Chandra Grahan 2025: आपको क्या-क्या देकर गया चंद्र ग्रहण? किसको हुआ फायदा, किसको नुकसान, यहां जानें पूरा गुणा-गणित
Chandra Grahan 2025 7 सितंबर रविवार की रात आसमान में घटित खगोलीय घटना चंद्र ग्रहण 2025 ने जनमानस को अपनी ओर खींच लिया। भाद्रपद पूर्णिमा पर लगा पूर्ण चंद्रग्रहण 2025 सभी लोगों के लिए अद्भुत नजारा और आध्यात्मिक अनुभव बन गया। जैसे-जैसे चांद लालिमा लिए आकाश में ढंकता गया सड़कों पर सन्नाटा पसर गया। मंदिरों के पट ग्रहणकाल के कारण बंद रहे घरों में भजन-कीर्तन और मंत्र जाप चलते रहे।

संवाद सहयोगी, भागलपुर। Chandra Grahan 2025 रविवार की रात आसमान में घटित खगोलीय घटना चंद्र ग्रहण 2025 ने पूरे जनमानस को अपनी ओर खींच लिया। भाद्रपद पूर्णिमा पर लगा पूर्ण चंद्रग्रहण 2025 सभी लोगों के लिए अद्भुत नजारा और आध्यात्मिक अनुभव बन गया। जैसे-जैसे चांद लालिमा लिए आकाश में ढंकता गया, भागलपुर की सड़कों और देवालयों में सन्नाटा पसरता गया। मंदिरों के पट ग्रहणकाल के कारण शाम से ही बंद कर दिए गए थे। चंद्र ग्रहण 2025 के दोष से बचने के लिए श्रद्धालुओं ने घरों में भजन-कीर्तन किया और आराध्य के मंत्र जाप के साथ ग्रहण काल में भगवान के स्मरण में डूबे रहे। ज्योतिषविदों की मानें तो पितृपक्ष में लगा खग्रास चंद्र ग्रहण आम लोगों को कोई नुकसान नहीं देगा। नवरात्र आरंभ तक चंद्र ग्रहण 2025 का असर सामान्य जनजीवन पर न्यूनतम हो जाएगा।
टीवी स्क्रीन बना आस्था और विज्ञान का संगम (Chandra Grahan 2025)
लोग टीवी स्क्रीन से चिपके रहे, जहां विशेषज्ञ ग्रहण का ज्योतिषीय और वैज्ञानिक विश्लेषण कर रहे थे। किसी ने इसे पितृपक्ष पर गहरा असर डालने वाला संयोग माना तो किसी ने इसे केवल खगोलीय घटना बताया। बावजूद इसके, लोग पूरी रात ग्रहण के प्रत्येक पल को समझने और देखने को उत्सुक रहे।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण : चुनौतीपूर्ण समय का संकेत (Chandra Grahan 2025)
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह चंद्रग्रहण लगभग साढ़े तीन घंटे तक चला और 122 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बना। इस ग्रहण का प्रभाव एक पक्ष तक यानी 15 दिन रहेगा 48 घंटे तक इसका विशेष असर होगा । इस अवधि में प्राकृतिक आपदाओं या जल प्रलय जैसी परिस्थितियों की आशंका जताई गई है। ग्रहों की धीमी-तेज गति (विशेषकर शनि और गुरु) विश्वव्यापी घटनाओं में उथल-पुथल ला सकती है।
विज्ञान की नजर : पृथ्वी की छाया ने ढंका चांद (Chandra Grahan 2025)
वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तो उसकी छाया चांद पर पड़ती है और वह लालिमा लिए दिखाई देता है। इसी कारण लोग इसे ब्लड मून भी कहते हैं।
आध्यात्मिक पहलू : संस्कार और परंपरा जीवंत (Chandra Grahan 2025)
भागलपुर के कई घरों में ग्रहण के दौरान परिवारजन भजन गाते और मंत्रोच्चारण करते नजर आए। परंपरा के अनुसार, ग्रहण के बाद स्नान-दान और घरों में शुद्धिकरण की तैयारी भी लोगों ने की। बड़े-बुजुर्ग बच्चों को इस खगोलीय घटना की धार्मिक मान्यता बताते रहे।
इस तरह, रविवार की रात चंद्रग्रहण ने शहर को रहस्य, आस्था और विज्ञान का अद्भुत संगम दिखाया। चांद के लाल हो जाने का नजारा और देवालयों का सन्नाटा लोगों की स्मृतियों में लंबे समय तक जीवंत रहेगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।