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रोको-रोको चिल्लाते रहे, लेकिन जहाज आगे बढ़ता गया... गंगा में हुए हादसे से बचकर भागलपुर के पशुपालकों की आपबीती

भागलपुर में रविवार को बड़ा हादसा हुआ। गंगा में ड्रेजिंग जहाज की चपेट में बड़ी संख्या में मवेशी आ गए। दो लोगों की मौत की खबर भी है। हालांकि अभी तक प्रशासन ने पुष्टि नहीं की है। 45 भैंसों की कट गई हैं। बचे हुए पशुपालकों ने आपबीती सुनाई है।

By Jagran NewsEdited By: Shivam BajpaiPublished: Sun, 09 Oct 2022 06:59 PM (IST)Updated: Sun, 09 Oct 2022 06:59 PM (IST)
रोको-रोको चिल्लाते रहे, लेकिन जहाज आगे बढ़ता गया... गंगा में हुए हादसे से बचकर भागलपुर के पशुपालकों की आपबीती
भागलपुर हादसे में मौत के मुंह से निकलकर आए पशुपालक।

जागरण टीम, भागलपुर : भागलपुर में रविवार को बड़ा हादसा हुआ है। बड़ी संख्या में मवेशी ड्रेजिंग जहाज की चपेट में आ गए। इस हादसे में मौत को करीब से देखने वाले लोगों ने पूरी आप बती बताई। पशुपालक अधिक यादव के पुत्र प्रदीप यादव ने बताया कि वह अपने 20 भैंसों को लेकर शंकरपुर दियारा चराने के लिए ले जा रहे थे। गंगा के तेज धार में मवेशी सहित वह भी बहने लगे। इसी दौरान गंगा में मिट्टी खुदाई करते हुए एक जहाज आगे बढ़ रहा था। जहाज रोकने के लिए उसके साथ अन्य चरवाहे चिल्लाने लगे। लेकिन जहाज आगे बढ़ रहा था। पानी के तेज धार में भैंस सहित वह भी जहाज के भीतर चला गए। भैंसों को जहाज अपनी ओर खींचने लगा। इसी बीच उसने जहाज का किनारा पकड़ लिया और जहाज के ऊपर चढ़कर अपनी जान बचाई।

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जिस समय जहाज की चपेट में आ रहे थे, उन्हें बचने की उम्मीद थी। माता-पिता के आशीर्वाद और ईश्वर की कृपया से वो ड्रेजिंग मशीन की चेपट में आने से बाल-बाल बच गए। दृश्य को यादकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 10 वर्षीय आयुष ने बताया कि भैंसे जहाज के इंजन की चपेट में आ रहीं थी। वे झटपटा रही थी। वो भी जहाज के भीतर चला गया था लेकिन तुरंत ऊपर आ गया और टायर के सहारे वह अपने भाई पीयूष के साथ गंगा से बाहर निकलकर जान बचाई।

क्या बोले चंदन और धीरज

चंदन और धीरज ने कहा कि वे मवेशियों को तो नहीं बचा सके, लेकिन उनकी जान बच गई। जहाज का किनारा पकड़ लिया और टायर को पकडकर ऊपर आ गए। जिस समय उनके साथ यह हादसा हुआ कुछ देर के लिए तो सुधबुध ही खो बैठे थे। बाहर निकलने के बाद शरीर मे कंपकपी हो रहा था। इस हादसे से दोनों सहमे हुए हैं। रूह कांप उठता है। कहा, जिस परिस्थिति में जान बची है यह कहावत उन लोगों पर फिट बैठता है कि जाको राखे साईंयां मार सके न कोय। हादसा मरते दम तक भूलने वाला है। मौत के मुंह से निकले हैं।

इधर, इस हादसे में लापता कारू यादव की पत्नी और पुत्री का रो-रोकर बुरा हाल है। बार-बार बेहोश हो जा रही है। कारू को पुत्र नहीं है। सिर्फ पांच पुत्री है। चार की शादी हो चुकी है। छोटी पुत्री की भी जल्द शादी करने वाले थे। दूध की बिक्री कर ही घर चलाता था। उसका सभी भैस भी मर गई। अब घर कैसे चलेगा इसकी भी कारू पत्नी को चिंता सताने लगा है। स्वजनों ने बताया कि सुबह से ही कारू को मवेशी चराने के लिए मना कर रहे थे। लेकिन कारू किसी की बात नहीं मानी। घरवालों की बात मानकर अगर मवेशी चराने के लिए घर से नहीं निकलते तो यह हादसा नहीं होता।

स्वजन ने यह भी बताया कि कारू की पत्नी ग्राहकों को दूध बांट कर घर पहुंची ही थी कि घटना की जानकारी मिली। सूचना मिलते ही सुबह से भूखी-प्यासी कारू की पत्नी अपनी पुत्री के साथ मुसहरी घाट पहुंच गई। वहीं, इस हादसे में लापता मोहन उर्फ सिकंदर के दोनों पुत्र भी पहुंच गए हैं। सिकंदर की पत्नी को कुछ दिखाई नहीं देता है। इसलिए वह यहां नहीं आई।


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