बिहार में कैसे-कैसे चोर... कैंसर और टीबी सेंटर को भी नहीं छोड़ा, अब अमेरिका से आएगा तार तो शुरू हाेगी जांच
JLNMCH Bhagalpur: भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चोरी होने से टीबी जांच बाधित हो गई। सीबी नट लैब से मशीन का तार चोरी होने के कारण मरीजों को लौटना पड़ा। पुलिस को अस्पताल के कर्मचारी पर शक है। तार अमेरिका से मंगाया जाएगा, जिसमें एक सप्ताह से अधिक का समय लगेगा। सुरक्षा एजेंसी पर लापरवाही के आरोप लगे हैं।

JLNMCH Bhagalpur: जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल में टीबी और कैंसर सेंटर में चोरी से मरीजों की जांच रूक गई है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल में हुई चोरी का असर बुधवार को देखने को मिला। यहां संचालित सीबी नट लैब में टीबी जांच कराने आए साठ से ज्यादा मरीजों को वापस लौटना पड़ा। यही हाल कैंसर सेंटर का भी रहा। इस बीच सबसे पहले मामले की जांच करने अस्पताल अधीक्षक पहुंचे। यहां इनको बताया गया कि पुलिस जांच में नहीं आई है। जिसके बाद थाना प्रभारी को काल किया गया।फिर पुलिस आयी और चोरी का फोटो एवं वीडियो बना कर वापस लौटी। पुलिस का शक है कि इस चोरी के पीछे अस्पताल के किसी कर्मी का हाथ है। अधीक्षक ने बेहतर जांच कर दोषी की पहचान कर कार्यवाही करने की बात पुलिस से कहा।
अमेरिका से आएगा तार, वायरिंग दुरुस्त होने पर जांच शुरू
टीबी मरीजों का जांच सीबी नट मशीन से किया जाता है। चोर ने इस मशीन का तार चोरी कर लिया है। यह तार अमेरिका से मंगाया जाएगा। तार को लेकर एजेंसी से बात किया गया तो बताया गया कि सात से आठ दिन में इसे उपलब्ध करा दिया जाएगा। वहीं इस लैब को सबसे ज्यादा क्षति चोरों ने किया है। कर्मी ने बताया कि अगर वायरिंग कर दिया जाए तो सीबी नट मशीन से जांच आरंभ किया जा सकता है। वहीं मशीन नहीं रहने से सौ से ज्यादा मरीजों को जांच रिपोर्ट भी नहीं मिला है।
हर माह 43 लाख सुरक्षा पर खर्च, गश्ती के नाम पर केवल आराम
पुलिस ने प्राथमिक जांच में कई लापरवाही को पाया है। जिसमें अस्पताल के पीछे के हिस्से में एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगाया गया है। मुख्य गेट पर भी जो कैमरा है वह काम के लायक नहीं है। इसके अलावा गार्ड भी अस्पताल के इस हिस्से में तैनात नहीं रहती है। कोई भी गार्ड यहां गश्ती के लिए भी नहीं जाते है।पीछे का हिस्सा शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है। जिसका फायदा चोर उठा रहे है। यही कारण है कि आए दिन यहां चोरी की घटना होती है। इस पर अधीक्षक ने कहा कि प्रत्येक माह सुरक्षा एजेंसी को 43 लाख रुपया अस्पताल खर्च करता है। शेष आगे क्या बेहतर हो सकता है इसको किया जाएगा।
एक सप्ताह से ज्यादा का लगेगा समय
जिस सामानों की चोरी हुई है उसकी खरीदारी करने के लिए अस्पताल प्रबंधन को टेंडर प्रक्रिया से गुजरना होगा। क्योंकि सभी सामान की लागत पचास हजार से ज्यादा है। ऐसे में टेंडर की प्रक्रिया खरीद तक पूरी होने में कम से कम सात दिन का समय लग जाएगा। ऐसे में यहां जांच की क्या व्यवस्था होगी इसको समझा जाएगा।
टीबी जांच का सैंपल लौटाया
सीबी नट लैब लैब से मरीजों का सैंपल सदर अस्पताल के टीबी लैब में भेजा गया। वहां से सैंपल यह कह कर लौटा दिया गया कि इसको जांच करने का निर्देश हमें नहीं है। वहीं चोरी की जांच करने आए डा. दीनानाथ के सामने इस समस्या को रखा गया। जिस पर उन्होंने कहा कि गुरुवार को जांच करने का निर्देश जारी कर दिया जाएगा। अगर कर्मचारी की कमी सामने आई तो सीबी नट लैब से कर्मचारी को वहां जांच के लिए ले जाया जाएगा।
सुरक्षा देने वाली एजेंसी करती है खानापूर्ति
अस्पताल में कार्य करने वाली सुरक्षा एजेंसी समानता एवं एसआईएस के जवान यहां सुरक्षा के नाम पर केवल खानापूर्ति करते नजर आ रहे है। लगातार हो रही चोरी को रोकने में दोनों एजेंसी के जवान नाकाम है। वहीं एक पोस्ट पर ये जवान बैठ कर ड्यूटी बजा देते है। गश्ती के नाम पर कुछ भी नजर नहीं आता है। वहीं यहां की एजेंसी लंबे समय से काम कर रही है। इसका भी खामियाजा मरीज को चोरी के लिए भुगताना पड़ रहा है।
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