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    Chhath Puja Kab Hai: कब है छठ का पर्व, क्यों मनाते हैं छठ पूजा? जानें, 4 दिनों का महत्व और सूर्य अर्घ्य का अभीष्ट फल

    By Hirshikesh Tiwari Edited By: Alok Shahi
    Updated: Fri, 24 Oct 2025 04:58 PM (IST)

    Chhath Puja 2025, Chhath Puja Kab Hai: शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 से चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा 2025 पर्व में नहाय-खाय, रविवार, 26 अक्टूबर को खरना, 27 अक्टूबर, सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य और मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य प्रणाम जैसे पारंपरिक अनुष्ठान शामिल हैं।

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    Chhath Puja 2025, Chhath Puja Kab Hai: छठ पूजा आस्था, प्रकृति और कृषि का अद्भुत संगम है।

    डा. दुनिया राम सिंह, भागलपुर। Chhath Puja 2025, Chhath Puja Kab Hai लोक आस्था और अनुशासन का महापर्व छठ पूजा गंगा स्नान के साथ बिहार में श्रद्धा और उत्साह के साथ शुरू हो गया है। सूर्य देव और छठी मैया की आराधना को समर्पित यह पर्व प्रकृति, पवित्रता और जीवन ऊर्जा के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है। शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 से चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में नहाय-खाय, खरना, अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य और उदीयमान सूर्य को प्रणाम जैसे पारंपरिक अनुष्ठान शामिल हैं।

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    छठ पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और पारिस्थितिक एकता का भी परिचायक है। हर वर्ग, हर समुदाय के लोग मिलकर घाटों की सफाई, सजावट और पूजा की तैयारी में जुटे हैं। प्रवासी बिहारी भी अपने गांव लौटकर इस उत्सव में सम्मिलित होते हैं।

    छठ पूजा का कृषि से गहरा संबंध है। यह पर्व खरीफ फसल की कटाई के बाद मनाया जाता है यानी फसल के प्रति आभार और नई कृषि ऋतु की शुभकामना। पूजा में चावल, गन्ना, नारियल, हल्दी, ताजे फल और हरी सब्जियां जैसे प्रसाद उपयोग में लाए जाते हैं  जो स्थानीय खेतों और ग्रामीण बाजारों से ही जुटाए जाते हैं। इससे किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष लाभ मिलता है।

    सूर्य की आराधना इस बात का प्रतीक है कि कृषि और जीवन दोनों सौर ऊर्जा पर निर्भर हैं। जलस्रोतों का पवित्र उपयोग यह दर्शाता है कि स्वच्छ जल और पर्यावरण संरक्षण हमारी कृषि परंपरा का मूल हिस्सा है। पूजा से पहले घाटों और तालाबों की सामूहिक सफाई पर्यावरण चेतना का सशक्त उदाहरण है।

    माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि छठ पूजा को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने के प्रयास जारी हैं। यह पहल इस पर्व की वैश्विक पहचान और भारत की सांस्कृतिक गरिमा को नई ऊंचाई देगी। जब पूरा बिहार श्रद्धा, अनुशासन और पर्यावरण चेतना के साथ छठ मनाता है, तो यह पर्व केवल पूजा नहीं  बल्कि प्रकृति, अन्न और आस्था के अटूट संबंध का जीवंत प्रतीक बन जाता है। 

    DR Singh BAU

    उपरलिखित आलेख के लेखक डा. डी.आर. सिंह बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति, कृषि विशेषज्ञ हैं।

    छठ पूजा 2025 में पीतल, चांदी और सोने की सूप की बढ़ी मांग

    छठ महापर्व नजदीक आते ही बाजारों में पूजन सामग्री की खरीदारी जोरों पर है। मंगलवार को दिनभर शहर के विभिन्न बाजारों में लोगों की भीड़ रही। खासकर गुरुद्वारा गली में पीतल के बर्तन खरीदने ग्राहक जुटे थे। दुकानदार दीपक कुमार साह ने बताया कि छठ पर्व को लेकर पारंपरिक बर्तनों की मांग है। इस बार सूप में भगवान सूर्य की आकृति अंकित है। सूप 700, 800 और 900 रुपये में उपलब्ध है। भगवान सूर्य की आकृति वाली सूप की मांग अधिक हो रही है। कठौत 100 से 1000 व खरना प्रसाद बनाने के लिए हांडी 500 से 10,000 रुपये है। पर्व को लेकर इसकी अच्छी बिक्री रही। इसके साथ परात, लोटा और कलश की मांग लगातार बढ़ रही है।

    ढाई किलो चांदी का सूप भी उपलब्ध

    बाजार में ढाई किलो चांदी का सूप भी उपलब्ध है। एक ज्वेलरी शोरूम के आर्नर विशाल आनंद ने बताया कि छठ पूजा को लेकर सोना व चांदी का सूप भी अब खूब बिकता है। ग्राहक इसकी पूछताछ भी शुरू कर दी है। सोना का सूप दो ग्राम से 20 ग्राम तक उपलब्ध है। इसके साथ चांदी 20 ग्राहम से ढाई किलो ग्राम तक बाजार में उपलब्ध है।

    सूप की बिक्री शुरू

    तिलकामांझी चौक के पास सूप विक्रेता अनिरुद्ध ने बताया कि छठ पूजा को लेकर सूप की अच्छी बिक्री हो रही है। सूप 190 से 240 रुपये जोड़ा तक उपलब्ध है। वहीं डाला की कीमत 200 से 300 रुपये प्रति पीस तक है। उन्होंने बताया कि बुधवार से इसकी अच्छी ब बिक्री होगी।