बिहार में बर्ड फ्लू: सुपौल में 258 मुर्गे-मुर्गियों का किया गया निष्पादन, 9 किलोमीटर के दायरे में फैला संक्रमण
बिहार में बर्ड फ्लू ने दस्तक दे दी है। सुपौल जिले में एक के बाद एक कई पक्षियों के मरने की सूचना के बाद हुई जांच में इसकी पुष्टि हुई। जिले के 9 किलोमीटर के दायरे में संक्रमण फैला है। लिहाजा प्रशासन ने इसकी रोकथाम के लिए एहतियाती कदम...

जागरण संवाददाता, सुपौल : बिहार के सुपौल में बर्ड फ्लू के दस्तक देने के बाद इसकी रोकथाम के लिए युद्धस्तर पर बचाव कार्य जारी किया गया। संक्रमित पक्षियों को मारने के आदेश के बाद 258 मुर्गे-मुर्गियों का निष्पादन किया गया। इसके लिए चार टीम लगाई गई थी। प्रभावित इलाके में तीन महीने तक मुर्गापालन पर प्रतिबंध रहेगा। पशुपालन विभाग पक्षियों की गतिविधियों पर नजर रख रहा है। राहत की बात यह है कि प्रभावित क्षेत्र में दस दिनों से किसी पक्षी के मरने की सूचना नहीं है और ना ही किसी अन्य क्षेत्र से इस तरह की जानकारी विभाग के समक्ष आई है।
31 मार्च को पक्षियों के मरने की हुई थी घटना
दरअसल 31 मार्च को छपकाही गांव के वार्ड एक से लेकर 11 तक में कुछ मुर्गे-मुर्गियों और बत्तख अचानक छटपटा कर मरने लगे। इस दौरान कई कौए भी मरे हुए पाए गए थे। मामले की जानकारी बाद पशुपालन विभाग की टीम ने गांव जाकर जांच की। इसके बाद पटना से टीम बुलाकर पक्षियों का सैंपल लिया गया। इसकी जांच हुई तो बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई।
निदेशक पशुपालन पटना के निर्देश के बाद डीएम कौशल कुमार और एसपी डी अमरकेश के संयुक्त आदेश से रैपिड रेस्पांस टीम का गठन कर पक्षियों को मारने का काम शुरू किया गया। इसके तहत 258 मुर्गे-मुर्गियों का निष्पदान किया गया। प्रभावित क्षेत्र में चूना और ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव के अलावा फागिंग भी कराई गई है। एक से नौ किलोमीटर तक के सभी गांवों को चिह्नित करने के लिए टीम का गठन किया गया है जो इस दायरे में पक्षियों की गतिविधि पर नजर रखेगी और आवश्यकता पड़ने पर एहतियाती कदम उठाएगी।
चार टीम का हुआ गठन
छपकाही गांव को केंद्र मानते हुए इसके एक किलोमीटर के दायरे में सभी गांवों के मुर्गे-मुर्गियों को नष्ट करने के लिए पशुपालन विभाग ने चार टीम का गठन किया। प्रत्येक टीम में चार-चार सदस्य थे। इस बाबत जिला पशुपालन पदाधिकारी डा. रामशंकर झा बताते हैं कि पक्षियों के मरने की सूचना की जानकारी मिलने के बाद मरे एवं जीवित पक्षी का नमूना लिया गया जिसकी जांच के बाद बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई। निदेशक पशुपालन पटना के आदेश के बाद डीएम और एसपी के संयुक्त आदेश से रैपिड रेस्पांस टीम का गठन कर पक्षियों को मारने का काम शुरू किया गया। लोगों को इससे निपटने के लिए जानकारी भी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि लोगों को डरने आवश्यकता नहीं है आवश्यकता है सचेत रहने की।
'छपकाही में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद इसकी रोकथाम के लिए सभी एहतियाती कदम उठाए गए हैं। इसके तहत 258 मुर्गे-मुर्गियों का निष्पादन किया गया। प्रभावित क्षेत्र में फांगिंग कराई गई है, ब्लीचिंग पाउडर और चूने का छिड़काव कराया गया है। दस दिनों से इस क्षेत्र में पक्षियों के मरने की कोई सूचना नहीं है इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है। विभाग पक्षियों की गतिविधि पर नजर रख रहा है।'- डा. रामशंकर झा, जिला पशुपालन पदाधिकारी
बर्ड फ्लू के लक्षण
जिला पशुपालन पदाधिकारी बताते हैं कि बर्ड फ्लू होने पर पक्षियों की आंख व नाक से पानी बहने लगता है। पक्षी छटपटाने लगते हैं और एकाएक काफी संख्या में पक्षियों के मरने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
विभाग को दें सूचना
पक्षियों की मौत अन्य कारणों से भी होती है। जिला पशुपालन पदाधिकारी बताते हैं कि बिजली का करंट लगने से, या कीटनाशकों के छिड़काव से भी पक्षियों की मौत होती है। मरा हुआ पक्षी अगर मिले तो उसे जमीन में गड्ढ़ा खोदकर गाड़ दें। अगर बर्ड फ्लू का लक्षण दिखे तो तत्काल विभाग को इसकी सूचना दें जिससे समय रहते इसपर काबू पाया जा सके।
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