Bihar Election: भागलपुर विधानसभा समेत जिले में घटती वोटिंग की रफ्तार, 2 दशक से 60 प्रतिशत पार नहीं
भागलपुर जिले में पिछले दो दशकों से मतदान में गिरावट दर्ज की जा रही है। जागरूकता अभियानों के बावजूद, मतदाता मतदान केंद्रों तक कम पहुँच रहे हैं। भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2000 से 2020 तक कभी भी 60% से अधिक मतदान नहीं हुआ। वर्ष 2000 में जिले में सबसे अधिक उत्साह देखा गया था, लेकिन उसके बाद से मतदान का ग्राफ गिरता गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, भागलपुर में मतदान का स्तर निम्न रहा है।

अभिषेक प्रकाश, भागलपुर। भागलपुर जिले में पिछले दो दशक के दौरान मतदाताओं की भागीदारी लगातार घटती जा रही है। मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया के दौर में सूचना क्रांति के बावजूद मतदान के प्रति मतदाताओं का रुझान कम हुआ है।
चुनाव आयोग, प्रशासन और राजनीतिक दलों की लगातार जागरूकता मुहिमों के बावजूद मतदाता मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंच रहे। लोकतंत्र के इस महापर्व में घटती भागीदारी न सिर्फ चिंता का विषय है, बल्कि आने वाले चुनावों में लोकतंत्र की साख पर भी सवाल खड़े कर रही है।
भागलपुर विस में दो दशक से नहीं टूटी 60 प्रतिशत की दीवार
भागलपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थिति सबसे अधिक चिंताजनक है। वर्ष 2000 से लेकर 2020 तक हुए किसी भी विधानसभा चुनाव में यहां मतदान 60 प्रतिशत के पार नहीं पहुंच सका।
वर्ष 2000 में सर्वाधिक 57.4 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई थी, जो 2020 में घटकर मात्र 48.9 प्रतिशत रह गई। यह विडंबना ही कही जाएगी कि शहरी, शिक्षित और संचार के मामले में आगे रहने वाला भागलपुर क्षेत्र मतदान में लगातार पिछड़ता जा रहा है।
2000 में जिले में दिखा था सर्वाधिक उत्साह
वर्ष 2000 का चुनाव भागलपुर जिले के लिए अब तक का सबसे उत्साहजनक माना जाता है। उस समय जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों- पीरपैंती (62.5%), कहलगांव (61.8%), नाथनगर (61.7%), बिहपुर (63.8%) और गोपालपुर (69.7%) ने गुड वोटिंग दर्ज की थी। केवल भागलपुर (57.4%) और सुल्तानगंज (59.9%) ही 60 प्रतिशत के आंकड़े से नीचे रहे। इसके बाद से जिले में कहीं भी लगातार गुड वोटिंग का ग्राफ नहीं दिखा।
2005 में दो बार चुनाव, पर भागलपुर में मतदान सबसे कम
वर्ष 2005 में बिहार में दो बार विधानसभा चुनाव हुए फरवरी और अक्टूबर में। दोनों ही बार भागलपुर जिले में मतदान का औसत काफी कम रहा। फरवरी चुनाव में भागलपुर विस में केवल 43.9 प्रतिशत वोट पड़े, जबकि अक्टूबर में यह घटकर मात्र 35.2 प्रतिशत रह गया। यह अब तक का सबसे न्यूनतम आंकड़ा रहा। उसी चुनाव में जिले की पीरपैंती विधानसभा में सर्वाधिक 51.1 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था।
2020 में कहलगांव ने दिखाई उम्मीद
2020 के विधानसभा चुनाव में भी भागलपुर जिले का औसत मतदान राज्य के औसत से नीचे रहा। हालांकि, कहलगांव विधानसभा ने 63.2 प्रतिशत वोटिंग दर्ज कर गुड वोटिंग का उदाहरण पेश किया। वहीं भागलपुर विधान सभा फिर सबसे पीछे रहा, जहां केवल 48.9 प्रतिशत मतदाताओं ने मदान किया।
क्या है गुड वोटिंग की परिभाषा?
चुनाव विशेषज्ञों के अनुसार, 60 प्रतिशत से अधिक मतदान को गुड वोटिंग, 35 से 60 प्रतिशत के बीच के मतदान को मध्य स्तर और 35 प्रतिशत से कम को निम्न स्तर माना जाता है। इस मानक के अनुसार, भागलपुर विधानसभा पिछले दो दशकों से लगातार मध्य या निम्न स्तर की श्रेणी में रहा है।
जागरूकता बढ़ी, पर वोटिंग घटी में सोचने का समय
पिछले बीस वर्षों में मतदाता जागरूकता को लेकर जिला प्रशासन, निर्वाचन आयोग और विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। पोस्टर, रैली, नुक्कड़ नाटक, सोशल मीडिया अपील सभी माध्यमों का उपयोग हो रहा है। भागलपुर जैसे शहरों में भी मतदान का प्रतिशत लगातार गिर रहा है। लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है कि मतदाता अपनी भूमिका को समझें और आने वाले चुनावों में भागलपुर एक बार फिर गुड वोटिंग के लक्ष्य को हासिल करे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।