कायम रहते हैं।

    रात्रि 2:34 बजे से प्रातः 4:05 बजे तक मां काली के तांत्रिक स्वरूप की उपासना

    अर्धरात्रि (निशीथ काल) में सिंह लग्न के समय रात्रि 2:34 बजे से 4:05 बजे भोर तक मां काली के तांत्रिक स्वरूप की उपासना की जाएगी। यह काल तंत्र और साधना के लिए सिद्धिप्रद माना गया है। भगवती की तांत्रिक पूजा सिंह लग्न में करने से साहस, आत्मबल और गूढ़ ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यह काल तांत्रिक और वैदिक साधकों के लिए प्रशस्त माना गया है।

    स्थिर लग्न में किया गया पूजन स्थाई फलकारी

    स्थिर लग्न में किया गया पूजन स्थाई और फलकारी होता है। दीपावली 2025 की रात्रि में वृष या सिंह लग्न में मंत्रोच्चारण, दीपदान और महालक्ष्मी पूजन करने से धन, वैभव की प्राप्ति है। शास्त्रों के अनुसार दीपावली की सुबह स्नान के बाद श्रीहनुमानजी का ध्यान करना चाहिए। सायंकाल में घर के मुख्य द्वार पर शंख, स्वस्तिक और पदचिह्न अंकित कर स्थिर वृष लग्न (सायं 7:10–9:06 बजे) में लक्ष्मी-गणेश की विधि-विधान से पूजा करें। अर्धरात्रि में सिंह लग्न (रात 2:34 बजे –4:05 बजे भोर) में मां काली का ध्यान व साधना करें। दिवाली के दिन घर के द्वार पर दीप जलाकर पूर्व और उत्तर दिशा में विशेष दीप जरूररखें।