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    Bihar News: बिहार में गजब का गड़बड़झाला... पाकिस्तानी महिला ने भारतीय आधार कार्ड बना डाला; खानम से खातून बन गई इमराना

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 11:11 PM (IST)

    Bihar News बिहार के भागलपुर में दो पाकिस्तानी महिलाओं के लंबे समय से रहने की जानकारी सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। दोनों पाकिस्तानी महिलाओं ने भारतीय आधार कार्ड और वोटर कार्ड भी बना लिया है। इनमें एक सरकारी शिक्षक की नौकरी भी कर रही है। जब भी पुलिस टीम इसकी खोज-खबर लेने स्कूल या घर पहुंचती वह खुद को बीमार बता फरार हो जाती है।

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    बिहार के भागलपुर में दो पाकिस्तानी महिलाओं के मिलने की जानकारी सामने आने के बाद हड़कंप मच गया।

    कौशल किशोर मिश्र, भागलपुर। Bihar News पाकिस्तान से 1958 में भारत आई इमराना खानम ने भागलपुर के कजरैली सिमरिया निवासी मुहम्मद इबनुल हसन से प्रेम-विवाह कर यहीं की होकर रह गई। यह एक संयोग मात्र नहीं था बल्कि इस पाकिस्तानी महिला की सोची-समझी चाल थी। जिससे इबनुल हसन से शादी रचाई वह कैथा टीकर में सरकारी विद्यालय में शिक्षक था। उसी के जरिये जुगाड़ लगाते हुए वह खुद भी सरकारी शिक्षक बन गई। यह ऐसे कभी संभव नहीं होता।

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    इसके लिए पहले दस्तावेजी हेराफेरी करते हुए इसने खुद का आधार कार्ड बनवाया...303409848324, इपिक नंबर बीएनएस4691630 और जुगाड़ के जरिये भारतीय नागरिक बन उर्दू मध्य विद्यालय, बरहपुरा, भागलपुर की शिक्षक बन गई। उसने फर्जी तरीके से तैयार आधार और मतदाता पहचान पत्र के बूते बूथ संख्या 268 में वोट डालकर अपने पसंदीदा दल और प्रत्याशी को वोट भी देती रही।

    उसकी ऐसी हेराफेरी कभी शासन-प्रशासन ना ही स्थानीय पुलिस की संज्ञान में आया। अलबत्ता पाकिस्तान से जिस पासपोर्ट संख्या 981093 और वीजा संख्या जी327-सी से 12 जनवरी 1958 में वह भारत आई उसके जरिये वह यहां कालांतर में मतदाता सूची में नाम दर्ज कराते हुए मतदाता प्रमाण पत्र हासिल कर एक भारतीय नागरिक के रूप में वर्षों तक वोट देते रही।

    वीसा विस्तार नहीं लेने पर गृह विभाग की निगाह में आई, खोज के पहले बदली पहचान

    जिस पाकिस्तानी पासपोर्ट पर वीजा के सहारे भागलपुर आकर वह शादी कर यहीं रहने लगी। उस वीजा के विस्तार को लेकर कोई पहल जब इमराना खानम की तरफ से नहीं हुई तो गृह विशेष विभाग ने उसकी खोज करनी शुरू कर दी। तब गड़बड़झाला कर भारत का आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बनाने वाली इमराना ने अपना नाम इमराना खानम के बदले इमराना खातून कर लिया और नाम बदलकर सरकारी शिक्षक बन गई। जब भी उसकी खोज में स्पेशल ब्रांच या पुलिस की अन्य खुफिया शाखा के अधिकारियों ने प्रयास किया उसके वह सामने नहीं आई। बल्कि हेराफेरी की पतवार वाली नाव के सहारे मतदान केंद्र पर समय-समय पर इमराना के पांव पड़ते रहे। वह वोट भी डालती रही।

    बीएलओ के घर पहुंचते फिर हो गई ओझल

    जिलाधिकारी डा.नवल किशोर चौधरी ने गृह विशेष विभाग से जारी निर्देश के आधार पर इमराना खानम उर्फ इमराना खातून का मतदाता सूची से नाम हटाने का निर्देश दिया था। इसको लेकर बीएलओ फर्जाना खातून जब एसआईआर के तहत सत्यापन को गई तो वह वहां से ओझल हो चुकी थी। फरजाना ने फार्म संख्या 7 के तहत उसका नाम मतदाता सूची से हटाने की कवायद शुरू कर दी है।

    फिरदौसिया ने भी बना लिया पहचान पत्र

    मुहम्मद तफजील अहमद की पाकिस्तानी पत्नी फरदौसिया खानम 19 जनवरी 1956 को तीन माह के वीजा पर भारत आई थी। उसकी भी खोजबीन की जा रही है। बीएलओ उसकी तलाश में भी टैंक लेन, भीखनपुर स्थित घर गई। उसके सामने नहीं आने पर उसका भी मतदाता सूची से नाम हटाने की कवायद की जा रही है।

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