Bihar Elections 2025: भाजपा में बगावत, भागलपुर में मारामारी, जानें कितने खतरनाक हैं ये बागी तेवर
BJP Candidates List: भाजपा में टिकट बंटवारे के बाद नेताओं के बागी तेवरों को समय रहते काबू में नहीं किया गया, तो पार्टी को फिर से वही नुकसान झेलना पड़ सकता है, जो पिछले दो चुनावों में हुआ। नेताओं के व्यक्तिगत दावों और बागी तेवरों को नियंत्रित करना भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। ऐसे में अगर पिछले चुनाव की पटकथा दोहराई गई, तो यह भाजपा के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

BJP Candidates List: भाजपा में टिकट बंटवारे के बाद नेताओं के बागी तेवरों ने बढ़ाई मुश्किलें।
नवनीत मिश्र, भागलपुर। BJP Candidates List, Bihar Elections 2025 बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए भाजपा के टिकट बंटवारे के बाद भागलपुर विधानसभा सीट पर भाजपा में चुनावी हलचल तेज है। रोहित पांडेय को एक बार फिर से भाजपा ने भागलपुर से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा प्रत्याशी रोहित पांडेय महज 1113 मतों के अंतर से हार गए थे। हार की बड़ी वजह पार्टी के भीतर की बगावत रही थी। उस समय लोजपा के राजेश वर्मा और भाजपा के बागी निर्दलीय विजय प्रसाद साह ने चुनाव का समीकरण पूरी तरह बदल दिया था। अब वही स्थिति दोबारा पैदा हो रही है और पार्टी के लिए चेतावनी की घंटी बज रही है।
भाजपा के अंदर इस बार स्थिति और जटिल है। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे और वरिष्ठ नेता प्रशांत विक्रम टिकट की आस में बगावती तेवर अपना चुके हैं। अर्जित शाश्वत और प्रशांत विक्रम ने तो निर्दलीय चुनाव लड़ने तक की घोषणा कर दी है। पार्टी में यह खतरा पिछले चुनाव की तरह मुश्किलें खड़ी कर सकता है। पार्टी की एकजुटता बनाए रखने के लिए पिछले महीने कई वरिष्ठ नेता मंच पर आए। पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन और अश्विनी चौबे ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि प्रत्याशी की घोषणा होते ही सभी गिले-शिकवे भूलकर भाजपा को जीताने में जुट जाएं।
अश्विनी चौबे ने कहा, भले ही अभी होर्डिंग और बैनर अलग-अलग लगे हों, लेकिन प्रत्याशी की घोषणा के बाद सभी एकजुट होकर काम करेंगे। जिसे भी टिकट मिलेगा, उसके लिए प्रचार करने आऊंगा और रहूंगा। उन्होंने मंच से यह भी याद दिलाया कि पिछले दो चुनाव में विजय प्रसाद साह के बागी तेवरों ने पार्टी को कितना नुकसान पहुंचाया था। फिर भी जमीन पर वही कहानी दोहराई जा रही है। चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत बागी तेवर अपनाए हुए हैं।
गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे, शाहनवाज हुसैन सहित कई वरिष्ठ नेता लगातार एकजुटता की बात और शहर में कमल खिलाने की रणनीति पर चर्चा कर चुके हैं। लेकिन जमीन पर असंतोष की लहरें साफ दिख रही हैं। इस सीट से जिलाध्यक्ष संतोष कुमार, मेयर डा. बसुंधरा लाल, पवन मिश्रा, डा. प्रीति शेखर, प्रशांत विक्रम, दिलीप मिश्रा, विजय साह, बंटी यादव और अन्य कई नेता लगातार टिकट की दौड़ में सक्रिय थे। लगभग हर बैठक में उनकी मौजूदगी रहती थी, ताकि संगठन और वरिष्ठ पदाधिकारी को यह संदेश मिलता रहे कि पार्टी के भीतर एकजुटता बनी हुई है।
पिछले चुनावों का मतों का गणित भी याद दिलाता है कि बागी तेवर कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कांग्रेस के अजीत शर्मा को 65,502 और भाजपा के रोहित पांडेय को 64,389 मत मिले। लोजपा के राजेश वर्मा को 20,523 और बागी विजय प्रसाद साह को 3,292 मत मिले। वहीं बिहार चुनाव 2015 में भी बागी विजय की वजह से अर्जित शाश्वत चौबे कांग्रेस के अजीत शर्मा से 10,658 मतों से हार गए थे। उस समय कांग्रेस को 70,514 और अर्जित शाश्वत को 59,856 मत मिले, जबकि बागी विजय को 15,212 वोट मिले थे।
बहरहाल, भाजपा के लिए संदेश स्पष्ट है। यदि बागी तेवरों को समय रहते काबू में नहीं किया गया, तो पार्टी को वही नुकसान झेलना पड़ सकता है जो पिछले दो चुनावों में हुआ। नेताओं के व्यक्तिगत दावों और बागी तेवरों को नियंत्रित करना इस बार निर्णायक होगा। जमीन पर संगठन की एकजुटता, प्रत्याशी के चारों ओर समर्थन और चुनाव प्रचार की रणनीति तय करना भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। अगर पिछले चुनाव की पटकथा दोबारा दोहराई गई, तो यह पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।
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