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    Bihar Terror Module: केरल के NGO से सामाजिक कार्यों के नाम पर PFI को हुई फंडिंग, झारखंड कनेक्शन भी आया सामने

    By Shivam BajpaiEdited By:
    Updated: Sun, 17 Jul 2022 10:13 PM (IST)

    Bihar Terror Module पीएफआई से जुड़े लोगों की कुंडली खंगाल रही सुरक्षा एजेंसी और पुलिस। राजनीतिक क्षेत्र और युवाओं के बीच पैठ बनाने को भी खड़ा किया संग ...और पढ़ें

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    Bihar Terror Module: पटना में PFI के दफ्तर में हुई छापेमारी।

    Bihar Terror Module, नीरज कुमार, कटिहार: राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ में पीएफआई और एसडीपीआई के कार्यालय में छापामारी के बाद बिहार में आतंकी गतिविधियों एवं स्लीपर सेल के सक्रिय होने की बात सामने आई है। अब तक की छानबीन में मिले सुराग के आधार पर सुरक्षा एजेेंसी और पुलिस पीएफआई से जुड़े लोगों की कुंडली खंगालने का काम कर रही है। धार्मिक कट्टरता को लेकर काम करने वाले संगठन पापुलर फ्रंट आफ इंडिया के फंडिंग स्रोत को खंगालने का काम किया जा रहा है।

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    खुफिया सूत्रों के मुताबिक सामाजिक कार्यों के नाम पर केरल की एक एनजीओ द्वारा पीेएफआइ को फंडिंग की जाती है। केरल से संबंधित इस एनजीओ का कार्यालय दिल्ली में भी है। देश के विभिन्न शहरों में इस एनजीओ का कार्यालय भी है। पुनर्वास सहित बच्चों के बीच पाठ्य सामग्री वितरित करने के नाम पर उक्त एनजीओ द्वारा पीएफआइ को फंडिंग की जाती है। इसका उपयोग युवाओं व बच्चों में कट्टरपंथ का जहर घोलने के साथ संगठन के प्रचार प्रसार तथा हार्डकोर कार्यकर्ताओं के ऊपर भी खर्च किया जाता है।

    राजनीतिक क्षेत्र सहित छात्रों व युवाओं के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए पीएफआइ द्वारा अलग अलग संगठन भी तैयार किया गया है। राजनीतिक क्षेत्र में एसडीपीेआइ नामक संगठन का गठन कर विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारने का काम किया जाता रहा है। छात्रों के बीच अपनी जड़ मजबूत करने के लिए कैंपस फ्रंटे आफ इंडिया नामक संगठन के बैनर तले कई स्थानों पर विश्वविद्यालय छात्र संघ का चुनाव भी लडृ़ा गया। पीएफआइ से जुड़े आधा दर्जन संगठन विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहा है। कट्टरवादी विचारधारा व सोच के प्रचार प्रसार के लिए पीएफआइ से निकलकर इसके मास्टमाइंड एसडीेपीआइ सहित अन्य सिस्टर आर्गेेनेाइजेशन में जाकर काम करते हैं।

    अवैध खनन से भी जुटाया जाता है आर्थिक संसाधन

    झारखंड में पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद संगठन से जुड़े मास्टरमाइंड अवैध खनन, गिट्टी, स्टोन चिप्स के कारोबार से भी जुड़े हुए हैं। अवैध खनन से जुटाई गई राशि से बिहार के सीमांचल सहित यूपी में पीएफआइ की विभिन्न शाखाओं को फंडिंग की जाती है। स्थानीय स्तर पर भी संगठन से सहानुभूति रखने वालों से चंदा इकट्ठा किया जाता है। पीएफआइ के अधिकांश रणनीतिकार मदरसा से अपनी पढ़ाई पूरी की है। बच्चों को बाल्यावस्था से ही कट्टरपंथी सोच का बनाने को लेकर पीएफआइ के पढ़े लिखे सदस्यों द्वारा निजी स्कूल का संचालन किया जाता है। इस संगठन से जुड़े कई लोग मदरसा में शिक्षक भी हैं।

    कुंडली खंगालने में लगी पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां

    पीएफआइ व एसडीपीआइ से जुड़े लोगों की कुंडली खंगालने काम पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किया जा रहा है। इनकी गतिविधियों पर भीे पैनी नजर रखी जा रही है। फुलवारीेशरीफे मामले में हसनगंज के मुजफ्फरटोला निवासी महबूब नदवी तथा शहर के समीप शरीफगंज में निजी स्कूल संचालक अब्दुल रहमान का नाम सामने आने के बाद कई सक्रिय सदस्यों के अपने गांव या घर में नहीं होने की बात कही जा रही है।