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    मतदान प्रतिशत राष्ट्रीय औसत के करीब लाना बनी चुनौती, निर्वाचन आयोग के निर्देश पर कई स्‍तरों पर चल रहा काम

    Updated: Thu, 14 Mar 2024 03:43 PM (IST)

    Bihar Election लोकसभा चुनाव में बिहार में मतदान प्रतिशत को राष्ट्रीय औसत के करीब लाने का काम कई स्‍तरों पर चल रहा। इसका निर्देशन निर्वाचन आयोग ने जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को दिया है। इसके लिए कला खेल व सामाजिक क्षेत्र से जुड़े युवाओं का भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए सहयोग लिया जा रहा है। 2019 के चुनाव में राज्य का मतदान प्रतिशत 57.3 था जबकि राष्ट्रीय औसत 67.47 था।

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    मतदान प्रतिशत राष्ट्रीय औसत के करीब लाना बनी चुनौती।

    संजय सिंह, भागलपुर। लोकसभा चुनाव में बिहार में मतदान प्रतिशत को राष्ट्रीय औसत के करीब लाने के लिए कई स्तर पर काम करने का निर्देश निर्वाचन आयोग ने जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को दिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य का मतदान प्रतिशत 57.3 था, जबकि राष्ट्रीय औसत 67.47 था। राष्ट्रीय औसत से राज्य में 10 प्रतिशत कम मतदाता बूथ तक पहुंचे।

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    कुल मतदाताओं में 50 प्रतिशत से अधिक की उम्र 40 से कम

    मतदाताओं की अधिक भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए वाद-विवाद प्रतियोगिता, नुक्कड़ नाटक, सेमिनार, स्वीप अभियान आदि आयोजित किए जा रहे हैं। कला, खेल और समाजिक क्षेत्र में सक्रिय युवाओं का भी सहयोग लिया जा रहा है।

    राज्य में रोजगार और नौकरी पक्ष-विपक्ष का चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा है। इसमें राज्य के युवा भी रुचि दिखा रहे हैं। इसका सकारात्मक प्रभाव मतदान प्रतिशत बढ़ाने में विशेषज्ञ जता रहे हैं। राज्य के कुल मतदाताओं में 50 प्रतिशत से अधिक की आयु 40 साल से कम है।

    प्रत्याशी बेहतर होंगे तो बढ़ेगा मतदान प्रतिशत

    बिहार मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय द्वारा कराए गए केएपी बेसलाइन सर्वेक्षण में मतदाताओं ने आयोग को बताया है कि दल बेहतर प्रत्याशी देंगे तो ज्यादा से ज्यादा मतदान होगा।

    सर्वेक्षण में शामिल 42.4 प्रतिशत मतदाताओं ने अच्छा प्रत्याशी को मतदान प्रतिशत बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण माना है। 12 प्रतिशत का कहना है कि बेहतर माहौल होने पर प्रतिशत बढ़ेगा। आठ प्रतिशत ने और अधिक जागरूकता अभियान चलाने का सलाह दी।

    राष्ट्रीय औसत से ज्यादा होता रहा है मतदान

    राज्य के मतदाता पहले के कई लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा वोट करते रहे हैं। 1977 तथा 1991 से 1999 के बीच हुए चार लोकसभा चुनाव में राज्य का वोट प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से अधिक रहा है।

    वहीं, 1989 और 2004 के लोकसभा चुनाव में कमोबेश राष्ट्रीय औसत के आसपास राज्य के मतदाताओं ने रुचि दिखाई थी।

    सामाजिक विश्लेषक सह विकास प्रबंधन संस्थान (डीएमआइ) के प्रो. सूर्यभूषण का कहना है कि बिहार लोकतंत्र की जननी है। यहां की रोशनी से ही विश्व में लोकतंत्र का उजाला है।

    चुनाव में अधिक से अधिक भागीदारी आयोग की नहीं, हम सभी की जिम्मेवारी है। वोट प्रतिशत कम होने के कई कारण हैं और रहेंगे। लेकिन, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह हमारे पूवर्जों की देन है।

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