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    बिहार: पूर्णिया में एथनाल प्‍लांट की स्‍थापना के बाद चीनी मिल चालू करने की उठने लगी मांग, 16 साल से इंतजार कर रहे लोग

    By Abhishek KumarEdited By:
    Updated: Sun, 08 May 2022 10:50 AM (IST)

    पूर्णिया में एथनाल प्‍लांट की स्‍थापना के बाद चीनी मिल चालू करने की मांग उठने लगी है। मधेपुरा में 16 साल पहले चीनी मिल की स्‍थापना की बात कही गई थी जो अब तक धरातल पर नहीं उतर सका है। लोगों का कहना है कि...

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    मधेपुरा में चीनी मिल की स्‍थापना की मांग उठने लगी है।

    संवाद सूत्र, उदाकिशुनगंज (मधेपुरा)। उदाकिशुनगंज में चीनी मील नहीं लगने का मलाल अब हर किसी को सताने लगा है। विकास को लेकर लोग चिंतित आने लगें हैं। मिल कैसे लगे, इसे लेकर गहन मंथन शुरू कर हो गई है। दैनिक जागरण सामाचार पत्र के मिल लगाने के मुहिम के साथ कई लोग खड़े हो रहे हैं। लोग जागरण की पहल की सराहना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि मीडिया ने हम सबों में जागृति जनचेतना का संचार लाया है। जरूरत हम सबों को है कि विकास को लेकर एकजुट हों।

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    एकजुटता से ही हमें कामयाबी मिलेगी। इसके लिए माहौल बनाने की जरूरत है सामाजिक कार्यकर्ता बसंत झा व पूर्व जिप सदस्य अमलेश राय का कहना है कि दैनिक जागरण का पहल अनुकरणीय है। सामाचार पत्र ने हमें जागृत किया है। अब हम सबों का दायित्व बनता है कि इसे कैसे अंजाम तक पहुंचाएं। इसके लिए बड़े प्रयास करने होंगे। इन लोगों ने बताया कि यह सब दलगत नीति से उपर उठकर होगा। इसकेे लिए संघर्ष समिति का गठन किया जाएगा।

    संघर्ष समिति के गठन के लिए जल्द ही इलाके प्रबुद्ध जनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न दल के लोगों की बैठक होगी। इसके लिए जल्द ही तिथि का निर्धारण कर लिया जाएगा। समिति विकास को चरणबद्ध आंदोलन के माध्यम से और अधिकारी से मिलकर अंजाम तक पहुंचाएंगे। लोगों को आगे बढ़कर इस चर्चा में भाग लेना होगा। इन लोगों ने कहा कि वैसे भी सरकार की नीति विकास की रही है। जरूरत है कि हम अपनी बात को सरकार तक पहुंचाए।

    दरअसल राज्य सरकार ने 16 साल पहले उदाकिशुनगंज में मील लगाने की घोषणा की थी। घोषणा के बाद 30 जुलाई 2006 ई.को राज्य सरकार के मंत्री व विधायक का दल उत्तर प्रदेश राज्य के धामपुर चीनी मील मालिक विजय गोयल को लेकर उदाकिशुनगंज पहुंचे थे। जहां गन्ने की खेती का सर्वेक्षण कर गदगद हुए थे। उसके बाद के समय में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हुई। मील के लिए उदाकिशुनगंज के मधुबन तीनटेंगा और बिहारीगंज के गमैल मोजा की जमीन का अधिग्रहण हुआ।

    मिल के लिए साढे तीन सौ एकड़ में दो सो 80 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर ली गई। उधमी का बिहारीगंज में कार्यालय भी खुला। उद्यमी के कर्मचारी भी काम करने लगे। कुछ दिनों बाद ही कवायद बंद पड़ गई। तब से उद्योग लगने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जबकि मील लगने से क्षेत्र रोशन होता। मील लगने से सिर्फ किसानों को ही फायदा नहीं होता। बल्कि हजारों बेकर हाथ को काम मिलता।