Bihar News: लिट्टी-चोखा, चना सत्तू और बथुआ आम को मिलेगा GI टैग! रेस में बिहार की ये 11 मशहूर चीजें
बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर द्वारा जीआई पंजीकरण के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसकी क्रम में लिट्टी-चोखा चना सत्तू और बथुआ आम को जीआई टैग दिलाने के लिए औपचारिक रूप से जीआई कार्यालय चेन्नई भेजने की स्वीकृति दी गई। इस वित्तीय वर्ष में बीएयू सबौर ने 30 उत्पादों के लिए जीआई पंजीकरण की दिशा में कार्य किया है।

संवाद सहयोगी, भागलपुर। बिहार की पारंपरिक कृषि संपदा को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर द्वारा जीआई (भौगोलिक संकेत) पंजीकरण के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। विश्वविद्यालय में शनिवार को दसवीं समीक्षा बैठक अनुसंधान निदेशक डॉ. अनिल कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
पहले भेजे गए 8 उत्पाद
बिहार के तीन और कृषि उत्पादों लिट्टी-चोखा, बिहार चना-सत्तू और बथुआ आम को जीआई टैग दिलाने के लिए औपचारिक रूप से जीआई कार्यालय, चेन्नई भेजने की स्वीकृति दी गई।
दसवीं समीक्षा बैठक।
इस वित्तीय वर्ष में बीएयू, सबौर ने 30 उत्पादों के लिए जी.आई. पंजीकरण की दिशा में कार्य किया, जिसमें से पहले ही आठ उत्पाद– मालभोग चावल, पटना दुधिया मालदा, बिहार सिंघाड़ा, सीता सिंदूर, हाजीपुर का चिनिया केला, मगही ठेकुआ, बिहार तिलौरी और बिहार अधौरी को जीआई टैगिंग हेतु भेजा गया है।
अब तीन और उत्पादों लिट्टी-चोखा, बिहार चना-सत्तू और बथुआ आम की स्वीकृति के साथ, बिहार के कुल 11 कृषि उत्पादों को आधिकारिक रूप से जीआई पंजीकरण प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया है।
- जीआई पंजीकरण बिहार के विशिष्ट कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने और किसानों की आर्थिक समृद्धि बढ़ाने का एक क्रांतिकारी कदम है। यह पहल हमारी समृद्ध कृषि विरासत की सुरक्षा के साथ-साथ बाजार में उनकी विशिष्टता को भी मजबूत करेगी।
- डॉ. डीआर सिंह, कुलपति बीएयू
लखीसराय : 13,002.9 एकड़ में होगी में गरमा फसल की खेती
किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए एक के बाद एक लगातार प्रयास किया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा खेतों में अधिक से अधिक फसलें लगाकर अधिक उपज प्राप्त करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। अब कृषि विभाग ने रबी फसल कटने के तुरंत बाद खेतों में गरमा फसल लगाने की तैयारी शुरू कर दी है।
जिले में 13,002.9 एकड़ में गरमा फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, इसको लेकर किसानों को 50 प्रतिशत अनुदानित दर पर उत्तम किस्म का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है।
जिले में 6,675 एकड़ में मूंग, 5,350 एकड़ में मक्का, 825 एकड़ में उड़द, 36.60 एकड़ में मूंगफली, 50 एकड़ में तील एवं 61 एकड़ में चीना/कौनी बोआई करने का लक्ष्य है।
सभी फसलों की बोआई का प्रखंडवार लक्ष्य निर्धारित करते हुए किसानों को अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध कराने की व्यवस्था कर दी गई है।
इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी सुबोध कुमार सुधांशु ने बताया कि निबंधित किसान ऑनलाइन आवेदन कर अपनी इच्छा से फसल का बीज अनुदानित दर पर प्राप्त कर रहे हैं। कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार को बीज प्राप्त करने वाले किसानों को गरमा फसल की बोआई कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
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