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    अदालत ने दिए निर्देश : पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी के मुकदमे में गवाहों को हाजिर करें डीएम-एसएसपी

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Wed, 15 Jun 2022 10:47 AM (IST)

    अदालत ने दिए निर्देश एमपी-एमएलए कोर्ट में आरोपित हाजिर गवाह के गैरहाजिर रहने पर कोर्ट ने जारी किया पत्र। मामला रंगरा चौक प्रखंड में 2009 में दर्ज आदर्श चुनाव आचार संहिता से जुड़ा है। रंगरा चौक थाने में 17 अप्रैल 2009 में केस दर्ज कराया था।

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    भागलपुर अदालत में पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी।

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश प्रबल दत्ता ने पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी एवं अन्य से जुड़े 2009 के आदर्श चुनाव आचार संहिता के केस के गवाहों को न्यायालय में हाजिर करने के लिए डीएम-एसएसपी को पत्र जारी कर दिया है। इस मुकदमे में आरोपितों की न्यायालय में उपस्थिति और गवाहों के गैर हाजिर रहने पर विशेष न्यायाधीश ने अभियोजन पदाधिकारी को मामले में गवाहों को न्यायालय में तय तिथि पर उपस्थित कराने के लिए एसएसपी को पत्र देते हुए उसकी एक कापी अनुपालन कराने को डीएम को भी देने का निर्देश दिया है। मंगलवार को मामले में गवाह तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी सह अंचल अधिकारी रंगरा चौक मुहम्मद इज्तबा हुसैन समेत अन्य को उपस्थिति के लिए पत्र जारी कर दिया है।

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    चापर हाट मध्य विद्यालय परिसर में चुनावी कार्यालय खोलने के आरोप में दर्ज हुआ था केस

    वर्ष 2009 में नवगछिया के रंगरा चौक प्रखंड स्थित चापर हाट मध्य विद्यालय परिसर में मतदान केंद्र संख्या 106 के दो सौ मीटर की परिधि में तब राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी शकुनी चौधरी ने चुनाव कार्यालय खोल दिया था। उक्त् आरोप में तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी सह अंचल अधिकारी रंगरा चौक प्रखंड मुहम्मद इजतबा हुसैन ने रंगरा चौक थाने में 17 अप्रैल 2009 में केस दर्ज कराया था।

    दर्ज केस में उन्होंने आरोप लगाया था कि शकुनी चौधरी ने सधुआ गांव निवासी अमित कुमार सिंह के मकान में चुनाव कार्यालय खोला है। उक्त् चुनाव कार्यालय मध्य विद्यालय चापर हाट मतदान केंद्र संख्या 106 के दो सौ मीटर की परिधि के अंदर है। बीडीओ हुसैन ने तब उसे आदर्श चुनाव आचार संहिता का उलंघन मानते हुए शकुनी चाौधरी समेत अन्य को आरोपित बनाते हुए केस दर्ज करा दिया था। इस मामले में सभी आरोपित पूर्व से जमानत पर हैं। न्यायालय में भी तय तिथि पर उपस्थित भी हो रहे हैं, लेकिन गवाह ही न्यायालय नहीं पहुंच रहे हैं।