ये बनाएंगे बिहार के बच्चों का भविष्य? 16000 शिक्षकों में सिर्फ 11 ने किया राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए आवेदन
Bhagalpur News बिहार में सरकारी शिक्षकों का भगवान ही मालिक है। भागलपुर जिले के 16 हजार शिक्षकों में सिर्फ 11 ने राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए आवेदन दिया है। इससे सहज ही यह आकलन किया जा सकता है कि उन्हें खुद की काबिलियत पर कितना भरोसा है। अध्यापकों में पुरस्कार की कमतर ललक बच्चों के उज्जवल भविष्य पर ग्रहण लगा रहा है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। Bhagalpur News भागलपुर जिले में करीब 16 हजार सेवारत शिक्षकों में से केवल 11 ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए रुचि दिखाते हुए आवेदन दिए हैं। शिक्षा विभाग के पोर्टल पर इसके लिए 18 शिक्षकों ने पंजीकरण कराये थे और अंतिम रूप से महज 11 शिक्षकों ने अपने आवेदन जमा किए।
यह स्थिति दर्शाती है कि जिले के शिक्षकों में यह सम्मान पाने को लेकर या तो अपेक्षित ललक या सजगता नहीं है या फिर उनमें इसकी अपेक्षाओं पर खरे उतरने के विश्वास की कमी है। इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षकों में आत्म मूल्यांकन और उपलब्धियों को साझा करने की प्रवृत्ति कम देखने को मिल रही है। यही कारण है कि राष्ट्रीय स्तर के इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए पर्याप्त भागीदारी नहीं हो रही है।
शिक्षकों के ऐसे उदासीन रवैये को लेकर शिक्षा विभाग चिंतित है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि योग्य और नवाचारी शिक्षकों को इसमें आगे आना चाहिए, ताकि वे प्रेरक बनें और शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने में अपनी भूमिका निभा सकें।
इस बीच आवेदन की समय सीमा समाप्त हो जाने पर अब जिला स्तरीय कमेटी प्राप्त आवेदनों की स्क्रूटनी करेगी। इस समिति में जिला शिक्षा पदाधिकारी अध्यक्ष, राज्य प्रतिनिधि के रूप में डायट के प्राचार्य और एक अनुभवी शिक्षाविद् शामिल हैं। समिति इन 11 आवेदनों में से सिर्फ तीन नामों की अनुशंसा राज्य स्तर पर भेजेगी। गौर करने वाली बात यह है कि पिछले पांच वर्षों में जिले से एक भी शिक्षक राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए नामित नहीं हो पाये हैं।
राज्य शिक्षक पुरस्कार की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। इस बार उसके लिए भी जिले से सिर्फ पांच आवेदन ही आए हैं। शिक्षकों के ऐसे उदासीन रवैये को लेकर शिक्षा विभाग चिंतित है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि योग्य और नवाचारी शिक्षकों को इसमें आगे आना चाहिए, ताकि वे प्रेरक बनें और शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने में अपनी भूमिका निभा सकें।
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