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    बड़ी लापरवाही: डॉक्‍टर ने माना मरीज को लगाई खाली ऑक्‍सीजन सिलिंडर, हुई मौत

    By Ravi RanjanEdited By:
    Updated: Sun, 05 Nov 2017 10:07 PM (IST)

    बिहार में डॉक्‍टरों की लापरवाही के कारण एक मरीज की मौत हो गई। गंभीर हालत में मरीज को अस्‍पताल में भर्ती करने के बाद उसे खाली ऑक्‍सीजन सिलिंडर लगा दिया गया।

    बड़ी लापरवाही: डॉक्‍टर ने माना मरीज को लगाई खाली ऑक्‍सीजन सिलिंडर, हुई मौत

    पूर्णिया [जेएनएन]। बिहार में एक बार डॉक्‍टरों की लापरवाही ने गोरखपुर हादसे की याद दिला दी। पूर्णिया जिले के सदर अस्पताल में रविवार को मरीज को खाली आॅक्‍सीजन सिलिंडर मास्क लगाने के कारण मौत हो गई। डॉक्‍टर ने इस बात को कबूल किया है कि मरीज को खाली ऑक्‍सीजन सिलिंडर लगाया गया था।

    जानकारी के अनुसार, सहायक थाना अंतर्गत नया टोला के 65 वर्षीय किशन पासवान को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और गंभीर हालत में आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया। खाली आक्सीजन सिलेंडर का मॉस्क लगाने के कारण मरीज की मौत आक्सीजन  बाधित होने के कारण हो गयी। इसके बाद गुस्याये परिजनों द्वारा उस आक्सीजन सिलेंडर बाहर निकाल लिया गया और काफी देर तक हंगामा होता रहा।

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    मृतक के पुत्र कुणाल पासवान ने बताया कि खाली आक्सीजन सिलेंडर लगाने के कारण ही मरीज की मौत हो गई। मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और उसे गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। यदि समय पर आक्सीजन लगाया जा मरीज की जान बच सकती थी।

    काफी देर हंगामा होता रहा और मौके पर पुलिस पहुंचने के बाद स्थिति को नियंत्रित किया गया गया। ड्यूटी कर रहे डॉक्टर ने लिखित रूप में मरीज के परिजनों के समक्ष माना की आक्सीजन सिलिंडर खाली था। चिकित्सक ने यह भी माना कि मरीज की काफी गंभीर स्थिति में भर्ती की गई थी। पांच से दस मिनट तक उसका इलाज किया गया।

    घटना के बाद वार्ड के बाहर परिजनों ने सिविल सर्जन को बुलाने की मांग की। उनका कहना था क मरीज की स्थिति गंभीर जरूर थी लेकिन अस्पताल की व्यवस्था खराब रहने के कारण मौत हो गई। आक्सीजन मॉस्‍क जब निकाला गया तो उसमें खून भरा हुआ था।

    परिजनों ने कहा कि यह कर्मियों द्वारा गंभीर लापरवाही की गई है। बाद में परिजन निजी आटो से ही शव को लेकर चले गए। वहीं इस घटना को लेकर सीएस एमएम वसीम ने कहा कि अगर आक्सीजन के अभाव में मरीज की मौत हुई है तो यह काफी गंभीर मामला है इसकी जांच कराकर इसके लिये जिम्मेवार लोगों के खिलाफ कारर्वाई की जायेगी।

    आपातकालीन वार्ड में मौजूद सभी सिलिंडर था खाली

    आपातकालीन वार्ड में दस से बारह आक्सीजन सिलेंडर था लेकिन जानकारी के मुताबिक सभी सिलेंडर खाली मिला। कर्मियों का आरोप है कि गैस सिलिंडर बिना जांच के बाद मरीज को लगा दिया गया और समय से आक्सीजन की आपूर्ति नहीं हुई इसलिए मरीज की मौत हो गई।

    दरअसल आक्सीजन सिलेंडर की खरीद सदर अस्पताल करता है। गैस भरा हुआ है या नहीं इसकी जांच के लिए मीटर लगा हुआ रहता है। जिस आक्सीजन सिलेंडर को लगाया गया था उसका भी मीटर खराब था। दरअसल आपातकालीन वार्ड़ में उस मौजूद लगभग सभी आक्सीजन सिलेंड़र का मीटर खराब पाया गया।

    मीटर खराब होने की स्थिति में पानी में डालकर मॉस्क को देखा जाता है आक्सीजन है या नहीं। गैस रिफिलिंग का काम कल्याण आक्सीजन गैस एजेंसी द्वारा होता है जो फोर्ड कंपनी के पास है। सिलेंडर की खरीरदारी अस्पताल के स्तर पर होती है। अस्पताल में 60 से अधिक आक्सीजन सिलेंडर हैं।

    अस्पताल की व्यवस्था पर उठे कई सवाल

    आपातकालीन वार्ड में गंभीर मरीज पहुंचते हैं। ऐसे में इस घोर लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है।अस्पताल के हर आक्सीजन सिलेंडर का मीटर खराब है बावजूद इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। सिलेंडर खाली होने के बाद उसको वार्ड से हटाया क्यों नहीं जाता है। ये कई अहम सवाल इस घटना के बाद खड़े हो गये हैं।

    नया टोला के किशन पासवान की मौत हुई उस समय मौके पर एक ही नर्स मौजूद थी। आपातकालीन वार्ड को सुविधा के लिए तीन भागों में बांट दिया गया है। पुरूष आपातकालीन वार्ड को पुराने बच्चा वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। इसके साथ मरीज के आते भर्ती करने के लिए एक वार्ड है। उसके बाद उसके पास ही महिला आपातकालीन वार्ड है। इस सभी वार्डों की जिम्मेदारी एक नर्स और एक डॉक्टर की होती है।

    मौके पर उस दौरान एक ही नर्स थी। व्यवहारिक रूप से भी एक नर्स के लिए सभी वार्डों में भाग-भाग कर गंभीर मरीज का इलाज करना संभव प्रतीत नहीं होता है। खासकर छुट्टियों के दिनों जब ओपीडी सेवा और निजी क्लीनिक भी बंद रहते हैं तो आपातकालीन वार्ड में दवाब बढ़ जाता है। इसके वावजूद अपातकालीन वार्ड कर्मियों की संख्या में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की जाती है।

    मृतक के परिजनों ने भी यही सवाल उठाया कि मरीज की हालत गंभीर थी लेकिन समय से पहले उसकी हत्या कर दी गई। उनको सांस लेने में परेशानी थी लेकिन बिना आक्सीजन के मास्क लगा दिया गया जिस कारण सांस रूक गयी और मरीज की मौत हो गई।

    परिजनों का कहना है कि इसके लिए अस्पताल की व्यवस्था जिम्मेदार है। यहां लोग इस उम्मीद में पहुंचते हैं मरीज ठीक होगा लेकिन यहां लचर व्यवस्था और लापरवाह कर्मियों का शिकार होना पड़ता है।

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