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    बिहार में वाराणसी की सुर परी नेहा चटर्जी के 'बम-बम' बोल पर झूमेंगे बाबा भक्त, श्रावणी मेले चार चांद लगाएंगे मंतोष कुमार

    वाराणसी की सुर परी नेहा चटर्जी बिहार आएंगी। श्रावणी मेला 2022 को भव्य बनाने के लिए बिहार सरकार के कला-संस्कृति विभाग ने उनके साथ-साथ मंतोष कुमार को भी आमंत्रित किया है। कांवरिया पथ पूर्णिया में दोनों कलाकार प्रस्तुति देंगे।

    By Shivam BajpaiEdited By: Updated: Tue, 19 Jul 2022 08:02 PM (IST)
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    पूर्णिया आएंगी नेहा कुमारी और मंतोष कुमार।

    प्रकाश वत्स, पूर्णिया: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पली और यूपी सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग की अपग्रेड कलाकार नेहा चटर्जी पूर्णिया की सुर परी कही जाती है। सुर परी अपने फन की जादू से शिवभक्तों को भी बम-बम करेगी। इसके अलावा लोक गायक मंतोष कुमार समेत कई कलाकारों को कला-संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार की ओर कांवरिया पथ पर कार्यक्रम देने के लिए आमंत्रित किया है। अलग-अलग तिथि में अलग-अलग कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इसमें मंगलवार की रात नेहा चटर्जी कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा कांवरिया पथ पर लगाए गए शिविर धांधी बेलारी में कार्यक्रम प्रस्तुत करेगी। इसके अलावा अलग-अलग कलाकार को अलग-अलग दिन आमंत्रित किया गया है।

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    यूपी से लेकर दिल्ली तक नेहा बिखेरती रही है सुर का जादू

    कोकिल कंठ, संगीत की उच्च समझ, लय व ताल के साथ चलने में माहिर नेहा भले ही पूर्णिया की बहू है, लेकिन बतौर एक कलाकार यूपी सरकार के कला संस्कृति विभाग की अहम कलाकार भी है। नेहा बाराणसी में ही पली-बढ़ी है। नेहा वहां के बड़े संगीत घरानों के करीब रही है। यूपी कला संस्कृति विभाग ने इसे अपग्रेड कलाकार का सम्मान दिया है। इस चलते राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में भी उन्हें आमंत्रित किया जाता रहा है। इधर बिहार सरकार का कला संस्कृति विभाग भी नेहा को अपने कार्यक्रमों में मौका देता रहा है। इसी कड़ी में उन्हें कांवरिया पथ पर आयोजित विभागीय कार्यक्रम के लिए भागलपुर जिला प्रशासन ने भी आमंत्रित किया है।

    पूर्व में भी शिवभक्तों का दिल जीतते रहे हैं पूर्णिया के कलाकार

    समृद्ध व सुंदर संस्कृति की धरती पूर्णिया में गीत-संगीत की धारा पुरानी है। लोक कला के मामले में भी यह इलाका अनूठा है। यहां के घरों में अब भी विद्यापति रचित जय-जय भैरवि जैसी समधुर भक्ति गीत (प्रार्थना) से पूजा की शुरुआत होती है। यहां के लोक कलाकार व गायब सदा से पूरे देश में अपना परचम लहराते रहे हैं। रंगकर्मी विश्वजीत सिंह छोटू, रंगकर्मी उमेश आदित्य, मिथिलेश कुमार जैसे नामों की सूची भी यहां लंबी है।

    लोक गायकों की भी यहां एक लंबी कतार है। इस बार कला एवं संस्कृति विभाग के कांवरिया पथ पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे मंतोष कुमार ने बताया कि उनके साथ वादकों व अन्य कलाकारों को लगाकर एक दर्जन लोगों की टोली है। वे लोग कई वर्ष से सावन में कला एवं संस्कृति विभाग के कार्यक्रम में शिरकत करते रहे हैं। अन्य कलाकारों को भी मौका मिलता रहा है। कला संस्कृति विभाग द्वारा पूर्णिया के कलाकारों को काफी सम्मान दिया जाता है।