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    यहां हर डीह के नीचे दफन है एक सभ्यता

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 16 May 2017 03:04 AM (IST)

    भागलपुर। कुरूडीह, कुरपटडीह, शिवायडीह, गोराडीह, स्वरूपचक डीह, सौर डीह, ब्रह्माचारी

    यहां हर डीह के नीचे दफन है एक सभ्यता

    भागलपुर। कुरूडीह, कुरपटडीह, शिवायडीह, गोराडीह, स्वरूपचक डीह, सौर डीह, ब्रह्माचारी डीह, बनोखर डीह, सनोखर डीह..! ये जिले के गांवों के नाम हैं। इनमें दो बातें कॉमन है। एक तो इनके नाम का अंत डीह शब्द से होता है, दूसरे इन सब गांवों में 50 से तीन सौ एकड़ क्षेत्रफल में फैला टीला है। इन टीलों के नीचे कोई न कोई सभ्यता दफन है।

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    जिले में ऐतिहासिक धरोहरों की खोज कर रही निदेशक पुरातत्व विभाग बिहार सरकार की टीम को आधे दर्जन से अधिक डीह नाम वाले इलाके में कई ऐतिहासिक मिले हैं। हर टीले के नीचे किसी न किसी सभ्यता के दफन होने का प्रमाण मिला है, सो इन दिनों टीम डीह नाम वाले गांवों व इलाकों में अपनी खोज को केंद्रीत करेगी। जिले में तीन दर्जन से अधिक ग्रामीण या अ‌र्द्धशहरी इलाके ऐसे हैं जिनके नाम का अंत डीह से होता है। टीम इनका ब्यौरा जुटा रही है। टीम की अगुआई कर रहे पुराविद अरविंद सिन्हा रॉय कहते हैं कि प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक हर डीह नामधारी गांव का इतिहास सदियों पुराना है।

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    सबसे पहले यहां बसी आबादी

    डीह! स्थानीय अर्थ के अनुसार किसी व्यक्ति का पहला घर। तिलकामांझी विश्वविद्यालय के ¨हदी के प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार सिंह के मुताबिक बसोबास स्थल जहां सबसे पहले मानव आबादी आकर बसी। खोज टीम के हिसाब से बात करें तो डीह नाम वाले कुछ इलाकों में ईशा पूर्व छह सौ वर्ष पुरानी सभ्यता के भी प्रमाण मिल रहे हैं। किस डीह के नीचे कौन सभ्यता दबी है, इसके लिए व्यापक खोज की जरूरत है। हालांकि खोज टीम अब तक की खोज में जिस प्रकार के काले और सुनहरे रंग के मृदभांड आदि मिल रहे हैं और चौड़ी दीवारें मिल रही हैं उससे माना जा रहा है कि सभ्यता काफी समृद्ध रहा होगा।

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    बुद्धिज्म चेन को जोड़ते डीह

    अंतीचक में चूंकि खोदाई हो गई है सो वहां प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय के अवशेष निकले। यहां पालकालीन इतिहास सामने आए। बुद्ध धर्म और ¨हदु धर्म के एकीकार होने के प्रमाण टेराकोटा की मूर्तियों से मिलते हैं। जबकि अन्य डीहों के अंदर क्या है इसका वहां मिले प्रमाणों के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है। फिलहाल ये डीह बुद्धिज्म चेन को जोड़ते प्रतीत हो रहे हैं। जहां भी ब्रह्माचारी डीह, सनोखर, बनोखर डीह आदि जगहों पर बुद्ध की प्रतिमाएं मिल रही हैं। यक्षिणी की मूर्तियां मिल रही हैं।

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    डीह के नीचे दबे दीवार की ईट से बसा गांव

    कुरपटडीह और शिवायडीह आदि इलाकों में मिले टीले के नीचे दीवार से ईट निकाल-निकालकर यहां कई मकान बना लिए गए हैं। यह बात खोज टीम के सामने भी आई।

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    मैं बहुत जल्द भागलपुर आ रहा हूं। भागलपुर का इतिहास समृद्ध रहा है। वहां हर टीले के अंदर कुछ न कुछ इतिहास है। खोज टीम को कई सफलता मिली है। इस आधार पर आगे निर्णय लिया जाएगा।

    डॉ. अतुल कुमार वर्मा

    निदेशक, पुरातत्व विभाग बिहार