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    चाची-भतीजे पर चढ़ा इश्क का खुमार, पुलिस की भी नहीं मानी बात, चाचा ने खुद सिंदूर लाकर मंदिर में कराई शादी

    By Edited By: Prateek Jain
    Updated: Sun, 04 Jun 2023 10:34 PM (IST)

    Chachi and Bhatija Got Married In Bhagalpur कहते हैं प्यार अंधा होता है। प्‍यार में पड़े प्रेमी कभी-कभी तो इस हद तक गुजर जाते हैं कि न तो वे रिश्‍तों की परवाह करते हैं और न ही उम्र की। ऐसा ही एक मामला भागलपुर जिले के सुल्‍तानगंज में सामने आया।

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    चाची- भतीजे पर चढ़ा इश्क का खुमार, पुलिस की भी नहीं मानी बात

    सुल्तानगंज (भागलपुर), संवाद सूत्र: कहते हैं प्यार अंधा होता है। प्‍यार में पड़े प्रेमी कभी-कभी तो इस हद तक गुजर जाते हैं कि न तो वे रिश्‍तों की परवाह करते हैं और न ही उम्र की।

    ऐसा ही एक मामला भागलपुर जिले के सुल्‍तानगंज में सामने आया है, जहां चाची और भतीजे के बीच प्‍यार पनप गया और दोनों शादी की जिद पर अड़ गए।

    नहीं माने चाची और भतीजा, तो चाचा ने मह‍िला डेस्‍क से मांगी मदद

    जब स्वजन और समाज ने नहीं माना तो मामला महिला पुलिस हेल्प डेस्क के पास पहुंच गया, लेकिन चाची और भतीजे के इश्क पर किसी का जोर नहीं चला। महिला ने अपनी जेठानी के बेटे यानी भतीजे से ही शादी रचा ली।

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    थाना क्षेत्र के मिरहट्टी पंचायत के वीरबन्ना गांव के नंदेश्वरी मांझी की शादी 2017 में हिंदू रीति-रिवाज से मुंगेर जिले के बरदह निवासी मीनाक्षी के साथ हुई थी। शादी के बाद चार वर्षों तक पति-पत्नी के बीच काफी अच्छे संबंध रहे, लेकिन 2021 में इन दोनों के सुखी वैवाहिक जीवन में मनीष की एंट्री हुई।

    धीरे-धीरे मीनाक्षी अपने ही पति के बड़े भाई के बेटे से प्यार कर बैठी। दोनों के प्यार के परवान चढ़ते ही इनके घरवालों को भी पता चल गया। घरवालों ने दोनों को रिश्ते की दुहाई देकर समझाने की लाख कोशिशें की, लेकिन दोनों के सिर चढ़े इश्क ने इन रिश्तों को भी माना।

    दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ चुके हैं घरवाले 

    इश्क के खेल में कई बार स्वजनों ने मनीष और मीनाक्षी को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा। आखिर पति नंदेश्वरी मांझी अपने स्वजनों के साथ सुल्तानगंज थाने पहुंचा और महिला डेस्क से मदद की गुहार लगाई।

    महिला डेस्क के द्वारा दोनों प्रेमी जोड़े को थाना बुलाकर समझाने बुझाने का प्रयास किया गया, लेकिन दोनों अपनी जिद पर अड़े रहे। अंततः मीनाक्षी के पति महेश्वरी ने ही सिन्दूर लाकर दिया और देर रात सुल्तानगंज के ही हनुमान मंदिर में दोनों की शादी करवा दी गई।