कैंसर जागरुकता सप्ताह: ये है सर्वाइकल कैंसर का बड़ा कारण, 35 से 50 साल की उम्र की महिलाओं में खतरा ज्यादा
Cancer Awareness Week महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का सबसे बड़ा कारण लापरवाही है। इसकी वजह से इसके मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। 35 से 50 साल की उम्र में सर्वाइकल कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है। इस उम्र की महिलाओं को इसको लेकर...

जागरण संवाददाता, भागलपुर। थोड़ी सी असावधानी और लापरवाही महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का कारण बन रही है। महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का सबसे आम कारण गर्भाशय, ग्रीवा या सर्वाइकल कैंसर बताया जाता है। शहर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में प्रतिमाह 12 से 15 मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। प्रतिदिन एक से दो महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने की आशंका जाहिर की जा रही है।
- समय पर इलाज शुरू हो जाए तो इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है, आशंका के बाद जांच कराने के लिए पहुंच रहीं आठ से दस महिलाएं
- लगातार बढ़ती जा रही इस बीमारी से पीडि़तों की संख्या, 12 से 15 मरीज प्रतिमाह इलाज कराने पहुंच रहे निजी और सरकारी अस्पताल
- 20 वर्ष लग जाते हैं एचपीवी संक्रमण होने और इसके कैंसर में तब्दील होने में, 35 से 50 साल की उम्र की महिलाओं में यह कैंसर के होने का जोखिम ज्यादा
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि समय पर इलाज शुरू हो जाए तो इस बीमारी ठीक हो सकती है। एचपीवी संक्रमण के होने और इसके कैंसर में तब्दील होने में 20 वर्ष लग जाते हैं। ऐसे में समय पर इलाज शुरू हो जाए तो इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
यह सर्विक्स का कैंसर है। सर्विक्स गर्भाशय का निचला भाग होता है, जो गर्भाशय को प्रजनन अंग से जोड़ता है। दो माहवारी के बीच रक्तश्राव होना, एक से ज्यादा लोगों के साथ शारीरिक संबंध रखने, निजी अंग की सफाई नहीं रखने, गुलाबी रंग का बदबूदार पानी गिरने, शारीरिक संबंध के बाद रक्तश्राव होने, पीठ या पेट के निचले हिस्से में दर्द होने आदि सर्वाइकल कैंसर के लक्षण हैं। प्रतिरोक्षक क्षमता में कमी होने, कुपोषण आदि कारणों से भी सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना रहती है।
कैसे होता है संक्रमण
शारीरिक संपर्क के दौरान 'एचपीवीÓ महिला को संक्रमित कर सकता है। प्रजनन अंगों के त्वचा के संपर्क में आने पर भी यह वायरस संक्रमित करता है। अगर शारीरिक संपर्क न भी बनाया जाए तो भी प्रजनन अंगों के बाहरी स्पर्श से भी महिलाओं में संक्रमण संभव है। शरीर का रोग-प्रतिरोधक तंत्र वायरस के संक्रमण को बेअसर करने के लिए छह से 18 महीने तक संघर्ष करता है। अगर संक्रमण बरकरार रहता है तो यह कैंसर में तब्दील हो सकता है। इसलिए 35 से 50 साल की उम्र की महिलाओं में इस कैंसर के होने का जोखिम ज्यादा रहता है।
बीमारी से बचाव के उपाय
वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर से बचाव में 92 फीसदी तक कारगर है, बशर्ते महिलाएं वैक्सीन लगवाने से पहले शारीरिक संपर्क में संलग्न न रही हों। महिला चिकित्सकों का कहना है कि नौ से 25 साल की लड़कियां यह वैक्सीन लगवा सकती हैं। फिलहाल दो वैक्सीन उपलब्ध है। दोनों से ही इस रोग की रोकथाम संभव है। वैक्सीन नियमित अंतराल पर तीन बार लगवानी पड़ती है। गर्भवती महिला को वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए। अगर कोई महिला पहला डोज लेने के बाद गर्भवती होती है तो दो अन्य डोज छोड़ देनी चाहिए।
सर्वाइकल कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यह धीरे-धीरे बढऩे वाला कैंस है। कई केस में यह कई साल तक प्री कैंसर की अवस्था में रहता है। अगर इसे शुरुआती समय में पता लगा लिया जाए तो इलाज शत प्रतिशत संभव है। कोल्पोस्कोपी के माध्यम से बच्चेदानी के मुंह के कैंसर को आरंभिक अवस्था में पता लगाया जा सकता है। - डा. माधवी सिंह, वरीय स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ, जेएलएनएमसीएच
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