पुलिसिया कानून में हो गया है बदलाव, अनुसंधानकर्ता को जाना होगा स्पाट पर, करने होंगे ये महत्वपूर्ण काम
भागलपुर में पुलिस अनुसंधानकर्ताओं के लिए नया कानून लागू किया गया है, जिसके तहत उन्हें घटनास्थल पर जाकर इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जुटाने और वीडियोग्राफी करन ...और पढ़ें

भागलपुर एसएसपी हृदयकांत
जागरण संवाददाता, भागलपुर। नये कानून में हुए बदलाव बाद अब केस का अनुसंधान करने वाले पुलिस पदाधिकारी अब पहले की तरह टेबल पर अनुसंधान नहीं कर सकेंगे। अगर ऐसा करेंगे तो उनकी चोरी अपने अधिकारियों की नजरों से नहीं छिप सकेगी। यदि अधिकारी अनुसंधानकर्ता की चालाकी नहीं पकड़ सके तो न्यायालय में उनकी चोरी पकड़ी जाएगी। तब तो कोर्ट की फटकार के अलावा विभागीय अधिकारियों का उन्हें कोपभाजन बनना पड़ेगा। इसलिए अब यदि अनुसंधान की जिम्मेदारी मिली तो घटना वाले दिन से ही अनुसंधानकर्ता को घटनास्थल पर जाना होगा। उसी दिन से उन्हें अपना काम शुरू कर देना है।
अनुसंधानकर्ता को घटना वाले दिन से ही घटनास्थल पर जाना होगा
एसएसपी हृदयकांत ने यह साफ कर दिया कि अनुसंधानकर्ता को घटना वाले दिन से ही घटनास्थल पर जाना होगा। उसी समय से उनका कार्य आरंभ माना जाएगा। घटनास्थल पर गए और मौका-मुआयना किया तो उसका जिक्र भी केस डायरी में धड़ाधड़ करते हुए अपने काम में तेजी लाना है। यही जिम्मेदारी पर्यवेक्षण करने वाले सर्किल इंस्पेक्टर-डीएसपी-एसडीपीओ को भी करनी है। ऐसा करेंगे तो केस धड़ाधड़ पटरी पर आने लगेगा। एसएसपी ने अनुसंधानकर्ता के लिए यह भी जवाबदेही तय कर दी है कि वह केस का अनुसंधान लेने के बाद केस डायरी, जख्म प्रतिवेदन, यदि केस हत्या- संदेहास्पद स्थिति में हुई मौत का हो तो मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट, फारेंसिक जांच रिपोर्ट तय समय अवधि में लें। आरोप पत्र भी तय समय सीमा के अंदर दें ताकि आरोपितों को जमानत का लाभ लेने का मौका न मिल सके।
अभियोजन से जुड़े सरकारी वकीलों से भी करते रहेंगे संवाद
स्पीडी ट्रायल भी अनुसंधानकर्ता के त्वरित जांच और सतर्कता से उन केसों में कराया जा सकेगा जिसकी जांच त्वरित गति से करते हुए उनमें आरोप पत्र समर्पित कर देंगे। एसएसपी ने केसों की जांच में लगे अनुसंधानकर्ताओं के लिए उनकी व्यक्तिगत डायरी में कार्य दिवस से जुड़ी गतिविधियों को लिखने को भी कहा है। ऐसा करने से अनुसंधानकर्ता को उनसे जुड़े केसों में रोज बतौर अनुसंधानकर्ता उसने क्या किया यह औचक अनिरीक्षण में सक्षम पदाधिकारी उनकी डायरी देख जान लेंगे।
- केसों के अनुसंधानकर्ताओं को अब नये कानून में कोताही की नहीं बन रही गुंजाइश
- अब उन्हें इलेक्ट्रानिक साक्ष्य भी करना है इकट्ठा
- घटनास्थल और उसके इर्दगिर्द की वीडियोग्राफी भी करनी है, जो साक्ष्य के रूप में लाए जाएंगे
- ऐसी स्थिति में पुराने ढर्रे पर चल रहे पुलिस पदाधिकारियों को नवीनतम अनुसंधान के लिए दक्षता है जरूरी
अभियोजन से जुड़े सरकारी वकीलों से भी करते रहेंगे संवाद
अनुसंधानकर्ता को यह साफ कहा गया है कि वह संबंधित केसों में अभियोजन पक्ष के सरकारी वकीलों से वह सीधा संवाद करते रहें ताकि केस से जुड़ी जानकारियां अपडेट होती रहेगी। गवाहों की गवाही कराने से जुड़ी जानकारियाें के अलावा कोर्ट में दाखिल होने वाले प्रतिवेदनों की भी जानकारी से अनुसंधानकर्ता अवगत होते रहेंगे। घटना के दिन से ही अनुसंधानकर्ता घटनास्थल की वीडियोग्राफी, इलेक्ट्रानिक साक्ष्य इकट्ठा करने की कवायद भी शुरू करेंगे। ऐसा नहीं करने पर उन्हें इलेक्ट्रानिक साक्ष्य नहीं मिल सकेगा। उन्हें ऐसा करना आवश्यक है, ऐसा नहीं करने की सूरत में उनकी विभागीय पदाधिकारियों और कोर्ट में फजीहत झेलनी पड़ेगी।
चुनाव समाप्त, अब पेंडेंसी खत्म करने पर ध्यान दें: एसएसपी
मासिक अपराध गोष्ठी में एसएसपी हृदय कांत ने थानाध्यक्षों, अंचल इंस्पेक्टरों और डीएसपी-एसडीपीओ को पेंडेंसी समाप्त करने के लिए दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने विधानसभा चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए सभी पुलिस अधिकारियों को बधाई दी। एसएसपी ने कहा कि चुनाव अब समाप्त हो चुके हैं, इसलिए सभी को अपने-अपने लंबित कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करने में जुट जाना चाहिए। पासपोर्ट, चरित्र प्रमाण पत्र और अन्य लंबित मामलों के त्वरित निष्पादन में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए। इस गोष्ठी में सिटी एसपी शुभांक मिश्रा, डीएसपी अजय कुमार चौधरी, राकेश कुमार, नवनीत कुमार, सुल्तानगंज थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर मृत्युंजय कुमार सहित अन्य थानाध्यक्ष और पुलिस अधिकारी उपस्थित थे।

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