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    Bihar News: पटना के डाक्टर को झूठे गवाह लाकर फंसाया, दो इंस्पेक्टर और दो दारोगा पर गिरी गाज

    By Kaushal Kishore Mishra Edited By: Alok Shahi
    Updated: Mon, 13 Oct 2025 11:42 AM (IST)

    Bihar News: बिहार पुलिस के रेंज आईजी विवेक कुमार ने पटना में तैनात चिकित्सा पदाधिकारी डा. नवल किशोर सिंह के विरुद्ध घोर लापरवाही और पक्षपातपूर्ण काम करने पर तत्कालीन विधि-व्यवस्था अंचल इंस्पेक्टर शांता सुमन, इंस्पेक्टर थानाध्यक्ष कृष्णनंदन कुमार सिंह, दारोगा राजेश कुमार महतो, हरिशंकर कश्यप पर विभागीय कार्रवाई चलाने का निर्देश दिया है।

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    Bihar News: बिहार पुलिस के दो इंस्पेक्टर और दो दारोगा ने मिलकर डाक्टर को झूठे केस में फंसा दिया।

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। पटना में चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में तैनात डा.नवल किशोर सिंह के विरुद्ध आपराधिक केस चलाने मामले में न्यायालय से राहत नहीं मिली हो लेकिन उन्हें झूठा फंसाने का पुलिस पदाधिकारियों की कारगुजारी अब जांच में सामने आ गई है। रेंज आईजी विवेक कुमार ने डाॅक्टर सिंह की तरफ से न्याय की लगाई गई अर्जी पर जांच और समीक्षा में दो इंस्पेक्टर और दो दारोगा की घोर लापरवाही और पक्षपातपूर्ण कार्रवाई को लेकर कार्रवाई की गाज गिरा दी है।

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    तत्कालीन विधि-व्यवस्था अंचल इंस्पेक्टर शांता सुमन, जोगसर थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर कृष्णनंदन कुमार सिंह, जोगसर थाने के दारोगा राजेश कुमार महतो और हरिशंकर कश्यप के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई चलाने का आदेश दे दिया है। यही नहीं रेंज आईजी ने एसएसपी को उक्त केस में आगे का अनुसंधान चलाते हुए केस का निष्पादन कराने को कहा है। विभागीय कार्रवाई के दायरे में आए चारों पुलिस पदाधिकारियों पर पक्षपातपूर्ण और घोर लापरवाही पूर्वक काम करने की बात कहते हुए पटना के चिकित्सा पदाधिकारी डा. नवल किशोर सिंह जो अपने केस के वादी थे, उन्हें ही झूठे गवाह को आगे कर उनके केस में ही आरोपित बना दिया।

    डा. सिंह की तरफ से दर्ज कराए गए केस को असत्य करार देते हुए आरोपितों ने न्यायालय में रिपोर्ट समर्पित करते हुए वादी डा. सिंह के विरुद्ध ही केस चलाने की अर्जी दे दी थी। चारों पुलिस पदाधिकारियों ने उक्त केस में अपने हिस्से के कार्य संपादन में न सिर्फ घोर लापरवाही बरती पक्षपातपूर्ण कार्य करते हुए झूठे गवाहों के बूते डा. सिंह के केस को असत्य करार देते हुए उन्हें ही उस केस में आरोपित बना केस चलाने की अर्जी दे दी थी। अब कार्रवाई के दायरे में लाए गए पुलिस पदाधिकारियों की कारगुजारी सामने आने और रेंज आईजी के ताजा आदेश बाद पटना के चिकित्सक को राहत मिलने के आसार प्रबल हो गए हैं।

    क्या था मामला

    पटना के इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के वरीय चिकित्सा पदाधिकारी डा. नवल किशोर सिंह ने कहलगांव के शंकर पाल समेत अन्य 15-20 लोगों के विरुद्ध मकान की दीवार तोड़ कर उनकी जमीन में प्रवेश कर साफ-सफाई करने। लोहे का गेट लेकर आने और मकान की पुरानी खिड़की उखाड़ने आदि के आरोप में 21 दिसंबर 2024 को जोगसर थाने में केस दर्ज कराया था। जांच में पुलिस ने केस को असत्य श्रेणी का करार दिया था। इंस्पेक्टर, थानाध्यक्ष और दो अनुसंधानकर्ता ने केस को असत्य करते हुए भूमि विवाद का मामला बता फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। वादी को आरोपित बना दिया गया था।

    दो गवाहों के दर्ज बयान एक समान, वादी पटना के, आरोपित कहलगांव के

    पर्यवेक्षण में दो गवाहों बासू कुमार और विभाष कुमार के बयान हू-बहू दर्ज दर्ज थे। दोनों स्वतंत्र गवाह थे। समीक्षा के दौरान आईजी विवेक कुमार ने दोनों स्वतंत्र गवाहों के दर्ज बयान में ही उपरोक्त पुलिस पदाधिकारियों की कारगुजारी पकड़ ली। गवाह दीपक कुमार ने अपनी गवाही में कहा कि केस के वादी डा. सिंह पटना के रहने वाले, जबकि उनके केस का आरोपित कहलगांव का रहने वाला। दोनों में कभी एक-दूसरे से सामना या मुलाकात ना ही कोई झगड़ा हुआ है। ऐसे गवाहों को खड़ा करते हुए केस को असत्य करार दिया गया। समीक्षा में आईजी ने इन तमाम विसंगतियों को पक्षपातपूर्ण कार्य मानते हुए उन्हें कार्रवाई के दायरे में ला दिया।

    जोगसर थाने की पुलिस की तरफ से प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट और केस चलाने की अर्जी पर कार्रवाई करते हुएमुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने 25 जून 2025 को डा. सिंह के विरुद्ध आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया था। उक्त आदेश के बाद सदेह उपस्थिति का समन जारी हुआ था। उक्त आदेश के विरुद्ध राहत पाने के लिए डा. सिंह ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रकाश कुमार राय की अदालत में जोगसर थाना कांड संख्या 227-2024 में फिर से अनुसंधान कराने की अर्जी दी थी। जिसे न्यायालय ने तब खारिज करते हुए डा. सिंह को उपस्थित होने को कहा था। जिसकी जानकारी पर डा. सिंह की तरफ से सदेह उपस्थिति के लिए 15 दिनों का समय देने की दी गई थी। उसे स्वीकृत करते हुए तब समय दे दिया गया था।