बिहार : म्यूटेशन के विलंब शुल्क में इजाफा, एक सौ से बढ़ाकर किया 500 रुपये, यह भी निर्देश
अब भागलपुर के शहरी क्षेत्र में होल्डिंग काे लेकर नामांतरण कराने वालों को ज्यादा राशि देनी होगी। नगर निगम ने विलंब शुल्क की राशि बढ़ा दी है। जमीन रजिस्ट्री कराने के एक साल तक म्यूटेशन नहीं कराएंगे तो उन्हें विलंब शुल्क देना होगा।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। शहरी क्षेत्र में होल्डिंग काे लेकर नामांतरण कराने वालों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। नगर निगम ने बुधवार से विलंब शुल्क की राशि में वृद्धि कर दी है। अगर शहरवासी जमीन रजिस्ट्री कराने के एक साल तक नगर निगम से म्यूटेशन नहीं कराएंगे तो उन्हें विलंब शुल्क देना होगा। नगर निगम पहले 100 रुपये जुर्माना शुल्क लेता था। नगर आयुक्त डा. योगेश कुमार सागर ने विलंब शुल्क 500 रुपये कर दिया है। म्यूटेशन शाखा प्रभारी शब्बीर अहमद ने बताया कि निर्देश का अनुपालन किया जा रहा है।
भवन नक्शा पर ई-पोर्टल का रोड़ा, बैंक डीडी की मियाद भी पूरी
नगर निगम में पिछले तीन माह से भवन नक्शा पास नहीं हो रहा है। 24 जून से ई-म्यूनिस्पिल्टी का साइट पूरी तरह से ठप है। यह स्थिति पूरी राज्य की बनी है। विभाग ने जिस कंपनी को पोर्टल संचालित करने की जिम्मेदारी दी थी उसे भुगतान ही नहीं किया है। इससे विकास की रफ्तार रूप गई है। कई अपार्टपेंट का निर्माण ठप है। पोर्टल में तकनीकी गड़बडी के कारण शहर में व्यापार के लिए जरूरी ट्रेड लाइसेंस और भवन का नक्शा नहीं पास हो पा रहा है। इससे न तो लोगों को बैंकों से ऋण मिल पा रह है और न ही वे व्यापार शुरू कर पा रहे हैं। इससे भवन नक्शा के करीब 140 से अधिक लंबित है। इससे अपार्टमेंट निर्माण के लिए जिन लोगों ने आवेदन दिया था। उसने 10 हजार रुपये का डीडी जमा किया था। जबकि डीडी की समय अवधी तीन माह की होती है। ऐसे में डीडी भी निरस्त करने की नौबत आ गई है।
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व्यवसाय व रोजगार पर पड़ा असर
भवन निर्माण क्षेत्र बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन करना है। इससे प्रतिदिन पांच हजार से अधिक निर्माण कार्य के मजदूरों को रोजगार मिल जाता। एक अपार्टमेंट के निर्माण में करीब 20 लोगों को रोजगार मिलता है। वहीं इससे निर्माण सामग्री की बिक्री पर भी असर पड़ा है। निर्माण कार्य से सीमेंट, छड़, बालू, सेनटङ्क्षरग व भवन में उपयोग होने वाले सामग्री की बिक्री होती। नक्शा पास नहीं होने से शहर के आर्थिक विकास के साथ रोजगार के अवसर पर भी असर डाला है।
पत्राचार के बाद भी समस्या का नहीं हुआ निदान
बताया जाता है कि बीते अप्रैल माह से निगम में नक्शा पास करने का कार्य बाधित है। नक्शा का आवेदन देने वाले लोग बीते छह माह से निगम कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। नक्शा पास करने का कार्य ऑनलाइन किया जाता है। ऑनलाइन कार्य का निपटारा के लिए नगर आवास व विकास विभाग की ओर से एजेंसी का चयन किया गया था। संबंधित एजेंसी का टेंडर अवधि समाप्त हो गया है। नये एजेंसी का चयन राज्य सरकार की ओर से नहीं किया गया है। नगर निगम में ट्रेड लाइसेंस व भवन का नक्शा पास कराने के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग पटना के ई-म्यूनिसिपल पोर्टल पर आवेदन किया जाता है। निगम कार्यालय में मौजूद आपरेटर लाइसेंस के पोर्टल पर आवेदन डालता है। ई-म्यूनिसिपल पोर्टल के माध्यम से आनलाइन ट्रेड लाइसेंस निर्गत किया जाता था, लेकिन जिस कंपनी को जिम्मेदारी मिली है वह तकनीकी गड़बड़ी दुरुस्त नहीं करा पा रही है। निगम की ओर से विभाग को पत्राचार भी किया गया है। इसके बावजूद इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
आवेदकों को क्या हो रही परेशानी
नगर निगम क्षेत्र में भवन निर्माण से पूर्व नक्शा पास कराना जरूरी है। बिना नक्शा पास कराये भवन निर्माण करने पर नगर निगम की ओर से फाइन का प्रावधान है। भवन निर्माण के लिए बैंकों से लोन लेने में निगम से पास नक्शा महत्वपूर्ण माना जाता है। बिना नक्शा के बैंक लोन नहीं देते हैं। ऐसे में लोन लेकर मकान बनाने वाले लोग परेशान हैं। निगम कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं।
बिल्डरों की समस्या बढ़ी, फंसी पूंजी
ऑनलाइन व्यवस्था दुरुस्त होने तक सरकार द्वारा नक्शा पास करने की वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए। कई प्रोजेक्ट लंबित हैं जिनके कारण बिल्डरों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है तथा उनकी लागत बढ़ रही है। पिछले कई महीने से सर्वर की गड़बड़ी से भवन नक्शा पास करने का काम रुका हुआ है जिससे कई प्रोजेक्ट रुके हुए हैं। ऐसे में बिल्डरों की समस्याएं बढ़ रही हैं, उनकी पूंजी फंसी हुई है और लागत बढ़ रही है। जमीन मालिकों तथा बिल्डरों में कानूनी विवाद बढऩे की आशंका है। वैसे भी लगभग एक साल से अधिक समय से नगर निगम क्षेत्र के बाहर नक्शा पास करने के लिए सक्षम पदाधिकारी के विषय में गतिरोध के कारण इन क्षेत्रों में भवन निर्माण का कार्य रुका हुआ है। ज्ञात हो कि रियल इस्टेट क्षेत्र का समूचे अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है, और इसमें रुकावट आने से क्षेत्र के रोजगार, निवेश, राजस्व आदि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। - आलोक अग्रवाल, अध्यक्ष, क्रेडाई भागलपुर
म्यूनिसिपल पोर्टल बंद होने आनलाइन आवेदन की स्वीकृति में परेशानी है। इसे लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग से संपर्क किया गया है। शीघ्र ही समस्या का निदान होगा। - रवीश चंद्र वर्मा, पीआरओ, नगर निगम
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